राजस्थान की विधानसभा में कुल 200 सीटें हैं, लेकिन इस बार भी सिर्फ 199 सीटों पर ही मतदान हो रहा है। इसके पीछे कारण यह है कि श्रीगंगानगर जिले के करणपुर विधानसभा सीट से विधायक और कॉन्ग्रेस उम्मीदवार गुरमीत सिंह कुन्नर का निधन हो गया है। इस कारण से चुनाव आयोग ने इस सीट पर मतदान को फिलहाल को स्थगित कर दिया गया है।
गुरमीत सिंह 75 साल के थे। उन्हें 12 नवंबर 2023 को दिल्ली के AIIMS के जेरिएट्रिक मेडिसिन वॉर्ड में भर्ती कराया गया था। उनका सेप्टिक शॉक और गुर्दे की बीमारी के साथ सेप्सिस से मौत हो गई। वे हाई ब्लड प्रेशर से भी पीड़ित थे। गुरमीत सिंह की मौत के बाद अब करणपुर विधानसभा सीट पर बाद में मतदान होगा। इसका निर्णय चुनाव आयोग लेगा।
यह पहली बार नहीं है कि 199 सीटों पर ही मतदान हो रहा है। इससे पहले साल 2018 में रामगढ़ के बासपा प्रत्याशी लक्ष्मण का निधन हो गया था। इसके बाद पहले इस विधानसभा सीट पर मतदान नहीं हुआ था। इसी तरह से साल 2013 में चुरू से बसपा प्रत्याशी जगदीश मेघवाल का निधन हो गया था। इस कारण इस सीट पर मतदान नहीं हुआ था।
इसे संयोग कहें या कुछ और, लेकिन हकीकत यही है कि राजस्थान विधानसभा चुनाव का इतिहास रहा है कि यहाँ कभी भी सभी 200 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव नहीं हुए हैं। किसी न किसी प्रत्याशी की मौत के कारण एक ना एक सीट पर मतदान को स्थगित करना ही पड़ा है।
इस प्रथा को लेकर लोगों का एक अलग तर्क है। प्रगतिशील इसे अंधविश्वास से जोड़ सकते हैं। वहीं, परंपरा में विश्वास करने वाले इसके दूसरा तर्क दे सकते हैं। विधानसभा चुनाव में मतदान से पहले किसी न किसी प्रत्याशी की मौत की पीछे लोग राजस्थान के नए विधानसभा भवन को शापित होने की बात कहते हैं।
नए विधानसभा भवन के शापित होने की बात प्रदेश के कई विधायक भी कह चुके हैं। राजस्थान विधानसभा का नया भवन साल 2001 में बना था। इसके बाद से नए भवन 200 विधायक एक साथ कभी नहीं हो पाए। विधायक रहते हुए कई नेताओं की मौत भी हो गई है। पिछले साल विधायक भंवरलाल शर्मा के निधन के बाद भी यह बात उठी थी।
शर्मा के निधन के बाद पूर्व विधायक हबीबुर्रहमान ने कहा था कि राजस्थान विधानसभा का नया भवन ‘शापित’ है और इसमें भूतों का साया है। उन्होंने इस विधानसभा भवन में पूजा-पाठ करने की माँग की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि जिन किसानों की जमीन पर यह भवन बना है, उन्हें मुआवजा नहीं दिया गया है। किसानों को जब तक मुआवजा नहीं दिया जाएगा, तब तक भवन में 200 विधायकों की संख्या पूरी नहीं होगी।
हबीबुर्रहमान ने कहा था, “विधानसभा की बिल्डिंग में कोई न कोई ऐसी आत्मा बैठी है, जिसे यह लगता है कि उसके साथ अन्याय हुआ है। इसीलिए यहाँ कभी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठ सके। विधानसभा भवन में अनुष्ठान करवाया जाना चाहिए। जो भी आत्मा है, उसकी संतुष्टि के लिए उपाय करना चाहिए।”
