13 अक्टूबर 2024 को बहराइच के महाराजगंज में दुर्गा विसर्जन जुलूस पर हमला हुआ था। राम गोपाल मिश्रा की हत्या कर दी गई थी। 70 वर्षीय बुजुर्ग विनोद मिश्रा और दिव्यांग सत्यवान मिश्रा उन पीड़ितों में हैं, जिन्हें इस हमले में गंभीर चोटें आई थी।
इस हमले के चश्मदीद रहे विनोद मिश्रा ने दावा किया था कि मस्जिद से उकसाए जाने के बाद मुस्लिम भीड़ ने हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला किया था। बहराइच पुलिस ने सोशल मीडिया पर उनके दावे को ‘भ्रामक‘ करार दिया था। अब इसी तरह का दावा दिव्यांग सत्यवान ने किया है।
ऑपइंडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि उस दिन मस्जिद से ऐलान किया गया था, “जो हिन्दू जहाँ मिले, वहीं उसको काट दो।” उन्होंने बताया है कि इसी ऐलान के बाद मुस्लिमों की भीड़ ने अब्दुल हमीद के घर के आगे मौजूद हिंदू श्रद्धालुओं पर हमला किया था। उनका यह भी कहना है कि कट्टरपंथी भीड़ में शामिल लोग कह रहे थे, “अए हिन्दुओं, यहाँ से भाग जाओ वरना गोलियों से भून दूँगा।”
दिव्यांग सत्यवान पर भी टूट पड़ी थी इस्लामी भीड़
सत्यवान मिश्रा शारीरिक तौर पर जन्म से ही 80% से अधिक दिव्यांग हैं। ऑपइंडिया ने सत्यवान मिश्रा के घर पहुँच कर उनसे बातचीत की। बचपन से ही सत्यवान दोनों पैर व एक हाथ से दिव्यांग हैं। वो व्हील चेयर पर चलते हैं। व्हील चेयर भी वो बहुत दूर तक नहीं चला पाते क्योंकि उसे चलाने के लिए काम कर रहा एकमात्र हाथ जल्द ही थक जाता है। घटना के दिन सत्यवान मिश्रा माँ दुर्गा के जुलूस में उसी प्रतिमा के पास ट्राली में बैठे थे, जो दंगाइयों की पत्थरबाजी का शिकार बनी थी। वो श्रद्धालुओं को एक हाथ से प्रसाद बाँट कर तिलक लगा रहे थे।
अभी भी डर से काँप रहे हैं सत्यवान
जब ऑपइंडिया की टीम लगभग 50 वर्षीय सत्यवान के गाँव पहुँची, तब वो घर के बाहर ही चारपाई पर लेटे मिले। आजीवन अविवाहित सत्यवान मिश्रा के चेहरे पर गहरे घाव थे। उनका शरीर काँप रहा था। आँखों में डर साफ़ देखा जा सकता था। होंठो के नीचे धारदार हाथियार से चोटिल किए गए सत्यवान तक से बोल नहीं पा रहे थे। घटना को याद करते हुए वो रो पड़े। उन्होंने अपनी पीठ हमें दिखाई जो काली पड़ चुकी थी।
थोड़ी देर बाद खुद को संभालते हुए सत्यवान ने हमें बताया कि वो पिछले 25 वर्षों से माँ दुर्गा की विसर्जन यात्रा में श्रद्धालुओं को प्रसाद बाँटते हैं और तिलक लगाते हैं। उनका दावा है कि घटना के दिन उनकी ट्राली के साथ चल रहे DJ को अब्दुल हमीद के घर पर रोक लिया गया था। अब्दुल का बेटा सरफराज सबको गालियाँ देते हुए DJ बंद करने पर तुला हुआ था। जब श्रद्धालुओं ने इंकार किया तब सरफराज ने DJ का तार नोच दिया। जैसे ही हिन्दुओं ने इसका विरोध किया, तब अब्दुल के घर से पत्थर चलने लगे।
बेटे की गलती मान लेता अब्दुल को न होता विवाद
