NCERT भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के अंतर्गत आने वाली एक स्वायत्त संस्था है, जो छात्रों के पाठ्यक्रम के लिए पुस्तकों को तैयार करता है। अब तक इसकी पुस्तकों मे वामपंथी लेखकों और इतिहासकारों के प्रभाव के बारे में चर्चा होती आई है। मोदी सरकार से लोग माँग कर रहे हैं कि NCERT के पाठ्यक्रम में बदलाव के लिए समिति गठित की जाए। अब जम्मू कश्मीर में अनुच्छेद 370 को लेकर पाठ्यक्रम में हुए बदलाव पर विवाद खड़ा हो गया है।
12वीं कक्षा की पुस्तक ‘स्वतंत्र भारत की राजनीति’ में NCERT ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त किए जाने के संबंध मे कुछ बदलाव किया है। लेकिन, बदलाव के नाम पर मोदी सरकार के इस बड़े कदम की कोई पृष्ठभूमि नहीं दी गई और सीधा बता दिया गया है कि जम्मू कश्मीर और लद्दाख नामक दो केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए हैं। अमित शाह ने संसद में इस बारे में हर सवाल का जवाब देते हुए लंबा भाषण दिया था लेकिन NCERT उदासीन बना रहा।
‘दैनिक जागरण’ में वरिष्ठ लेखक अनंत विजय के लेख के अनुसार, इस पुस्तक के ‘क्षेत्रीय आकांक्षाएँ’ नामक अध्याय में ‘जम्मू और कश्मीर’ वाले सेक्शन में ये तो बताया गया है कि अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया था लेकिन बड़ी चालाकी से ये छिपा लिया गया है कि ये एक अस्थायी प्रावधान था। वो लिखते हैं कि इस बारे में अर्धसत्य पढ़ाया जा रहा है क्योंकि इसे संविधान के बाकी प्रावधानों की तरह ही प्रदर्शित किया गया है।
उन्होंने पूछा है कि अगर बच्चों के मन मे ये शंका उठेगी कि किसी प्रदेश को मिले संवैधानिक दर्जे को क्यों खत्म किया गया, तो उन्हें कौन जवाब देगा? साथ ही पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले जम्मू कश्मीर के संबंध में NCERT में लिखा है कि ‘भारत दावा करता है कि इस पर गैर-कानूनी कब्जा किया गया है’। भारत के पक्ष को ‘दावे’ के रूप में दिखाने का औचित्य क्या है? सवाल ये उठता है कि क्या ये भारत से बाहर की पुस्तक है?
कश्मीर पर पाकिस्तान परस्त बातें छात्रों को अब भी पढ़ाई जा रही है।कई तथ्यों का अर्धसत्य बताकर भ्रमित किया जा रहा है।370 को हटाने का ऐतिहासिक निर्णय सिर्फ दो पंक्तियों में और शेख अब्दुल्ला का महिमामंडन विस्तार से। वामपंथ का प्रभाव दिख रहा है।दैनिक जागरण में मेरा स्तंभ pic.twitter.com/hHVnpz2Gv8
— अनंत विजय/ Anant Vijay (@anantvijay) July 26, 2020
जब NCERT की पुस्तक में ये चर्चा की जाती है कि जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री रहे शेख अब्दुल्ला की पार्टी ‘सेक्यलर’ है तो फिर छात्रों को इस बात की भी जानकारी तो दी ही जानी चाहिए कि पहले इसका नाम ‘मुस्लिम कॉन्फ्रेंस’ क्यों था? शेख अब्दुल्ला को भारत सरकार ने 14 वर्ष के लिए जेल में रखा था, इस बारे में कोई जानकारी क्यों नहीं दी गई है? इस तरह से छात्रों को भ्रमित किया जा रहा है।
साथ ही इसमें ये भी लिखा है कि जम्मू कश्मीर के बाहर के लोगों का सोचना था कि अनुच्छेद 370 के कारण ही जम्मू कश्मीर का भारत में पूर्ण एकीकरण नहीं हो पा रहा है। यहाँ जम्मू कश्मीर और वहाँ के बाहर के लोगों को अलग-अलग बता कर दिखाया गया है और ऐसा प्रदर्शित किया गया है कि दोनों की देश को लेकर सोच अलग है। पृष्ठ 155 पर लिखा है कि भारतीय संघ में जम्मू कश्मीर के दर्जे को लेकर विवाद है।
अनंत विजय ने सवाल उठाया है कि नामवर सिंह से लेकर रोमिला थापर तक NCERT की पुस्तकों के लिए नीति निर्धारण करते रहे हैं और इसका ही परिणाम है कि आज बच्चों को ये सब पढ़ाया जा रहा है। जिन पुस्तकों में ये सब दिया गया है, उन्हें केन्द्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के छात्र पढ़ते हैं। इससे ये सवाल उठता है कि आधी-अधूरी जानकारी देकर छात्रों को भ्रमित क्यों किया जा रहा है? सरकार इस पर कब विचार करेगी?