उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के जोगी नवादा इलाके में शाहनूरी मस्जिद के पास मुस्लिमों ने काँवड़ियों के एक जत्थे पर पथराव किया। 23 जुलाई 2023 को घटी इस घटना में करीब एक दर्जन काँवड़िया और कुछ पुलिसकर्मी घायल हो गए। लेकिन, आदत से मजबूर ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक मोहम्मद ज़ुबैर ने मुस्लिम भीड़ की पत्थरबाजी पर पर्दा डालने के लिए घटना का एक क्रॉप्ड वीडियो साझा किया ताकि यह भ्रम फैलाया जा सके कि मुस्लिम भीड़ ने काँवड़ियों पर हमला नहीं किया, बल्कि हिन्दू ही पत्थरबाजी कर रहे थे।
संदिग्ध ‘फैक्ट चेकर’ की इस कोशिश की लोकप्रिय ट्विटर यूजर्स अंकुर सिंह ने पूरा वीडियो साझा कर हवा निकाल दी। जिसमें स्पष्ट रूप से दिखता है कि पहले मुस्लिम भीड़ ने पथराव किया था और इसके बाद काँवड़ियों ने आत्मरक्षा में पथराव कर उन्हें जवाब दिया। अब इस मामले में दर्ज की एफआईआर भी जुबैर के चेहरे पर एक तमाचे की तरह है। इसमें भी स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि काँवड़ियों पर हमले की शुरुआत मुस्लिम भीड़ ने की थी।
मीडिया पोर्टल ऑर्गेनाइजर ने 2 अगस्त, 2023 को इस मामले में दर्ज एफआईआर की एक कॉपी शेयर की। इसमें स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि बरेली के जोगी नवादा इलाके में शाहनूरी मस्जिद के पास जमा मुस्लिमों ने ही पहले बिना किसी उकसावे के हमला किया। यह हमला तब किया गया जब शांतिपूर्ण तरीके से काँवड़ यात्रा मस्जिद के पास से गुजर रही थी।
आर्गेनाइजर द्वारा साझा की गई एफआईआर 24 जुलाई को बारादरी पुलिस स्टेशन में सब-इंस्पेक्टर अमित कुमार द्वारा दर्ज की गई थी। इस एफआईआर में कुमार ने कहा है कि वे अपनी टीम के साथ शाहनूरी मस्जिद के आसपास गश्त कर रहे थे। यात्रा का तय रूट गोसियन गौटिया से शाहनूरी मस्जिद, वंकंडीनाथ मंदिर से सुरेश शर्मा नगर, सैटेलाइट चौराहे से कालीबाड़ी, चौपाल, लाल फाटक से होते हुए अंत में कछला घाट तक था।
एफआईआर में कहा गया है कि गश्ती दल ने 23 जुलाई की दोपहर नमाज के बाद पहले नमाजियों को मस्जिद से बाहर निकाला और फिर उसके बाद काँवड़ियों को मस्जिद की तरफ से जुलूस ले जाने की अनुमति दी। लेकिन जैसे ही डीजे के साथ जुलूस शाहनूरी मस्जिद पर पहुँचा भीड़ इकट्ठा हो गई। देखते ही देखते काँवड़ियों पर चारो तरफ से पथराव होने लगा।
इसके अलावा बरेली के पुलिस अधीक्षक (एसपी) शहर राहुल भाटी ने भी कहा कि काँवड़िए कछला घाट से जल लेने जा रहे थे, तभी शाहनूरी मस्जिद और आसपास के घरों से काँवड़ यात्रा पर पथराव किया गया। इसके अलावा, उस दिन के वीडियो भी वायरल हुए जिनमें मुस्लिम भीड़ को काँवड़ियों पर पथराव करते देखा जा सकता था। लेकिन, ऑल्ट न्यूज़ के सह-संस्थापक ने बड़ी चतुराई से मुस्लिमों का अपराध को छुपाने के लिए इसे क्रॉप कर शेयर किया।
जुबैर के क्रॉप्ड वीडियो के बाद ट्विटर यूजर्स अंकुर सिंह ने एक पूरा वीडियो साझा किया जो मूल रूप से सुदर्शन न्यूज़ द्वारा शेयर किया गया था। वीडियो में मुस्लिम भीड़ को काँवड़ियों पर पथराव करते देखा जा सकता है। इसे साझा करते हुए अंकुर सिंह ने लिखा, “इस वीडियो के शुरुआत का हिस्सा क्यों काट दिया मोहम्मद जुबैर। क्योंकि उसमें साफ दिख रहा था कि पहले पत्थर कौन चला रहा था? जैसे ही जवाब में हिंदुओं ने पत्थर चलाया, जुबैर वह हिस्सा काट कर प्रोपेगेंडा चलाने लगा। काँवड़ियों पर थूक और पत्थर फेंकने वालों को जुबैर बचाने आ जाता इसीलिए ऐसी घटनाएँ बढ़ रही हैं। आग इस जैसे लोग लगा रहे।”
इसी वीडियो के शुरुआत का हिस्सा क्यों काट दिया @zoo_bear ?
— Ankur Singh (@iAnkurSingh) July 23, 2023
क्योंकि उसमें साफ दिख रहा था कि पहले पत्थर कौन चला रहा था? जैसे ही जवाब में हिंदुओं में पत्थर चलाया, जुबैर वह हिस्सा काट कर प्रोपेगंडा चलाने लगा।
कांवड़ियों पर थूक और पत्थर फेंकने वालों को जुबैर बचाने आ जाता इसीलिए ऐसी… https://t.co/nuvyHbWwgf pic.twitter.com/5DkMWIvIRP
दरअसल, ज़ुबैर ने वीडियो के उस शुरुआती हिस्से को काट दिया था, जिसमें मुस्लिम भीड़ को काँवड़ियों पर पथराव करते हुए साफ़ देखा जा सकता था ताकि यह सुनिश्चित न हो सके कि असल में मुस्लिम भीड़ ने हिंदुओं पर हमला किया था। उस हिस्से को काटकर और मुस्लिम भीड़ द्वारा की गई हिंसा पर लीपापोती करने के लिए फैक्ट चेक की आड़ में उन तथ्यों को छुपाने का प्रयास किया जिससे मुस्लिम भीड़ बेनकाब हो रही थी। यहाँ यह स्पष्ट है कि मुस्लिम भीड़ ने ही पथराव शुरू किया और बाद में काँवड़ियों द्वारा किया गया पथराव आत्मरक्षा का प्रयास था।
बरेली में काँवड़ियों पर पथराव
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बरेली शहर के जोगी नवादा इलाके में शाहनूरी मस्जिद के पास रविवार (23 जुलाई) की दोपहर को मुस्लिमों की भीड़ ने काँवड़ियों पर पथराव किया था। जानकारी के मुताबिक, उस समय काँवड़िए गंगा नदी से पवित्र जल लाने के लिए बदायूँ जा रहे थे। काँवड़ियों को पास के वंकंडीनाथ मंदिर में जलाभिषेक करना था। लेकिन रास्ते में ही उन्हें मुस्लिम भीड़ की पत्थरबाजी का सामना करना पड़ा। स्थानीय लोगों के अनुसार, इस हमले में पूर्व पार्षद उस्मान अली और उसके समर्थक शामिल थे।