इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 साल की एक बच्ची के साथ रेप और अप्राकृतिक कृत्य के बाद हत्या करने वाले आरोपित को निचली अदालत से मिली मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है। सजा पाए अपराधी का नाम दिनेश पासवान है। अपने फैसले का आधार अदालत ने मुल्जिम का आपराधिक इतिहास न होना बताया है। उच्च न्यायालय ने यह भी माना है कि अभी दिनेश पासवान में सुधार की गुंजाइश है। यह निर्णय 21 फरवरी 2024 को सुनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह घटना उत्तर प्रदेश में फतेहपुर जिले के थानाक्षेत्र खागा की है। यहाँ 15 अक्टूबर 2021 को बच्ची के पिता ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। तब शिकायतकर्ता पिता ने बताया था कि 25 वर्षीय आरोपित दिनेश पासवान उनका पड़ोसी था। उसने उनकी 3 वर्षीया बेटी को सेब का लालच देकर अपने कमरे में बुलाने की कोशिश की थी। हालाँकि पहली कोशिश में नाकाम रहने के बाद आरोपित 12 बजे बच्ची को अकेला पाकर उसे अपने कमरे में ले आया। यहाँ उसने बच्ची के साथ रेप और अप्राकृतिक कुकृत्य किया था।
बाद में अपना नाम खुलने के डर से दिनेश पासवान से बच्ची की हत्या कर दी और लाश को छिपा दिया। आरोपित को 15 अक्टूबर की रात को ही गिरफ्तार कर लिया गया था। अदालत में यह केस IPC की धारा 364, 376 AB,377, 302 और 201 के अलावा पॉक्सो एक्ट के तहत चलाया गया। 18 जनवरी 2022 को इस केस की सुनवाई के बाद फतेहपुर के पॉक्सो मामलों के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने अभियुक्त दिनेश पासवान को दोषी पाया और मृत्युदंड की सजा सुनाई।
दिनेश पासवान ने अपनी इस सजा के खिलाफ हाईकोर्ट इलाहाबाद में अपील की थी। दिनेश की तरफ से वकील तनीषा जहाँगीर मुनीर और प्रदीप कुमार ने बहस की। यह सुनवाई न्यायमूर्ति अश्वनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद आफ़ताब हुसैन रिज़वी की बेंच में हुई। बचाव पक्ष ने दिनेश पासवान को बेगुनाह बताते हुए पुलिस की जाँच में तमाम कमियाँ गिनाईं। हालाँकि अभियोजन पक्ष ने दिनेश को मिली मौत की सजा को उचित ठहराया। अंत में दोनों पक्षों को सुनंने के बाद अदालत ने दिनेश पासवान के गुनाह को गंभीर माना।
इसके बावजूद अपने निर्णय में अदालत ने कहा कि मुल्जिम दिनेश पासवान शादीशुदा और 1 बच्चे का पिता है। इसी के साथ दिनेश का कोई पुराना आपराधिक इतिहास भी नहीं पाया गया। अदालत ने माना कि अभियुक्त दिनेश में भविष्य में सुधार की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। अंत में हाईकोर्ट ने दिनेश को मिली मृत्युदंड की सजा को 30 वर्ष के कारावास में तब्दील कर दिया।