असम के बारपेटा जिले के गनक कुची गाँव के एक वैष्णव मठ में तोड़फोड़ करने और धार्मिक स्थल को अपवित्र करने के आरोप में पुलिस ने गुरुवार (3 सितंबर, 2019) को रफीकुल अली को गिरफ्तार किया। आरोपित बरपेटा कस्बे के भैला क्षेत्र के शांतिपुर का निवासी है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, अली ने गुरु आसान और श्री राम अता भिठी के मठ में रखी हिंदू पवित्र पुस्तक भगवद गीता को आग में झोंक दिया था। आरोपित ने मठ के प्रार्थना कक्ष में तोड़फोड़ भी की थी। इस घटना के बाद इलाके में तनाव का माहौल पैदा हो गया। बता दे जिस वक्त घटना को अंजाम दिया गया, कोई भी मठ के भीतर मौजूद नहीं था।
रिपोर्ट्स के अनुसार, यह मठ 16 वीं शताब्दी में श्री माधवदेव द्वारा स्थापित किया गया था, जोकि श्रीमंत शंकरदेव के मुख्य शिष्य थे। गुरुवार को लगभग 2 बजे के आसपास रफीकुल ने मठ में प्रवेश किया। उसने पहले तोड़फोड़ की फिर गुरु आसन और अन्य वस्तुओं को मठ से बाहर लाकर आग लगा दी। इतना ही नहीं उसने मठ में रखे प्रसाद को भी फेंक दिया।
मठ से आग की लपटें और धुँए को उठता देख स्थानीय लोगों ने मौके पर पहुँचकर आरोपित को रंगेहाथ दबोच लिया। फिर उसे पुलिस को सौंप दिया गया। बारपेटा के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मठ का दौरा किया। गनक कूची सत्र समिति ने मामले को लेकर पुलिस में औपचारिक शिकायत दर्ज कराई है।
बता दें गुरु आसन एक सात-स्तरीय लकड़ी का सिंहासन है जो गुरु के बैठने और आसन का प्रतिनिधित्व करता है। यह आसन सातरा को मणिकुट में रखा जाता है, जिसकी तुलना मंदिरों के गुप्त पवित्रगृह से की जा सकती है। वहीं मूर्ति का खंडन होने की वजह से इसकी पूजा अब नहीं की जाएगी। वैष्णव सत्र और असम में नामघरों में खंडित मूर्तियों की पूजा नहीं की जाती है।
गौरतलब है कि पिछले साल 8 अक्टूबर को भी रफीकुल अली ने लक्ष्मी मन्दिर में घुस कर आग लगा दी थी। उस पर इसके अलावा देवी के सोने-चाँदी के आभूषण चुराने, मन्दिर की फ़र्श तोड़ने और मन्दिर में लगे आगामी लक्ष्मी पूजा की जानकारी देने वाले पोस्टर फाड़ने का भी आरोप लगा था। लक्ष्मी मन्दिर बारपेटा के उत्कुची इलाके में स्थित है। उस समय भी घटना के बाद लोगों ने उसे पकड़ कर पुलिस के हवाले कर दिया था।