राजस्थान से दो बड़ी खबरें सामने आयीं हैं। पहली खबर महिला उत्पीड़न को लेकर है। हाल ही में सामने आए आँकड़ों से यह पता चला है कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामले में राजस्थान देश में टॉप पर है। दूसरी ओर, कर्ज के बोझ तले दबे राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार मृतक पूर्व विधायकों के 25 वर्ष तक के आश्रित पुत्र-पुत्रियों को पेंशन देने पर विचार कर रही है। यही नहीं, यदि किसी मृतक पूर्व विधायक के माता-पिता जीवित हैं तो उन्हें भी पेंशन देने का विचार किया जा रहा है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, राज्य के एक पूर्व विधायक की पुत्री ने पेंशन की माँग को लेकर राज्य सरकार को एक पत्र लिखा था। इसके बाद राजस्थान सरकार नए पेंशन नियम पर विचार कर रही है।
बता दें कि वर्तमान में छत्तीसगढ़, दिल्ली एवं मध्य प्रदेश में ही मृतक पूर्व विधायकों के 25 साल तक की उम्र के आश्रित बच्चों को पेंशन दी जा रही है। जबकि, राजस्थान में फिलहाल मृतक पूर्व विधायकों की पत्नी को ही पेंशन दी जा रही है। लेकिन, यदि मृतक विधायकों के पुत्र-पुत्रियों को पेंशन देने का नियम लागू किया जाता है तो राजस्थान सरकार पर अतिरिक्त बोझ पड़ना तय माना जा रहा है। फिलहाल राजस्थान सरकार 4 लाख 77 हजार करोड़ रुपए के कर्ज के बोझ तले दबी हुई है।
मृतक विधायकों के आश्रितों को पेंशन देने के इस प्रस्ताव को लेकर राजस्थान वित्त एवं संसदीय कार्य विभाग परीक्षण कर रहा है। मंगलवार (30 अगस्त, 2022) को इन दोनों ही विभागों के अधिकारियों की बैठक में इस प्रस्ताव पर चर्चा की गई है। इस परीक्षण के लिए विधानसभा से ऐसे मृतक पूर्व विधायकों का विवरण मँगाया जा रहा है, जिनके आश्रित पुत्र-पुत्री 25 वर्ष से कम उम्र के हैं।
‘दैनिक जागरण’ ने अपनी एक रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि मृत विधायकों के आश्रितों से जुड़ी जानकारी विधानसभा से मिलने के बाद सरकार पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ का अध्ययन किया जाएगा। इसके बाद, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत आगामी बजट में इस बारे में घोषणा कर सकते हैं। हालाँकि, राज्य सरकार मृत विधायकों के आश्रितों को कितनी पेंशन देने पर विचार कर रही है, यह अब तक स्पष्ट नहीं है।
महिला उत्पीड़न में टॉप पर राजस्थान
ये भी सामने आया है कि राजस्थान महिला उत्पीड़न के मामले में टॉप पर है। हाल ही में ‘राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (NCRB)’ ने महिलाओं पर हुई हिंसा और अत्याचार को लेकर आँकड़े जारी किए हैं। इन आँकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और अत्याचार के मामले में राजस्थान देश में नंबर एक पर है। यदि सिर्फ बलात्कार के आँकड़ों की बात करें तो राजस्थान में साल 2021 में 6377 बलात्कार के मामले सामने आए। ये साल 2020 के 5310 की तुलना में कहीं अधिक है।