Sunday, November 17, 2024
Homeदेश-समाजसभी बांग्लादेशी मूल रूप से हिन्दू, इस्लाम तो बाद में आया: प्रियंका चोपड़ा के...

सभी बांग्लादेशी मूल रूप से हिन्दू, इस्लाम तो बाद में आया: प्रियंका चोपड़ा के अमेरिकी शो की लेखिका अहमद

"कैसे बांग्लादेश अपनी हिन्दू विरासत से इनकार कर सकता है? हम मूल रूप से हिन्दू थे। यहाँ इस्लाम बाद में आया।"

अमेरिका में रहने वाली बांग्लादेश की लेखिका शरबरी जोहरा अहमद का मानना है कि मूल रूप से हिन्दू होने की वजह से बांग्लादेशी लोग भारतीयों की तरह हैं। हालाँकि, लेखिका का कहना है कि अब बांग्लादेशी लोग अपनी जड़ों को भूल गए हैं। शरबरी का जन्म बांग्लादेश के ढाका में हुआ था और वह जब सिर्फ तीन सप्ताह की थीं तभी अमेरिका चली गईं थीं।

लोकप्रिय अमेरिकी टेलीवीजन शो ‘क्वांटिको’ की पटकथा की सहलेखिका शरबरी ने कहा कि उन्हें इस बात का अफ़सोस है कि दक्षिणपंथी धार्मिक समूहों के प्रभाव की वजह से एक बंगाली के तौर पर उनकी पहचान बांग्लादेश में खोती जा रही है। ‘क्वांटिको’ में भारतीय अभिनेत्री प्रियंका चोपड़ा ने मुख्य भूमिका निभाई है।

लेखिका शरबरी ने पीटीआई-भाषा से बातचीत में कहा, “कैसे बांग्लादेश अपनी हिन्दू विरासत से इनकार कर सकता है? हम मूल रूप से हिन्दू थे। यहाँ इस्लाम बाद में आया। ब्रिटेन ने हमारा उत्पीड़न किया, हमसे छीना और हमारी हत्याएँ की।” उन्होंने कहा कि अविभाजित भारत के ढाका में फलते-फूलते मलमल उद्योग को अंग्रेजों ने तबाह कर दिया।

उन्होंने कहा कि उनकी आस्था के सवाल और बांग्लादेश में पहचान के मुद्दे ने उन्हें ‘Dust Under Her Feet’ उपन्यास लिखने के लिए प्रेरित किया। बांग्लादेश में इस्लाम राजधर्म है। सरबरी ने विंस्टन चर्चिल को ‘नस्लवादी’ बताया। लेखिका ने कहा, “अपने सैनिकों के लिए वह बंगाल से चावल ले गए लेकिन बताए जाने के बावजूद उन्होंने यहाँ के लोगों की परवाह नहीं की।”

लेखिका ने कहा:

“अपनी रिसर्च के दौरान मुझे पता चला कि क़रीब 20 लाख बंगाली चर्चिल की वजह से उत्पन्न कृत्रिम अकाल से मर गए। जब लोग चर्चिल की प्रशंसा करते हैं तो यह वैसा ही है जैसे कि कोई यहूदियों के सामने हिटलर की प्रशंसा करे। वह भयानक इंसान था।”

उन्होंने कहा कि उनकी किताब में यह बताने की कोशिश की गई है कि वाकई उस समय क्या हुआ था। यह किताब द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान कोलकाता की पृष्ठभूमि में लिखी गई है। उस समय बड़ी संख्या में अमेरिकी सैनिक शहर में आए थे।

लेखिका ने कहा कि विडंबना यह थी कि जब ये अमेरिकी सैनिक स्थानीय लोगों से अच्छे थे, तो वे तथाकथित “Black” सैनिकों को अलग कर देते थे। उन्होंने कहा, “कलकत्ता एक कॉस्मोपॉलिटन था और बाक़ी दुनिया को यह जानने की ज़रूरत है कि तब शहर के लोगों का किस तरह से शोषण किया गया, उनके खजाने को लूटा गया, लोगों को बाँटा गया और नफ़रत पैदा की गई।”

लेखिका शरबरी जोहरा अहमद ने कहा, “मेरी माँ के यहाँ जन्म लेने के बाद से ही मेरे पहले उपन्यास के लिए कोलकाता मेरी पसंद था। उन्होंने (माँ) ‘डायरेक्ट एक्शन डे’ के दौर को तब देखा था, जब वह एक बच्ची थीं और उन्हें गहरा आघात पहुँचा था। उन्होंने देखा था कि पार्क सर्कस में अपने घर के पास मु###नों द्वारा एक हिन्दू को कैसे मार दिया गया था।”

डायरेक्ट एक्शन डे – इसे कलकत्ता में नृशंस हत्याओं के रूप में जाना जाता है। 16 अगस्त 1946 को बड़े पैमाने पर साम्प्रदायिक दंगा हुआ था, जो अगले कुछ दिनों तक जारी रहा था। इस हिंसा में हज़ारों लोग मारे गए थे।

रोमिला थापर जैसे वामपंथियों ने गढ़े मजहबी एकता की कहानी, किया इतिहास से खिलवाड़: विलियम डालरिम्पल

‘इंदिरा ने बांग्लादेशियों को नागरिकता दी तो Pak प्रताड़ितों को क्यों नहीं?’ – 311 Vs 80 से पास हुआ बिल

1000 सालों हिन्दू सहिष्णुता ही तो दिखा रहा है लेकिन इस चक्कर में नुकसान भी उनका ही हुआ

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

महाराष्ट्र में महायुति सरकार लाने की होड़, मुख्यमंत्री बनने की रेस नहीं: एकनाथ शिंदे, बाला साहेब को ‘हिंदू हृदय सम्राट’ कहने का राहुल गाँधी...

मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने साफ कहा, "हमारी कोई लड़ाई, कोई रेस नहीं है। ये रेस एमवीए में है। हमारे यहाँ पूरी टीम काम कर रही महायुति की सरकार लाने के लिए।"

महाराष्ट्र में चुनाव देख PM मोदी की चुनौती से डरा ‘बच्चा’, पुण्यतिथि पर बाला साहेब ठाकरे को किया याद; लेकिन तारीफ के दो शब्द...

पीएम की चुनौती के बाद ही राहुल गाँधी का बाला साहेब को श्रद्धांजलि देने का ट्वीट आया। हालाँकि देखने वाली बात ये है इतनी बड़ी शख्सियत के लिए राहुल गाँधी अपने ट्वीट में कहीं भी दो लाइन प्रशंसा की नहीं लिख पाए।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -