असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि पीड़ित बंगाली हिन्दू नहीं बल्कि रोहिंग्या मुस्लिम घुसपैठिए ही देश में घुस रहे हैं। उन्होंने बताया है कि बीते दो महीने में असम सीमा पर पकड़े गए सभी अवैध घुसपैठिए रोहिंग्या ही हैं। उन्होंने पश्चिम बंगाल से भी घुसपैठियों की पहचान में सहयोग करने को कहा है।
गुवाहाटी में रविवार (27 अक्टूबर, 2024) को CM सरमा ने घुसपैठ की समस्या पर बात की। उन्होंने कहा, “पिछले दो महीनों में हमने 138 घुसपैठियों का पता लगाया है और उन्हें वापस भी भेज दिया है। लेकिन एक बात मैं फिर से दोहराना चाहता हूँ कि बांग्लादेश में उत्पीड़न के चलते हिंदुओं के भारत में आने के कयासों के उलट हम घुसपैठियों में केवल रोहिंग्या मुसलमानों को ही देख रहे हैं ना कि हिंदू बंगाली। हिंदू बंगाली हमारे देश के भीतर नहीं आ रहे।”
Assam CM Himanta Biswa Sarma says, "Every day in the last two months, we have captured either one or a group of foreigners in our state. My feeling is that, because of the porous boundary between India and Bangladesh, despite best efforts by BSF, some people are still coming to… pic.twitter.com/UudNqLw0AF
— ANI (@ANI) October 27, 2024
उन्होंने कहा कि बीते दो माह में असम की सीमा पर 138 अवैध घुसपैठिए पकड़े गए और यह सारे ही रोहिंग्या मुस्लिम थे। उन्होंने कहा कि हिंदू बंगालियों के बारे में लगाए गए सारे कयास गलत साबित हुए हैं। उन्होंने हर राज्य से रोहिंग्या घुसपैठ पर सतर्क रहने को कहा है।
CM सरमा ने बताया है कि उन्होंने कुछ ऐसे लोगों की पहचान भी की है जो भारत में घुसपैठ के बाद वापस बांग्लादेश जाते हैं और नए घुसपैठियों को लाते हैं। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश से आने वाले जिन घुसपैठियों को असम रोक रहा है, वह पश्चिम बंगाल के रास्ते फिर घुस सकते हैं। CM सरमा ने कहा है कि यदि पश्चिम बंगाल सहयोग करे तो घुसपैठिए भारत में नहीं आ पाएँगे।
CM सरमा ने असम के अलावा त्रिपुरा द्वारा घुसपैठ रोकने के लिए किए गए प्रयासों की भी तारीफ़ की है। CM सरमा ने यह भी कहा कि उन्हें इससे मतलब नहीं है कि बांग्लादेश से कौन आ रहा है, वह बांग्लादेश से अवैध रूप से घुसने वाले लोगों को वापस भेजना चाहते हैं।
गौरतलब है कि म्यांमार से आने वाले रोहिंग्या घुसपैठिए लगातार भारत में घुसने की कोशिश करते रहते हैं। रोहिंग्या घुसपैठियों की बड़ी संख्या भारत में पहले ही आ चुकी है। असम, [पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा के रास्ते घुसने वाले यह घुसपैठिए बाद में देश के अलग-अलग हिस्से में फ़ैल जाते हैं।