इस पूर्व विधायक ने पिछले साल कहा था, “जब हरिशंकर भाभड़ा पुरानी विधानसभा में स्पीकर थे, तब विधानसभा की इस नई बिल्डिंग बनाने के लिए डेलिगेशन ने दौरा किया था। उस डेलिगेशन में मैं भी था। विधानसभा की इस जमीन पर एक तरफ नगर निगम कचरा डालता था। एक तरफ श्मशान था। दूसरी तरफ बच्चों का कब्रिस्तान। एक तरफ लोग खेती करते थे, एक कुंआ भी था।”
हबीबुर्रहमान ने आगे दावा किया था, जब यह जमीन अधिग्रहित की गई थी, उस समय किसानों से मुआवजे का वादा किया गया होगा। जिन किसानों से जमीन ली गई, उन्हें आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। उस वक्त हमारे पास कई बुजुर्ग लोग आए थे। बिना मुआवजे के कई लोगों की मौत हो चुकी है।”
उन्होंने कहा था कि यहाँ पर किसी की तो बद्दुआ है। जब विधानसभा भवन बन रहा था, तब निर्माणाधीन भवन की लिफ्ट में गिरने से भी कुछ मजूदरों की मौत हुई थी। बता दें कि मौजूदा कॉन्ग्रेस नेता हबीबुर्रहमान उस वक्त भाजपा से विधायक थे। उन्होंने कहा था कि भवन में पूजा-पाठ करवाया जाना चाहिए और किसानों को मुआवजा देना चाहिए।
तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार में भी इस भवन में पूजा पाठ करवाने की माँग उठी थी। फरवरी 2018 में बजट सत्र के दौरान तत्कालीन सरकार के मुख्य सचेतक कालूलाल गुर्जर ने विधानसभा भवन में पूजा-पाठ करवाने की माँग की थी।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, नए विधानसभा भवन में कभी भी 200 विधायक साथ नहीं बैठे हैं। कभी किसी विधायक की मृत्यु हो गई तो कभी किसी को जेल जाना पड़ा। कभी ऐसा भी हुआ है कि कोई विधायक संसद सदस्य चुन लिया गया तो कभी किसी विधायक को राज्यपाल बनाकर भेज दिया गया।
दरअसल, राजस्थान विधानसभा के नए भवन का निर्माण साल 1994 में शुरू हुआ था और मार्च 2001 में बनकर तैयार हुआ था। इस भवन को राजधानी जयपुर में लालकोठी के पास 16.96 एकड़ भूमि पर बनाया गया है। अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस इस विधानसभा भवन में एक साथ 260 सदस्यों के बैठने की व्यवस्था की गई है।
साल 2001 में जब इस भवन का उद्घाटन किया जाना था, तब भी अपशगुन हुआ था। 25 फरवरी 2001 को तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायण को इस भवन का उद्घाटन करने के लिए बुलाया गया था, लेकिन उद्घाटन समारोह से ठीक पहले ही राष्ट्रपति बीमार पड़ गए। इस कारण वे उद्घाटन नहीं आ सके और बिना उद्घाटन के लिए नया भवन शुरू हो गया।
कहा जाता है कि विधानसभा भवन के पास ही एक श्मशान स्थल है। इस श्मशान घाट को लेकर भी लोग भवन पर सवाल उठाते रहे रहे हैं। दूसरी बात भवन की जमीन को लेकर है। कहा जाता है कि जिन किसानों की जमीन लेकर यह भवन बना है, उन्हें आज तक मुआवजा नहीं दिया गया। इस कारण कई किसानों की जीविका हमेशा के लिए छिन गई थी।
खैर, जो भी हो लेकिन सच्चाई यही है कि राजस्थान के इस नए विधानसभा भवन में कभी भी सभी 200 विधायक एक साथ नहीं बैठे। इसके साथ ही पिछले 15 सालों से कभी भी सभी 200 सीटों पर एक साथ मतदान नहीं हो पाया है।