Monday, December 23, 2024
Homeदेश-समाज'काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जब प्रार्थना करते हैं तो महसूस होता...

‘काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्मस्थान मंदिर में जब प्रार्थना करते हैं तो महसूस होता है कि हम आज भी गुलाम हैं’

लोगों ने इस ऐतिहासिक क्षण को अभूतपूर्ण बताते हुए भावुक नजर आए। लोग इस दिन को दिवाली मानकर एक दूसरे को बधाईयाँ दे रहे हैं। इस बीच कर्नाटक के ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने काशी विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान को लेकर आवाज उठाई है।

अयोध्या में भव्य राम मंदिर के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार (अगस्त 5, 2020) को भूमि पूजन के बाद शिलान्यास किया। अब मंदिर निर्माण शुरू हो जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस चीफ मोहन भागवत समेत करीब 175 लोग इस ऐतिहासिक लम्हे का गवाह बने। पीएम मोदी ने अभिजीत मुहूर्त में मंदिर का शिलान्यास किया।

लोगों ने इस ऐतिहासिक क्षण को अभूतपूर्ण बताते हुए भावुक नजर आए। लोग इस दिन को दिवाली मानकर एक दूसरे को बधाईयाँ दे रहे हैं। इस बीच कर्नाटक के ग्रामीण विकास एवं पंचायत राज मंत्री केएस ईश्वरप्पा ने काशी विश्वनाथ और मथुरा में कृष्ण जन्मस्थान को लेकर आवाज उठाई है।

केएस ईश्वरप्पा ने ट्वीट करते हुए लिखा, यह एक अच्छा दिन है। राम मंदिर के लिए आधारशिला रखी गई है। अब एक सुंदर मंदिर बनेगा, लेकिन काशी विश्वनाथ और कृष्ण जन्मस्थान मंदिर को मुक्त किया जाना बाकी है।

उन्होंने एक ट्वीट में आगे लिखा, “इन दोनों जगहों पर, जब हम प्रार्थना करते हैं, तो दोनों ओर मस्जिदें होती हैं, जो कहती हैं कि आप अब भी गुलाम हैं। इन मंदिरों को मुक्त करना आवश्यक है।”

गौरतलब है कि भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने बीते दिनों एक इंटरव्यू में कहा था, “हमें तीन मंदिर चाहिए। एक राम मंदिर, दूसरा कृष्ण जन्मस्थान मथुरा का कृष्ण मंदिर और तीसरा काशी विश्वनाथ। काशी विश्वनाथ और कृष्ण मंदिर के तो सबूत भरपूर हैं। ये (राम मंदिर) सबसे मुश्किल था।”

सुब्रह्मण्यम स्वामी ने दोनों जगहों पर जमीन अधिग्रहित करने की केंद्र सरकार से मॉंग की थी। इससे पहले भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधिकारी रहे केके मुहम्मद ने कहा था कि मथुरा-काशी हिंदुओं के लिए मक्का-मदीना जैसा है। साथ ही उन्होंने दूसरे समुदाय से ये दोनों जगह हिंदुओं को सौंप देने की अपील की थी।

पिछले दिनों काशी-मथुरा को लेकर जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने वकील एजाज मकबूल के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल करके हिंदू पुजारियों की याचिका का विरोध किया था।

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की ओर से दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि हिंदू पुजारियों की याचिका पर नोटिस न जारी किया जाए। उनका कहना था कि मामले में नोटिस जारी करने से समुदाय के लोगों के मन में अपने इबादत स्थलों के संबंध में भय पैदा होगा।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

किसी का पूरा शरीर खाक, किसी की हड्डियों से हुई पहचान: जयपुर LPG टैंकर ब्लास्ट देख चश्मदीदों की रूह काँपी, जली चमड़ी के साथ...

संजेश यादव के अंतिम संस्कार के लिए उनके भाई को पोटली में बँधी कुछ हड्डियाँ मिल पाईं। उनके शरीर की चमड़ी पूरी तरह जलकर खाक हो गई थी।

PM मोदी को मिला कुवैत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर’ : जानें अब तक और कितने देश प्रधानमंत्री को...

'ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर' कुवैत का प्रतिष्ठित नाइटहुड पुरस्कार है, जो राष्ट्राध्यक्षों और विदेशी शाही परिवारों के सदस्यों को दिया जाता है।
- विज्ञापन -