इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 9 जुलाई को एक हिंदू लड़की की हत्या के आरोपित शोएब अख्तर को जमानत देने से इनकार कर दिया। दरअसल, लड़की ने साल 2020 में इस अपराध के सह-आरोपित एजाज अहमद से शादी की थी, लेकिन शादी के बाद उस पर इस्लाम अपनाने का दबाव बनाया जा रहा था। लड़की ने जब धर्मांतरण से इनकार कर दिया तो उसकी हत्या कर दी गई।
न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अपराध की प्रकृति, आवेदक शोएब अख्तर को सौंपी गई भूमिका और मुकदमे के चरण को ध्यान में रखते हुए आरोपित को जमानत पर रिहा करने का कोई ठोस कारण नहीं पाया। शोएब अख्तर पर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले में चोपन पुलिस ने IPC की धारा 302 और 201 (सबूतों को छिपाना) के तहत मामला दर्ज किया था।
सुनवाई के दौरान कोर्ट में अभियोजन पक्ष ने दलील दी कि आरोपित शोएब अख्तर ने प्रिया की इसलिए हत्या कर दी, क्योंकि उसने सह-आरोपित उसके दोस्त एजाज अहमद से शादी करने के बाद इस्लाम धर्म अपनाने से इनकार कर दिया था। जैसा कि ऑपइंडिया ने 2020 में बताया था कि आरोपित एजाज प्रिया सोनी को तब तक अपने घर नहीं लाना चाहता था जब तक कि वह इस्लाम धर्म नहीं अपना ले।
चूँकि पीड़िता अपनी हिंदू पहचान छोड़ने के लिए राजी नहीं थी, इसलिए एजाज ने उसे ओबला इलाके में एक किराए के कमरे में रखा। यहाँ वह पीड़िता पर इस्लाम अपनाने का लगातार दबाव बना रहा था। जब मृतका ने धर्म परिवर्तन करने से इनकार कर दिया तो गुस्साए एजाज ने अपने एक अन्य दोस्त शोएब अख्तर को बुलाया। दोनों मुस्लिम युवक प्रिया को पास के जंगल में ले गए और वहाँ उसकी हत्या कर दी।
दरअसल, सिंदुरिया गाँव के एक चौकीदार को 21 सितंबर 2020 को सूचना मिली कि नाले में एक सिर कटी एक लाश पड़ी है। पुलिस ने लाश को कब्जे में लेकर उसकी पहचान शुरू कर दी। बाद में पता चला कि यह लाश प्रिया नाम की एक हिंदू महिला की थी। प्रिया ने कुछ दिनों पहले ही एजाज अहमद उर्फ आसिफ के साथ शादी की थी। हालाँकि, वह धर्मांतरण नहीं करना चाहती थी।
मृतका की बहन शर्मिला ने कहा कि प्रिया उसे बताती थी कि एजाज अहमद और उसका दोस्त शोएब अख्तर उस पर इस्लाम अपनाने का लगातार दबाव बना रहे थे, जबकि वह ऐसा करने के लिए तैयार नहीं थी। अदालत के आदेश में कहा गया है, “दोनों आरोपियों को एक साथ पकड़ा गया और उनके खुलासे पर आपत्तिजनक सामग्री बरामद की गई।”
यह दूसरी बार है जब शोएब अख्तर ने जमानत की अर्जी दाखिल की है। इसी साल जनवरी महीने में हाईकोर्ट ने यह अर्जी खारिज कर दी थी। हाई कोर्ट ने अपराध की गंभीरता को देखते हुए उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। यह उसकी दूसरी जमानत अर्जी है। इसे भी इसी आधार पर कोर्ट ने खारिज कर दी। हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट को इस मामले का निपटारा जल्द करने का आदेश दिया है।