राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने कट्टरपंथी इस्लामी संगठनों, डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ़ इंडिया (SDPI) और पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के 17 नेताओं को गिरफ्तार किया है। इन सभी पर आरोप है कि ये 11 अगस्त 2020 को बेंगलुरु स्थित केजी हल्ली पुलिस स्टेशन के नज़दीक बड़े पैमाने पर हुए दंगों और हिंसा की घटनाओं के षड्यंत्र में शामिल थे।
NIA का कहना है कि अभी तक इस मामले में 187 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और मामले की जाँच जारी है।
National Investigation Agency (NIA) arrests 17 SDPI & PFI party leaders for their involvement in violent attack & large scale rioting at KG Halli Police Station, in Bengaluru on Aug 11. In the case, so far, 187 accused persons have been arrested. Further probe underway: NIA
— ANI (@ANI) December 21, 2020
दंगों के कुछ दिन बाद सितंबर 2020 में सरकार ने घटना से जुड़े तथ्यों की तफ्तीश के लिए ‘फैक्ट फाइंडिंग कमेटी’ का गठन किया था। कमेटी की जाँच में यह बात सामने आई कि सांप्रदायिक हिंसा की सिलसिलेवार घटनाएँ सुनियोजित और संगठित थी। इसके अलावा ये विशेष रूप से उस क्षेत्र में रहने वाले हिन्दुओं को निशाना बनाने के उद्देश्य से अंजाम दी गई थी।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़ हिंसा, उपद्रव और अराजकता की इन घटनाओं का षड्यंत्र स्वीडन के दंगों और साल की शुरुआत में हुए दिल्ली-हिन्दू विरोधी दंगों की तर्ज पर था। फैक्ट फाइंडिंग कमेटी को पड़ताल के दौरान पता चला कि स्थानीय आबादी ने दंगों को प्रभावी बनाने में अहम भूमिका निभाई और उन्हें पहले ही इसकी जानकारी थी। कमेटी ने यह भी कहा कि SDPI और PFI ने इन दंगों की योजना तैयार करने से लेकर इन्हें अंजाम देने में सबसे अहम किरदार निभाया।
SDPI और PFI के ठिकानों पर NIA का छापा
पिछले महीने की शुरुआत में एनआईए ने बेंगलुरु दंगों से संबंधित तमाम ठिकानों पर छापा मारा था, जिसमें SDPI के 4 दफ्तर शामिल थे। SDPI इस्लामी कट्टरपंथी संगठन PFI का राजनीतिक संगठन है। NIA द्वारा जारी किए गए बयान के मुताबिक़ बेंगलुरु में हुए सांप्रदायिक दंगों के संबंध में एजेंसी ने बेंगलुरु, कर्नाटक में लगभग 43 जगहों पर छापा मारा था। छापेमारी अभियान के दौरान NIA ने SDPI/PFI से जुड़ी तमाम विवादित सामग्री और तलवार, चाक़ू और लोहे की रॉड जैसे कई हथियार बरामद किए थे।
कर्नाटक के कॉन्ग्रेस विधायक के भतीजे नवीन द्वारा सोशल मीडिया पर पैगम्बर मोहम्मद के कथित अपमानजनक पोस्ट को लेकर उग्र इस्लामी भीड़ ने पूरे बेंगलुरु को दंगों की आग में झोंक दिया था। विधायक के आवास और डीजे हल्ली के एक थाने में कट्टरपंथी उपद्रवियों ने उत्पात मचाया, जिन्होंने कई पुलिस और निजी वाहनों को भी आग लगा दी और लूटपाट भी मचाई।
11 अगस्त 2020) की शाम कॉन्ग्रेस विधायक अखंडा श्रीनिवास मूर्थी के आवास पर संप्रदाय विशेष की हज़ारों की भीड़ इकट्ठा हुई। कुछ ही देर में भीड़ ने पूरे घर को तबाह कर दिया। इसके बाद डीजे हल्ली और केजी हल्ली पुलिस थाने पर भी जम कर तोड़फोड़ की। पुलिस द्वारा की गई जवाबी कार्रवाई में कुल 4 लोगों की जान गई थी और 6 लोग घायल हुए थे। दंगे में 60 पुलिसकर्मी घायल हुए थे। NIA ने SDPI नेता मुज़म्मिल पाशा पर बेंगलुरु दंगों के दौरान भीड़ को भड़काने का आरोप लगाया था।
दंगों के कुछ ही समय बाद हालात काफी विचित्र हो गए जब दो अलग-अलग इस्लामी भीड़ ने केजे हल्ली और डीजे हल्ली पुलिस थाने पर इकट्ठा हो गई थी। इस्लामी भीड़ ने बाहर से दरवाज़ा बंद करके पुलिस थाने पर जम कर पत्थरबाजी की जिसमें लगभग 10 वाहन, (दो डीसीपी की गाड़ियां) क्षतिग्रस्त हुए थे। इसके अलावा इस्लामी भीड़ ने मौके पर मौजूद कई गाड़ियों को आग के हवाले भी किया। जिस तरह इस्लामी भीड़ के हाथों में पेट्रोल बम और हथियार मौजूद थे उससे स्पष्ट था कि दंगों की पूरी घटना सुनियोजित थी।