पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्व मंत्री एवं TMC नेता पार्थ चटर्जी (Partha Chatterjee) और अर्पिता मुखर्जी (Arpita Mukherjee) के बीच प्रत्यक्ष वित्तीय संबंध का खुलासा हुआ है। सामने आए दस्तावेजों में कहा गया है कि मुखर्जी ने यह स्वीकार करने से इनकार किया कि उनके अपार्टमेंट से बरामद पैसा उनका है, लेकिन उन्होंने घोटाले की काली कमाई से साल 2011 से 2022 के बीच 18 संपत्तियाँ खरीदी हैं।
रिपब्लिक भारत द्वारा हासिल किए गए दस्तावेजों के अनुसार, अर्पिता मुखर्जी द्वारा खरीदी गई कई संपत्तियों में से एक में पार्थ चटर्जी सह-खरीदार हैं। यह बीरभूम में लगभग 7,300 वर्ग फुट की भूमि का एक टुकड़ा है, जिसे साल 2012 में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी ने मिलकर खरीदा था।
प्रवर्तन निदेशालय (ED) अर्पिता मुखर्जी के दो घरों पर छापेमारी की है। दक्षिण कोलकाता के टॉलीगंज में मुखर्जी के डायमंड सिटी घर पर छापेमारी के दौरान भारतीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में 20 करोड़ रुपए नकद और 2 किलोग्राम सोने के आभूषण जब्त किए गए थे।
वहीं, अर्पिता मुखर्जी के कोलकाता के उत्तरी बाहरी इलाके में स्थित बेलघरिया के एक घर से 27.90 करोड़ रुपए नकद और 6 किलोग्राम सोना ईडी ने बरामद किया था। हालाँकि, उन्होंने ईडी को बताया कि उनके अपार्टमेंट में रखा पैसा उनका नहीं है और उनकी अनुपस्थिति में यह पैसा रखा गया था।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पहले कोलकाता में उसके घरों से 50 करोड़ रुपए से अधिक नकद बरामद किया था। 2 अगस्त 2022 को अर्पिता के बयानों के बाद ईडी ने कोलकाता में उनके अन्य परिसरों पर फिर से छापेमारी की।
ईडी की छापेमारी में यह पाया गया है कि पार्थ चटर्जी के पास बड़ी संख्या में फ्लैट हैं, जिनमें से कई उन्होंने अर्पिता मुखर्जी और मोनालिसा दास सहित अपने ‘करीबी सहयोगियों’ को उपहार में दिए हैं। इससे पहले अर्पिता ने ईडी को बताया था कि पार्थ चटर्जी ने उनके फ्लैट का इस्तेमाल ‘मिनी बैंक’ के तौर पर किया था।
पश्चिम बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला, जिसे आमतौर पर एसएससी घोटाले के रूप में जाना जाता है, 2014-16 का है। एसएससी राज्यस्तरीय चयन परीक्षा (SLT) के माध्यम से आयोजित किया जाता है।
इस दौरान राज्यस्तरीय चयन परीक्षा में शामिल कई उम्मीदवारों ने आरोप लगाया था कि कम अंक प्राप्त करने वाले उम्मीदवारों ने मेरिट सूची में उच्च रैंक प्राप्त किया। उन्होंने कहा कि जो उम्मीदवार मेरिट सूची में नहीं थे, उन्हें भी नियुक्ति पत्र भेजा गया था।
इसके अलावा, वर्ष 2016 में पश्चिम बंगाल माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के तहत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों में समूह सी और समूह डी के कर्मचारियों की भर्ती के संबंध में भ्रष्टाचार के कई आरोप सामने आए। यह मामला इस साल मार्च में तब सामने आया था, जब राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी पाई गई थी।