‘एल्गार परिषद’ मामले में एक गवाह ने ‘राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA)’ को बताया कि एक बैठक के दौरान कथित एक्टिविस्ट और बुद्धिजीवी आनंद तेलतुंबड़े ने ‘दलित आतंकवाद’ को नए रूप में पुनर्जीवित करने की बात कही थी। साथ ही उसने माओवादी आंदोलन के ‘क्रन्तिकारी पुनरुत्थान’ की बात भी कही थी। NIA कोर्ट में दायर हुई सप्लीमेंट्री चार्जशीट में ये बयान दर्ज है। भीमा-कोरेगाँव मामले में इस चार्जशीट में 6 गवाहों के बयान दर्ज हैं, जिनमें से किसी की पहचान छिपाई नहीं गई है।
NIA के अनुसार, एक अन्य गवाह ने बताया कि भीमा-कोरेगाँव हिंसा का साजिशकर्ता आनंद तेलतुंबड़े फिलीपींस, पेरू और तुर्की में कई अंतरराष्ट्रीय सम्मेलनों में हिस्सा लिया करता था। वो अकादमिक दौरे के नाम पर ऐसा किया करता था और वहाँ से माओवादी साहित्य वीडियो और डिजिटल रूप में लाया करता था। इन वीडियोज और साहित्य को CPI (माओवादी) के कार्यकर्ताओं को उनके प्रशिक्षण के दौरान दिखाया गया था। बता दें कि ये संगठन प्रतिबंधित है।
साथ ही एक अन्य आरोपित पी वरवरा राव ने माओवादी बैनर तले ‘क्रांति को एकजुट करने’ की बात की थी, वहीं शोमा सेन ने महिलाओं को माओवादी आंदोलन में शामिल होने के लिए मनाया था। हनी बाबू और रोमा विल्सन ने दिल्ली के छात्रों को माओवादी विचारधारा का पाठ पढ़ाया था और माओवादियों के लिए उनके मन में सहानुभूति बिठाई थी। अक्टूबर 9, 2020 को दायर हुए सप्लीमेंट्री चार्जशीट में 8 आरोपित हैं।
आनंद तेलतुंबड़े को अप्रैल 14, 2020 को गिरफ्तार किया गया था। दिसंबर 31, 2017 को हुई ‘एल्गार परिषद’ की बैठक के अगले ही दिन भीमा-कोरेगाँव में जबरदस्त हिंसा भड़की थी। आनंद का भाई मिलिंद तेलतुंबडे भी शहरी क्षेत्रों में माओवादी आंदोलन को तेज करने की साजिश रच रहा था। वो आनंद से दिशानिर्देश लेता रहता था। गवाहों के अनुसार, वो कहा करता था कि उसेक बड़े भाई के कारण ही वो माओवादी बना है।
ये भी खुलासा हुआ है कि जेएनयू का छात्र नेता रहा उमर खालिद उनका ‘अर्बन पार्टी मेंबर’ था और उसे दिल्ली में माओवादी एजेंडा फैलाने के लिए नियुक्त किया गया था। ‘एल्गार परिषद’ की बैठक के दौरान उसने भी भाषण दिया था। गौतम नवलखा, जिसने माओवादियों के लिए साहित्य भी लिख रखा है, उसने एक स्वीडिश लेखक के साथ जंगलों में जाकर माओवादियों से मुलाकात की थी। वो वरवरा राव का अच्छा दोस्त था।
Anand Teltumbde, who taught at IIT-Kharagpur and later at the Goa Institute of Management before his arrest on April 14, is also alleged to have “inspired” his younger brother, Milind Teltumbde, who has been named in the chargesheet.https://t.co/w1tq6517qK
— The Indian Express (@IndianExpress) October 20, 2020
गौतम नवलखा ने ही मानवाधिकार समूहों को माओवादी आंदोलन से जोड़ा था। झारखण्ड में स्टेन स्वामी का अपना अलग संगठन है, NGO है, और ‘अर्बन नक्सल्स’ ने पाया था कि उनकी अलग पहचान है, इसीलिए उन्हें भी जिम्मेदारी सौपी गई थी। बता दें कि आनंद तेलतुंबड़े IIT खड़गपुर में प्रोफेसर रह चुका है। उसका कहना है कि आनंद तेलतुंबड़े कब का घर छोड़ चुका है, इसीलिए उसके कारण उसे फँसाया जा रहा है।
साथ ही राजनैतिक कैदियों के लिए क़ानूनी सपोर्ट मुहैया कराने हेतु विल्सन को लाया गया था। साथ ही दिल्ली में ऐसे दलित छात्रों को चिह्नित किया जाता था, जो पिछड़े परिवारों से आते हैं, इसके बाद उनके मन में माओवादी आंदोलन के लिए सहानुभूति बिठाई जाती थी। सामाजिक कार्यकर्ताओं, डॉक्टरों, अधिवक्ताओं और शिक्षकों के माध्यम से माओवादी विचारधारा फैलाई जा रही है, जिसकी परिणीति अंत में हिंसा के रूप में ही होनी थी।
बता दें कि झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भीमा-कोरेगाँव हिंसा मामले में आरोपित पादरी स्टेन स्वामी के समर्थन में उतर आए थे। स्टेन स्वामी को NIA ने हिरासत में लिया था। हेमंत सोरेन ने पूछा था, “गरीब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने’ वाले 83 वर्षीय वृद्ध ‘स्टेन स्वामी’ को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है?” साथ ही कहा है, “अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद?“