सत्यवान मिश्रा हमें आगे बताते हैं कि पत्थरबाजी में माँ दुर्गा की प्रतिमा का हाथ टूट गया। इसके बाद हिन्दू समाज के लोग धरने पर बैठ कर सरफराज के खिलाफ कार्रवाई की माँग करने लगे। इस आपाधापी में अब्दुल हमीद भी बाहर आया था। श्रद्धालुओं में बड़े-बुजुर्ग यह माँग कर रहे थे कि अब्दुल हमीद अपने बेटे की गलती को मान कर उसे डाँट-डपट दें। हालाँकि अब्दुल हमीद इस पर तैयार नहीं हुआ। उलटे को अपने बेटे की करतूत को सही ठहरता रहा।
सत्यवान हमें आगे बताते हैं कि जब अब्दुल ने प्रतिमा पर हमले को सही ठहराया तब माँ दुर्गा के भक्त सड़क पर धरना दे कर पुलिस से सरफराज को गिरफ्तार करने की माँग करने लगे। इस पर पुलिस का रवैया भी ठीक नहीं रहा और वो सरफराज को पकड़ कर माफ़ी भी मंगवाने के लिए तैयार नहीं हुई। इसी बात पर विसर्जन यात्रा में शामिल कुछ श्रद्धालु उग्र हुए जिसमें रामगोपाल मिश्रा भी शामिल थे। वो अब्दुल हमीद की छत पर पहुँच गए और हरा झंडा निकाल कर भगवा लहरा दिया।
पुलिस ने सिर्फ हिन्दुओं को पीटा
बुरी तरह से घायल सत्यवान हमें बताते हैं कि दोनों तरफ से तनातनी होने के बाद पुलिस ने अपना सारा जोर सिर्फ हिन्दुओं पर दिखाया। माँ दुर्गा के भक्तों पर पुलिस ने लाठियाँ बरसानी शुरू कर दीं और उनको दौड़ाते हुए दूर ले गए। पुलिस के लाठीचार्ज से तितर-बितर हो चुके हिन्दुओं को हिंसक भीड़ ने बेरहमी से मारा। सत्यवान का यह भी आरोप है कि बहराइच पुलिस की सभी लाठियाँ हिन्दुओं पर ही गिरीं और इन्ही खाकी वालों ने हमलावर मुस्लिम भीड़ को पूरी तरह से नजरअंदाज किया।
दोनों पैर दिव्यांग, भाग भी न पाए सत्यवान
सत्यवान आगे बताते हैं कि मुस्लिमों की भीड़ उनकी ट्राली पर पहुँच गई। तब तक ट्राली में मौजूद उनके तमाम साथी भाग चुके थे। सत्यवान के दोनों पैर और एक हाथ बचपन से ही नाकाम हैं। वो घिसट-घिसट कर ट्रॉली में ही इधर-उधर चलते रहे। तभी ट्रॉली में चढ़ कर लगभग आधे दर्जन हमलावरों ने लाठी-डंडों से उनको बुरी तरह से मारा। चोटें सत्यवान के सिर और पीठ पर लगीं। इसी दौरान एक धारदार हथियार से सत्यवान के मुँह पर वार हुआ। हमले में सत्यवान का चेहरा लहूलुहान हो गया।
सत्यवान के मुताबिक उनको काफी खून निकला और धीरे-धीरे वो बेहोश हो गए। उन पर हमला करने वालों में कल्लू के बेटे लल्लू और मुन्ना कबाड़ी आदि शामिल थे। हमलावरों के हाथों में तलवारें, चाकू और तमंचे आदि होने का दावा किया गया। तब से सत्यवान को यह नहीं पता चल पाया कि घटनास्थल से उनको उठा कर अस्पताल किसने और कब पहुँचाया। अस्पताल में उनकी हालत काफी गंभीर थी। आखिरकार लखनऊ रेफर करने के बाद वहाँ ट्रामा सेंटर में जैसे-तैसे सत्यवान की जान बची। सत्यवान ने अंत में कहा, “हम हिन्दू हैं। हमें हिन्दू होने के नाते मारा गया।”
ऑपइंडिया के पास वो वीडियो मौजूद है जिसमें सत्यवान मिश्रा को एक सरकारी एम्बुलेंस में लाद कर अस्पताल ले जाया जा रहा है। वीडियो में सत्यवान का चेहरा खून से सना हुआ है। उनके होंठों के नीचे कटे का बड़ा निशान मौजूद है। सत्यवान ने उत्तर प्रदेश सरकार से उम्मीद जताई है कि वो न सिर्फ हमलावर इस्लामी कट्टरपंथियों बल्कि दोषी पुलिसकर्मियों पर भी कठोर कार्रवाई करेगी।