प्रयागराज के कंपनी बाग में महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद के नाम से एक पार्क है। यहीं पर अंग्रेजों से लड़ते हुए आजाद ने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया था। लेकिन, इस पार्क पर कब्जा करने के लिए मस्जिद और मजार तक बना दी गई है। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इसे देखते हुए अधिकारियों को दो दिन के अंदर पार्क की हर तरह के अतिक्रमण से मुक्त करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने 8 अक्टूबर तक पार्क को अतिक्रमण मुक्त कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया है। मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाई कोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस मुनिश्वर नाथ भंडारी और जस्टिस पीयूष अग्रवाल की बेंच ने की। बेंच ने कहा कि 1975 के बाद हुए सभी अवैध अतिक्रमणों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए।
इससे पहले 30 सितंबर को कोर्ट ने इस मामले को अंतिम सुनवाई के लिए टाल दिया था। हाई कोर्ट ने मामले में जिला प्रशासन, प्रयागराज विकास प्राधिकरण, उद्यान विभाग के आला अधिकारियों को तलब किया था। अदालत ने तल्ख टिप्पणी की और कहा कि जब सुप्रीम कोर्ट 1975 से पहले के सभी निर्माणों को अवैध बता चुका है तो फिर वहाँ धड़ल्ले से नए निर्माण कैसे होते गए। इन पर क्यों कार्रवाई नहीं की गई?
गौरतलब है कि इस मामले में जितेंद्र सिंह नाम के शख्स ने अधिवक्ता हरि शंकर जैन के माध्यम से याचिका दायर की थी। 23 फरवरी को दाखिल याचिका में कहा गया था कि पूरे पार्क को कब्रिस्तान में बदला जा रहा है। याचिका में कहा गया था कि मुस्लिम समुदाय के कुछ लोग पार्क की जमीन पर कब्जा करने के लिए कृत्रिम कब्रें बना रहे हैं। पार्क क्षेत्र में एक इमारत को मस्जिद में बदलने की कोशिश कर रहे हैं।
याचिका के मुताबिक, “मुस्लिम समुदाय के लोग अपने मजहबी उद्देश्यों के लिए भूमि पर कब्जा करने के अपने सामान्य तरीके से पार्क क्षेत्र के भीतर एक मस्जिद बनाने की कोशिश कर रहे हैं। कट्टरपंथियों और वक्फ बोर्ड के संरक्षण में कुछ कृत्रिम मजारें (कब्र यार्ड) बनाई गई हैं।” इस बीच पार्क के जिमखाना क्लब से अवैध कब्जा हटवा दिया गया है। अधिकारियों ने जिमखाना को खाली करवाकर उसे खेल विभाग को सौंप दिया है।