Sunday, November 17, 2024
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अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों से परेशान झारखंड, 6 जिलों की बदल गई डेमोग्राफी: हाई कोर्ट ने सबकी पहचान के लिए स्पेशल टीम बनाने का दिया आदेश

कोर्ट ने साफ कहा कि इन इलाकों में फर्जी राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। इनके लिए ऐसे कागजों का इस्तेमाल हो रहा है, जो गलत होते हैं।

झारखंड में बांग्लादेशियों की घुसपैठ और वनवासियों की घटती आबादी का मामला अब सुर्खियों में है। झारखंड हाई कोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वह संथाल परगना में रह रहे बांग्लादेशी घुसपैठियों की पहचान करके उनकी गिनती करे और उनको डिपोर्ट करने का एक्शन प्लान कोर्ट को बताए।

लाइव लॉ की रिपोर्ट्स के मुताबिक, झारखंड हाई कोर्ट में जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस अरुण कुमार राय की बेंच ने दुमका, पाकुड़, जामताड़ा, देवघर, साहेबगंज और गोड्डा ज़िलों के DM को आदेश दिया कि वे अदालत को बताएँ कि इन जिलों में कितने घुसपैठिए रह रहे हैं।

कोर्ट में जब राज्य सरकार ने ये दलील दी कि पुलिस प्रशासन को घुसपैठियों की पहचान करने में दिक्कत हो रही है, तो कोर्ट ने साफ कहा कि इसके लिए स्पेशल टीम को काम पर लगाया जाए। क्यों नहीं स्पेशल टीम का गठन किया जा रहा है। कोर्ट ने साफ कहा कि इन इलाकों में फर्जी राशन कार्ड, मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं। इनके लिए ऐसे कागजों का इस्तेमाल हो रहा है, जो गलत होते हैं। घुसपैठिए स्थानीय लोगों का हक मार रहे हैं। कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पेशल टीम बनाने का भी निर्देश दिया।

हाई कोर्ट ने संबंधित जिलों के उपायुक्तों को आवश्यक आदेश पारित करने का निर्देश दिया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि राशन कार्ड, वोटर कार्ड, आधार कार्ड या बीपीएल कार्ड आदि जैसे दस्तावेज ‘अधिकारों के रिकॉर्ड’ के सत्यापन के बाद ही जारी किए जाएँ। अब इस मामले में अगली सुनवाई 22 अगस्त को की जाएगी। ये सभी टिप्पणियाँ 8 अगस्त को सामने आए कोर्ट के आदेश में दर्ज हैं, जिसकी कॉपी ऑपइंडिया के पास मौजूद है।

झारखंड हाई कोर्ट ने जिस मसले पर सुनवाई की, उसको लेकर संथाल परगना के लोग काफी दिनों से आवाज उठा रहे हैं। कई सोशल वर्कर, आदिवासियों की कम होती आबादी और बदलती डेमोग्राफी को लेकर चिंता जता चुके हैं। संथाल परगना में घुसना इसलिए आसान है क्योंकि वहाँ से बांग्लादेश केवल 15 किलोमीटर दूर है। संथाल परगना की सीमा पश्चिम बंगाल से लगती है और वहाँ से बांग्लादेश बॉर्डर ज्यादा दूर नहीं है।

याचिकाकर्ता के वकील ने बताया कि संथाल परगना क्षेत्र में मूलनिवासी आबादी का प्रतिशत ” काफी कम ” हुआ है – 1951 में 44.67% से घर तक 2011 में 28.11% रह गया, जबकि मुस्लिम आबादी “कई गुना बढ़ गई है”, ये 1951 में कुल आबादी का 9.44% से बढ़कर 2011 में 22.73% हो गई।

जमशेदपुर के रहने वाले दानियाल दानिश ने झारखंड हाई कोर्ट में PIL फाइल की थी कि संथाल परगना में बड़ी तादाद में घुसपैठिए दाखिल हो गए हैं जिससे वहां की डेमोग्राफी चेंज हो रही है और मूलनिवासियों की संख्या घट रही है।

याचिकाकर्ता दानियाल ने अदालत से कहा कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठिए मूलनिवासी महिलाओं से शादी करके उनका धर्म परिवर्तन कर रहे हैं, और उनकी ज़मीनों को गिफ्ट डीड के ज़रिए हथिया रहे हैं। उन्होंने कहा कि घुसपैठिए मूलनिवासी महिलाओं से शादी करके उनके नाम पर रिजर्व पोस्ट को रिमोट से चला रहे हैं। दानियाल ने अपनी याचिका में हाई कोर्ट से यह भी कहा कि झारखंड के बंगाल से लगने वाले जिलों में घुसपैठियों ने बहुत बड़ी तादाद में मस्जिदें और मदरसे कायम कर लिए हैं।

संसद में मामले को उठा चुके हैं निशिकांत दुबे

बता दें कि 25 जुलाई 2024 को गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे ये मामला संसद में भी उठा चुके हैं। उन्होंने संथाल परगना में एनआरसी लागू कराने की भी माँग की थी। सांसद निशिकांत दुबे ने कहा प्रत्येक जगह 15-17 प्रतिशत वोटर ही बढ़ता है, पर हमारे यहाँ 123 फीसद प्रतिशत बढ़ी है। मेरे लोकसभा क्षेत्र में आने वाले विधानसभा क्षेत्र में लगभग 267 बूथों पर मुसलमानों की आबादी 117 प्रतिशत बढ़ गई है।

दुबे ने कहा, “झारखंड में 25 ऐसी विधानसभा सीटें हैं जहाँ की आबादी 123 प्रतिशत आबादी बढ़ी है, यह चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि पाकुड़ जिले में तारानगर इलाके में दंगा हो गया। इस दंगे की वजह यह है कि बंगाल की पुलिस और मालदा, मुर्शिदाबाद से लोग आकर हमारे लोगों को भगा रहे हैं। हिंदू गाँव का गाँव खाली हो रहा है।”

लोकसभा में बोलते हुए सांसद निशिकांत दुबे ने कहा, विपक्ष हमेशा यही बोलता रहता है संविधान खतरे में है पर सच तो ये है संविधान नही इनकी राजनीति खतरे में है। उन्होंने कहा झारखंड बिहार से अलग होकर जब अलग राज्य बना तब संथाल परगना क्षेत्र में 2000 में 36 प्रतिशत वनवासी जनसंख्या थी जो अब घटकर 26 प्रतिशत रह गई है। उन्होंने सदन में सबसे पूछा कि ये 10 प्रतिशत आबादी कहाँ खो गई? लेकिन सदन में इसको लेकर कोई बात नही करता।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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