एनआरसी के विरोध में इस समय देश के कोने-कोने से आवाजें उठ रही हैं। देश का एक निश्चित तबका और एक निश्चित गिरोह चाहता है कि केंद्र सरकार इस कानून को पूरे देश में लागू न करे। जिसके लिए वे लगातार प्रदर्शन भी कर रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर यदि देखें तो बिना एनआरसी के आए ही देश में घुसपैठियों की पहचान कर उनपर एक्शन लेने की कवायद चल चुकी है। जिसके मद्देनजर अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ के भिलाई में पुलिस ने फर्जी तरीके से भारतीय नागरिकता पाकर भारत में रहने वाली बांग्लादेशी महिला को गिरफ्तार किया। महिला की पहचान आशा अख्तर उर्फ़ प्रिया पराडकर के रूप में हुई है।
महिला पर आरोप है कि उसने भिलाई स्थित जामुल के एक युवक से शादी करने के बाद उसकी मदद से भारतीय पासपोर्ट और अन्य पहचान पत्र बनवा लिए थे। और अपने पति हेंमेंद्र के साथ भिलाई में रह रही थी।
आरोपित महिला के पास से पुलिस ने भारतीय पासपोर्ट के साथ ही बांग्लादेश का भी पासपोर्ट बरामद किया है। पुलिस ने दंपति के खिलाफ धोखाधड़ी, कूटरचना तथा भारतीय पासपोर्ट अधिनियम के साथ ही विदेशी विषयक अधिनियम की धाराओं के तहत कार्रवाई की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, छावनी के नगर पुलिस अधीक्षक (CSP) विश्वास चंद्राकर ने बताया कि 32 एकड़ हाउसिंग बोर्ड जामुल निवासी हेमेंद्र पराडकर और उसकी पत्नी आशा अख्तर उर्फ प्रिया पराडकर (24) को गिरफ्तार कर लिया गया है। बांग्लादेश की आशा यहाँ नाम बदलकर रह रही थी। उसने 5 अक्टूबर 2017 को हेमेंद्र पराडकर से रायपुर के आर्य समाज मंदिर में शादी की थी।
चंद्राकर ने बताया कि आशा के पास से टूरिस्ट वीजा भी मिला है, जिसकी वैधता 29 अक्टूबर 2019 को समाप्त हो चुकी है। प्रारंभिक जाँच में पता चला है कि आरोपित महिला देह व्यापार में लिप्त है। वो यहांँ भी यही काम करती थी। शादी के बाद पति के नाम का सहारा लेकर उसने दस्तावेज तैयार करवा लिए थे।
गौरतलब है कि बीते दिनों कई ऐसे घुसपैठियों की गिरफ्तारी की खबरें मीडिया में आई, जो अपनी पहचान छुपाकर भारत में गुजर-बसर कर रहे थे और यहाँ अपराधों को भी अंजाम दे रहे थे। इसके अलावा एनआरसी के डर से भारत छोड़ने वाले घुसपैठियों की बात को भी खुद बांग्लादेश ने स्वीकारा और इसी बीच 445 बांग्लादेशियों को भारत का बॉर्डर क्रॉस करते गिरफ्तार किया गया। महाराष्ट्र से भी करीब 12 बांग्लादेशी घुसपैठियों की गिरफ्तारी हुई है।