अपने घर में टीवी देखने पर असम में एक ग़रीब परिवार की महिला के साथ स्थानीय कट्टरपंथियों ने मारपीट की। पड़ोसियों ने रमजान का हवाला देकर महिला को टीवी चलाने से मना किया। इसके बाद वे धारदार हथियार लेकर एक दर्जन की संख्या में जुट गए और महिला के साथ मारपीट करने लगे। महिला की हत्या की कोशिश भी की गई।
इस मामले में पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। ऑपइंडिया ने बजरंग दल के स्थानीय पदाधिकारी बिजोय दास से बातचीत की, जो अपने कार्यकर्ताओं के साथ पीड़ित महिला के घर की सुरक्षा में लगे हुए थे। उन्होंने बताया कि पुलिस ने हल्की धाराएँ लगाई हैं, जबकि ये मामला उससे कहीं बड़ा है। बजरंग दल के कार्यकर्ता पुलिस थाने से लेकर घर पर सुरक्षा देने तक, लगातार पीड़ित परिवार की मदद कर रहे हैं।
पीड़ितों ने बताया कि समीररूद्दीन अली और मोबिदुल रहमान ने महिला पर वार किया। साथ ही उन्होंने गाली-गलौज भी की। ये घटना असम के शिबसागर जिले में स्थित नाज़िरा कसबे की है, जहाँ उक्त महिला चाय की दुकान चलाती है। ये घटना तब हुई, जब वह शुक्रवार (मई 1, 2020) को दुकान से लौटने के बाद घर में टीवी देख रही थी। टीवी की साउंड भी ज्यादा नहीं थी और पड़ोसियों का घर भी वहाँ से कुछ दूरी पर स्थित है।
तब भी आसपास के लोग वहाँ जुट कर ये कहने लगे कि ये रमजान का पाक महीना चल रहा है, टीवी मत चलाओ। पीड़िता का नाम जाह्नोबी गोगोई है। 39 वर्षीय गोगोई के साथ गाली-गलौज करते हुए मजहबी पड़ोसियों ने कहा कि उन्हें टीवी की वजह से संध्या नमाज में दिक्कतें आ रही हैं। उन्होंने चेताया कि अगर महिला ने स्थानीय लोगों द्वारा रमजान महीने के लिए तय किए गए नियमों का पालन नहीं किया तो अंजाम बहुत बुरा होगा।
दो लोगों के गाली-गलौज के बाद ये मामला तब हिंसक हो गया जब वहाँ आसपास के कई लोग जुट गए और महिला को मार डालने की बातें करने लगे। कोई रेलवे ट्रैक पर फेंक देने की बातें कर रहा था तो कोई काट डालने की धमकी दे रहा था। एक आरोपित ने तो गला दबा कर मार डालने की कोशिश की। एक ने धारदार हथियार लेकर काट डालने की धमकी दी। पीड़िता ने बताया कि वह चाय-नाश्ते की दुकान चला कर किसी तरह अपना गुजर-बसर करती है।
कोरोना आपदा के बीच उसके पति भी बेरोजगार हैं और 8 साल के बच्ची के पालन-पोषण की जिम्मेदारी भी महिला पर ही है। घर में संसाधन का भी अभाव है। महिला ने बताया कि लॉकडाउन में थोड़ी ढील के बाद उसने अपना चाय-नाश्ते की दुकान फिर से खोली थी। कई दिनों से घर में आमदनी नहीं आ रही थी। अब रमजान में इस तरह का विवाद खड़ा होने के बाद परिवार पूरी तरह डरा हुआ है।
इस घटना के बाद पीड़ित महिला आवेदन लिखवाने के लिए एक व्यक्ति के पास गई। डर के माहौल में उसे ये नहीं पता चला कि जिस व्यक्ति के पास वो आवेदन लिखवाने गई है वो भी समुदाय विशेष से ही है। जब पीड़िता ने अपनी बात लिखवानी शुरू की तो उसने जान-बूझकर उसमें छेड़छाड़ कर दी। घटना को कम कर के लिख दिया और मजहाबी कट्टरपंथियों द्वारा किए गए अत्याचार को छिपा दिया। इससे थाने में भी भ्रम का माहौल पैदा हो गया।
थाने में पुलिस को लगा कि महिला बोल कुछ और रही है और आवेदन में कुछ और है। राष्ट्रीय बजरंग दल के डिस्ट्रिक्ट सेक्रेटरी बिजोय दास व अन्य लोगों ने मिल कर वीडियो फुटेज और अन्य सबूत पुलिस को सौंपे। पुलिस ने उन्हें सलाह दी कि वो ये वीडियोज डिलीट कर लें क्योंकि इसके वायरल होने से सांप्रदायिक तनाव फैलने का डर है। हालाँकि, ऑपइंडिया से बातचीत के दौरान नाज़िरा थाना पुलिस ने कहा कि केस रजिस्टर किया जा चुका है और आरोपितों के ख़िलाफ़ कार्रवाई की जा रही है।
In #Assam, Muslim threatens Assamese Hindu family for watching TV in the month of Ramzan. They tried to strangulate her, and threatens with a big machete to cut them, while neighbours join to burn them alive, and through them in Railway track. @KapilMishra_IND pic.twitter.com/R07r4mAkRE
— Oxomiya🇮🇳 (@SouleFacts) May 3, 2020
स्थानीय मीडिया ने भी इस ख़बर को अपने हिसाब से ही दिखाया। पूरी बात नहीं दिखाई गई। महिला ने बताया कि वो तो टीवी पर गाने वगैरह भी नहीं देख रही थी, वो बस समाचार देख रही थी। असल में जाह्नोबी हिन्दू हैं लेकिन उन्होंने दूसरे मजहब में शादी की थी। शादी के बाद पति ने भी स्वेच्छा से हिन्दू धर्म अपना लिया था। इसके बाद से ही वे लोग स्थानीय लोगों की नज़र में चढ़े हुए हैं।
ये इलाक़ा कॉन्ग्रेस पार्टी का गढ़ भी माना जाता है, क्योंकि पूर्व मुख्यमंत्री हितेश्वर सैकिया का परिवार यहाँ दशकों से प्रभावी रहा है। फ़िलहाल उनके बेटे देबब्रत यहाँ से विधायक हैं। हालाँकि, ये इलाक़ा जोरहाट लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता हैं, जहाँ से भाजपा के तोपोन गोगोई सांसद हैं। लेकिन, इससे पहले 1991 से लेकर 2014 तक लगातार 23 साल यहाँ से कॉन्ग्रेस बिजोय कृष्णा हांडिक जीतते रहे थे।
स्थानीय मीडिया की ख़बरों में कहा गया है कि समीरउद्दीन मूल रूप से बांग्लादेशी है और एनआरसी में उसका नाम भी नहीं आया था। इसके बाद से वह और भी बौखलाया हुआ है। उनलोगों की कॉन्ग्रेस में गहरी पैठ है और मजहब विशेष के स्थानीय लोग किसी भी बात को लेकर कॉन्ग्रेस नेताओं के पास ही जाते हैं। हमने स्थानीय सांसद से संपर्क करने की कोशिश की लेकिन उनसे बात नहीं हो पाई।