अयोध्या में वाटर मेट्रो सेवा शुरू होने जा रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 22 जनवरी 2024 को इस सेवा का उद्घाटन कर सकते हैं। इसी दिन अयोध्या में रामलला के भव्य मंदिर में भगवान राम के बाल स्वरूप की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इस खास वाटर मेट्रो सेवा के लिए दो बड़ी बोट का इस्तेमाल किया जाएगा। दोनों बोट कोचीन शिपयार्ड से बनकर अयोध्या पहुँच चुकी हैं। ये उत्तर प्रदेश में पहली वाटर मेट्रो सेवा होगी।
भारतीय अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण व मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट शिपिंग एंड वाटरवेज गवर्नमेंट ऑफ इंडिया की ओर से दो फ्लोटिंग जेटी भी भेजे गए हैं। इसमें से एक तुलसीदास घाट पर रहेगी, तो दूसरी को गुप्तार घाट पर लगाया जाएगा। जानकारी के मुताबिक, 9 नवंबर 2023 को अयोध्या में हुई सीएम योगी कैबिनेट की बैठक में जल मार्ग प्राधिकरण के गठन का प्रस्ताव पास किया गया था। उसी कड़ी में अयोध्या को पहली सौगात वाटर मेट्रो के रूप में मिली है।
सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद वाटर मेट्रो की सवारी भी कर सकते हैं, इसके लिए प्रशासनिक तैयारियाँ भी चल रही हैं। इस वाटर मेट्रो के लिए खास तौर पर वो बड़ी ऑटोमेटिक नावें लगाई जाएँगी, जिसमें एसी केबिन की व्यवस्था भी होगी। वाटर मेट्रो पर एक साथ करीब 100 लोग सवार हो सकते हैं और सरयू नदी में मेट्रो की सवारी कर पूरी अयोध्या नगरी को निहार सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, कलकत्ता से वाटर मेट्रो अयोध्या पहुँच गई है। इसे संत तुलसीदास घाट पर रोका गया है। 16 नाविक इसे लेकर कोलकाता से आए हैं।
भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक अयोध्या में यह वाटर मेट्रो तुलसीदास घाट से गुप्तार घाट तक चलेगी। वाटर मेट्रो का उद्देश्य अयोध्या में पर्यटन को बढ़ावा देना और शहर के भीतर आवागमन को आसान बनाना है। यह शहर के प्रदूषण को कम करने में भी मदद करेगा। वाटर मेट्रो सेवा अयोध्या के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह शहर को एक आधुनिक और टिकाऊ परिवहन प्रणाली प्रदान करेगी।
गौरतलब है कि अयोध्या के श्रीराम मंदिर में 22 जनवरी 2024 को रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा होगी। इसके लिए तैयारियाँ जोरों-शोरों से हो रही हैं। इस अवसर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी उपस्थित रहेंगे। इनके अतिरिक्त 3000 वीआईपी समेत 7000 लोगों को निमंत्रण भेजे गए हैं। इनमें उन कारसेवकों के परिवार भी हैं, जिन्होंने राम मंदिर के लिए अपना बलिदान दिया। ट्रस्ट का कहना है कि आयोजन में 10000 से 15000 लोगों के आने का इंतजाम होगा।
ये भी मालूम हो कि रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा 86 साल के पंडित लक्ष्मीकांत मथुरानाथ दीक्षित कराएँगे। बता दें कि जब महाराष्ट्र के ब्राह्मणों ने छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक करने से मना कर दिया था, तब पंडित दीक्षित के पूर्वजों ने उनका राजतिलक किया था।