वो कहते हैं न कि अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान। कुछ ऐसा ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (AMU) के वाइस चांसलर यानी कुलपति को शॉर्टलिस्ट करने को लेकर भी हुआ है। दरअसल एएमयू ने नईमा खातून गुलरेज़ को शॉर्टलिस्ट किया है। बवाल इसलिए हो रहा है क्योंकि जिस महिला नईमा खातून गुलरेज़ को शॉर्टलिस्ट किया गया है, उनके शौहर मोहम्मद गुलरेज़ हैं। और मोहम्मद गुलरेज़ कौन हैं? नाम शॉर्टलिस्ट करने वाली कार्यकारी परिषद के अध्यक्ष! कम शब्दों में कहा जाए तो शौहर ने किया बीवी को सेलेक्ट।
30 अक्टूबर 2023 को एएमयू में अकादमिक फैसला लेने वाली सबसे अहम संस्था कार्यकारी परिषद (ईसी) ने वीसी के पद के लिए पाँच नाम चुने थे। इसकी अध्यक्षता एएमयू के कार्यवाहक वीसी प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ ने की थी। 27 सदस्यों वाली ईसी ने 20 लोगों में से पाँच को चुना। हालाँकि इस पद के लिए एएमयू के पास 36 आवेदन आए थे।
जाहिर है जब इतनी मुश्किल प्रक्रिया के बाद 5 काबिल लोगों के नामों को चुना गया तो उसमें किसी निजी फायदे के आधार पर वीसी का नाम शॉर्टलिस्ट हो जाना सवालों के घेरे में आना ही था। एएमयू के वीसी पद के लिए शॉर्टलिस्ट किए गए 5 नामों में से एक कार्यवाहक वीसी प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ की बीवी नईमा खातून गुलरेज़ का भी रहा।
नईमा खातून गुलरेज़ बनेंगी AMU की वाइस चांसलर?
एएमयू के कार्यवाहक वीसी प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ की बीवी नईमा खातून गुलरेज़ का नाम शॉर्टलिस्ट हुए 5 नामों में दूसरे नंबर पर है। पटना में चाणक्य नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के मौजूदा वीसी प्रोफेसर फैज़ान मुस्तफा का नाम सबसे ऊपर रहा। इनके अलावा प्रोफेसर कय्यूम हुसैन, प्रोफेसर एमयू रब्बानी, प्रोफेसर फुरकान कमर शॉर्टलिस्ट कैंडिडेट हैं।
एएमयू की कार्यकारी परिषद की बैठक में 27 सदस्यों में से 30 अक्टूबर की बैठक में 20 सदस्य शामिल हुए थे। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इसमें कार्यवाहक वीसी सहित 19 सदस्यों ने मतदान किया। जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर (डॉ) फैज़ान मुस्तफा को नौ वोट मिले। खातून और हुसैन को आठ-आठ वोट मिले जबकि रब्बानी और कमर को सात-सात वोट मिले।
AMU कार्यकारी परिषद की आपत्ति, मियाँ-बीवी ने की खारिज
कार्यकारी परिषद की बैठक में शामिल सदस्यों में से एक ने कार्यवाहक वीसी गुलरेज़ को सुझाव दिया था कि वह मतदान से दूर रह सकते हैं क्योंकि उनकी बीवी एक उम्मीदवार हैं। इस सुझाव पर एक अन्य सदस्य भी रजामंद थे। लेकिन बैठक की अध्यक्षता कर रहे कार्यवाहक वीसी ने जवाब दिया कि क्योंकि वो खुद वीसी पद के उम्मीदवार नहीं हैं, इसलिए उनके बैठक में होने में कोई परेशानी नहीं।
मोहम्मद गुलरेज़ ने उच्च शिक्षा विभाग के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा, “यदि कुलपति या कार्यकारी परिषद का कोई अन्य सदस्य, जो कुलपति पद के लिए उम्मीदवार बनने के इच्छुक हैं, वो कार्यकारी परिषद की ऐसी बैठक में भाग लें तो उन्हें कुलपति पद के लिए उम्मीदवार के रूप में अयोग्य माना जाएगा।”
वहीं इस पर नईमा खातून गुलरेज़ ने कहा, “इसमें कुछ भी गलत नहीं है। शिक्षा विभाग के परिपत्रों में साफ कहा गया है कि यदि वीसी खुद नामांकित व्यक्ति है, तो उसे खुद को अलग करना होगा, लेकिन उन परिपत्रों में वीसी के पति या पत्नी या किसी अन्य रिश्तेदार के बारे में कुछ भी नहीं है। फैसला लेने से पहले इन सभी परिपत्रों को चुनाव आयोग के सामने पढ़ा गया था।”
AMU वीसी के लिए शॉर्टलिस्ट नहीं किए गए 36 में से एक आवेदक प्रोफेसर मुजाहिद बेग, जो एएमयू कोर्ट के एक पूर्व सदस्य भी हैं, वो नईमा खातून का नाम शॉर्टलिस्ट होने पर विरोध में उतर आए हैं। उन्होंने इसे लेकर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र भी लिखा है। उन्होंने कहा:
“हैरानी की बात है कि वीसी ने न केवल चुनाव आयोग की बैठक की अध्यक्षता की, बल्कि अपनी बीवी के लिए वोट भी किया। ये स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों को एक और झटका है।”
गौरतलब है कि एएमयू के पिछले वीसी तारिक मंसूर ने यूपी के विधान परिषद सदस्य के रूप में नामित होने के बाद इस साल अप्रैल के पहले हफ्ते में इस्तीफा दे दिया था। तभी से प्रोफेसर मोहम्मद गुलरेज़ एएमयू के लिए अंतरिम वीसी के तौर पर कार्य कर रहे हैं।
आपको बता दें कि नईमा खातून ने एएमयू से मनोविज्ञान में पीएचडी की और उसी विभाग में 1988 में ले̮क्चरर नियुक्त हुईं। साल 2006 में उनका प्रमोशन हुआ और वहीं प्रोफेसर बन गई। इसके बाद साल 2014 में वो महिला कॉलेज की प्रिंसिपल बनीं।