राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) की एक टीम ने पश्चिम बंगाल का दौरा कर के वहाँ राजनीतिक हिंसा से पीड़ित महिलाओं के साथ बातचीत की और स्थिति की समीक्षा की। NCW की टीम ने पाया कि कई महिलाओं को बलात्कार की धमकियाँ मिल रही हैं। अधिकतर महिलाएँ चाहती हैं कि उनकी बेटियाँ राज्य के बाहर चली जाएँ। जाँच टीम ने पाया कि बंगाल पुलिस ने भी महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम नहीं उठाए।
NCW की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने शुक्रवार (मई 7, 2021) को ये जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पीड़ित महिलाएँ अपने साथ हुए अत्याचार को लेकर आवाज़ भी नहीं उठाना चाहतीं, क्योंकि उन्हें डर है कि इसके बाद उनके साथ कुछ बुरा किया जा सकता है। पश्चिम बंगाल में रविवार को चुनावी नतीजे आने के साथ ही TMC के गुंडों पर भाजपा, कॉन्ग्रेस और CPI(M) ने हिंसा के आरोप लगाए हैं। भाजपा के डेढ़ दर्जन कार्यकर्ता मारे जा चुके हैं।
पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दावा किया कि 1 लाख भाजपा कार्यकर्ताओं और उनके परिजनों को TMC के गुंडों की हिंसा और प्रताड़ना के कारण पलायन करना पड़ा है। नंदीग्राम विधानसभा क्षेत्र से एक वीडियो सामने आया था, जिसमें 2 महिलाओं को सड़क पर घसीट-घसीट कर पीटा जा रहा था। एक महिला को उसकी बेटी के सामने उठक-बैठक कराया गया। इस तरह की कई अन्य घटनाओं का NCW ने संज्ञान लिया।
राष्ट्रीय महिला आयोग ने मंगलवार को बताया था कि वो इस घटनाओं की जाँच के लिए अपनी एक टीम राज्य में भेज रही है। NCW ने अपने बयान में कहा, “हमारी टीम को कई पीड़िताओं के बारे में पता चला है, जिन्हें हिंसा के कारण अपना घर छोड़ कर पलायन करना पड़ा। उनमें से कई अभी भी शेल्टर होम्स में रहने को मजबूर हैं। उन महिलाओं ने बताया कि TMC के गुंडों ने उनका शारीरिक शोषण किया और उनके घरों को तहस-नहस कर दिया गया।”
जाँच टीम को कई महिलाओं ने बताया कि उनके घरों को आग के हवाले कर दिया गया है। इन महिलाओं ने बताया कि उन्हें रोज बलात्कार की धमकियाँ मिल रही हैं। पुलिस-प्रशासन उन्हें उचित सुरक्षा मुहैया कराने में नाकाम रहा है। पीड़ित महिलाओं ने अपनी व्यथा सुनाते हुए बताया कि वो बड़े-बुजुर्गों को घर में छोड़ कर ही भागने को मजबूर हुई हैं और उन्हें अब उनकी चिंता खाए जा रही है। जिन शेल्टर होम वो रह रही हैं, वहाँ भी कोई सुविधाएँ नहीं हैं।
कोरोना महामारी के इस दौर में उन्हें वहाँ न तो कोई मेडिकल सुविधाएँ दी जा रही हैं और न ही स्वस्थ भोजन या स्वच्छ पीने के पानी की कोई व्यवस्था है। जाँच टीम की अध्यक्ष खुद रेखा शर्मा ही थीं। उन्होंने कई महिलाओं से बात की, जो अपनी बेटियों को बंगाल से बाहर भेजना चाहती हैं। NCW ने कहा कि ऐसे मामलों में पुलिस-प्रशासन के अधिकारियों की जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। महिलाओं से जुड़े मामलों से निपटने के लिए महिला पुलिसकर्मी भी कम हैं।
— NCW (@NCWIndia) May 8, 2021
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कहा कि महिलाओं के साथ हो रहे अपराध से निपटने के लिए पुलिस को उचित प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। आयोग ने कहा कि महिलाओं को पता ही नहीं है कि उनके लिए सरकार कौन सी योजनाएँ चलाती हैं। ऐसी पीड़ित महिलाओं के पुनर्वास के लिए कोई योजना नहीं है। NCW ने महिलाओं के बीच केंद्र सरकार द्वारा उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही योजनाओं को लेकर जागरूकता फैलाने पर भी बल दिया।
पश्चिम बंगाल में कोरोना वायरस संक्रमण के कारण कड़ाई बढ़ा दी गई है। महिला आयोग की टीम ने कहा कि उसे और भी पीड़ित महिलाओं से मिलना था लेकिन राज्य के अधिकारियों ने कोरोना दिशा-निर्देशों का बहाना बना कर ये मुलाकात नहीं होने दी। NCW की टीम राज्यपाल जगदीप धनखड़ से भी मिली, जिन्होंने सभी जिलों के DM-SP से ऐसे मामलों में हुई FIR की रिपोर्ट्स तलब करने की सलाह दी।
उन्होंने कहा कि महिलाओं के साथ अपराध के मामलों में पुलिस अधिकारियों को रिपोर्ट्स के साथ राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष पेश होने के लिए निर्देश दिया जाना चाहिए। केंद्रीय गृह मंत्रालय की टीम ने भी बंगाल में कई हिंसा पीड़ित स्थलों का दौरा किया है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने भी जाँच के लिए ऐसी ही एक टीम गठित की है। उधर कोलकाता हाईकोर्ट ने भी हिंसा को लेकर राज्य सरकार से रिपोर्ट माँगी है।