राम मंदिर पर आज सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्षकार ज़फ़रयाब जिलानी ने ‘मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड’ का पक्ष रखा और वरिष्ठ वकील मिनाक्षी अरोड़ा ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) के रिपोर्ट पर आपत्ति जताते हुए अपनी बात रखी। जिलानी ने अदालत को बताया कि सुन्नी वक्फ बोर्ड राम चबूतरे को जन्मस्थान नहीं मानता है। जिलानी ने कहा कि ऐसा हिन्दुओं की ही ऐसी आस्था है कि राम चबूतरा जन्मस्थान है, हमनें इसे स्वीकार नहीं किया है। जिलानी ने कहा कि डिस्ट्रिक्ट जज ने कहा था कि चबूतरा जन्मस्थान है, हमनें अपनी ओर से ऐसा कभी नहीं कहा।
जिलानी ने सन 1862 की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि राम जन्मस्थान विवादित स्थल पर नहीं बल्कि कहीं और है। उन्होंने कुछ कागज़ात दिखाते हुए दावा किया कि यहाँ हिन्दुओं द्वारा पूजा नहीं की जाती थी। उन्होंने दावा किया कि रामकोट किले को राम का जन्मस्थान माना जाता है। जब जज ने पूछा कि क्या वह मानते हैं कि राम का जन्मस्थान राम चबूतरे को माना जाता था, तो जिलानी ने कहा कि ऐसा हिन्दुओं का मानना है। जिलानी ने कहा कि मुख्य गुम्बद के नीचे जन्मस्थान होने की बातें 1989 के बाद की जाने लगी।
#RamMandir – #BabriMasjid: Jilani relying on gazetteers to buttress the case that there was no worship by Hindus in the disputed structure.
— Bar & Bench (@barandbench) September 25, 2019
जिलानी ने कहा कि 1950 से 1989 तक फाइल किए गए किसी भी सूट में मुख्य गुम्बद के नीचे जन्मस्थान होने के जिक्र नहीं है। जिलानी द्वारा अपनी दलीलें ख़त्म करने के बाद अधिवक्ता मीनाक्षी अरोड़ा ने एएसआई की रिपोर्ट्स को लेकर अपनी बात रखी। अरोड़ा ने कहा कि एक अदालत ने 1863 में मंदिर की माँग को ख़ारिज करते हुए कहा था कि जब 350 सालों के बाद यथास्थिति को बदलना सही निर्णय नहीं होगा। अरोड़ा ने पूछा कि क्या अब 500 सालों के बाद यथस्थिति को बदल देना एक सही फ़ैसला होगा?
मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पुरातत्व कोई फिजिक्स या केमिस्ट्री जैसा विज्ञान नहीं है, यह सामाजिक विज्ञान है। अरोड़ा ने कहा कि कार्बन डेटिंग जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है लेकिन इस मामले में ऐसा नहीं किया गया। अरोड़ा ने कहा कि चूँकि, आर्कियोलॉजी एक नेचुरल साइंस नहीं है, इसके रिपोर्ट्स में यथार्थता नहीं है। उन्होंने दावा किया कि पुरातत्व ने अभी तक ऐसा कोई निष्कर्ष नहीं दिया है, जिसे वेरीफाई किया जा सके।
#RamMandir – #BabriMasjid: If you are saying it is vague and not exact, then it cannot be called a science, Justice Bobde disputing Meenakshi Arora.
— Bar & Bench (@barandbench) September 25, 2019
Meenakshi Arora says Archeology is not natural science like Physics, Chemistry, so it is not precise.
मीनाक्षी अरोड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया कि पुरातत्व विशेषज्ञ सिर्फ़ अनुमान लगाते हैं, यथार्थ नहीं बताते। मीनाक्षी ने कहा कि अगर पुरातात्विक रिपोर्ट को ‘एक्सपर्ट ओपिनियन’ भी माने तो इसे एविडेंस एक्ट के सेक्शन 45 के तहत जाँचना ज़रूरी है। अरोड़ा के अनुसार, एएसआई के रिपोर्ट्स में कई त्रुटियाँ हैं, विरोधाभास हैं। उन्होंने कहा कि यह एक कमज़ोर सबूत है, जो सिर्फ़ आर्कियोलॉजिस्ट्स के विचार भर हैं।