इलाहाबाद हाईकोर्ट मस्जिद सहित विभिन्न धार्मिक स्थलों में लाउडस्पीकर पर रोक लगाने की माँग को लेकर जनहित याचिका पर शुक्रवार (28 मई 2021) को सुनवाई करेगा। वकील आशुतोष कुमार शुक्ल ने यह जनहित याचिका दाखिल की है।
उन्होंने कहा, ”कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर से कई राज्यों में लगाए गए लॉकडाउन के कारण प्रत्येक नागरिक अपने घर पर है। लोग घर से ऑफिस का काम कर रहे हैं। घर से बच्चों की ऑनलाइन क्लास चल रही हैं। वकील भी घर से ही वर्चुअल सुनवाई के जरिए मुकदमों पर बहस कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में दिन में कई बार लाउडस्पीकर के प्रयोग से मानसिक तनाव हो रहा है। शोर के कारण पास में रहने वालों की नींद में खलल पड़ती है। यह शोर टॉर्चर जैसा है।”
शुक्ल ने आगे कहा कि हर व्यक्ति को उतनी ही आसानी से सोने का हक है, जितनी आसानी से वह साँस लेता है। अच्छी नींद अच्छे स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। अंतत: नींद ऐसी मौलिक, आधारभूत आवश्यकता है, जिसके बिना जिंदगी का वजूद खतरे में पड़ जाएगा। किसी की नींद में खलल डालना उसे यातना देने के समान है, जो कि मानव अधिकार के उल्लंघन की श्रेणी में आता है।
याचिकाकर्ता ने कहा कि धार्मिक संगठनों को लाउडस्पीकर या एम्पलीफायर का उपयोग करने का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत एक स्वतंत्र अधिकार नहीं है। इसके साथ ही अनुच्छेद 25(1) में सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य की शर्तें भी जुड़ी हुई हैं। उन्होंने धार्मिक पाठ व अजान के लिए लाउडस्पीकर के नियमित उपयोग पर प्रतिबंध लगाने का निर्देश दिए जाने की माँग की है।
याचिका में एक पुराने मामले को अदालत के संज्ञान में लाते हुए शुक्ल ने कहा अफजल अंसारी बनाम यूपी सरकार के इस केस में हाईकोर्ट ने फैसला दिया था कि अजान तो इस्लाम का आवश्यक एवं अटूट अंग है, लेकिन अजान का लाउडस्पीकर पर बोला जाना धर्म का आवश्यक हिस्सा नहीं है। वकील ने कहा कि हाईकोर्ट के इस फैसले की भी अनदेखी की जा रही है।
इसके साथ ही उन्होंने याचिका में इसका भी जिक्र किया है कि अब तक लाउडस्पीकर के खिलाफ सात शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। इसमें छह अजान में लाउडस्पीकर के बेवजह इस्तेमाल के खिलाफ थीं।
याचिकाकर्ता ने कहा कि मशहूर बॉलीवुड सिंगर सोनू निगम को भी लाउडस्पीकर पर अजान से दिक्कत थी, जिसको लेकर उन्होंने कुछ वर्ष पूर्व ट्वीट किया था। मालूम हो कि सोनू निगम अपने इस ट्वीट के कारण मुस्लिम समुदाय के निशाने पर आ गए थे।
बता दें कि याचिका में कोर्ट से माँग की गई है कि धार्मिक स्थल के आस-पास रहने वालों की आपत्ति को लेकर मंदिर, मस्जिद, चर्च आदि से ध्वनि प्रदूषण मानक का पालन कराया जाए। साथ ही बिना अनुमति के स्पीकर बजाने पर कानून का पालन कराया जाए।