गालीगलौज, हाथापाई, पथराव, गोलीबारी। यह सब कुछ बिहार के भागलपुर में पुलिस को गुरुवार की रात झेलना पड़ा। शब-ए-बारात पर एक कब्रिस्तान के बाहर जमा हुई भीड़ को हटाने पहुँची पुलिस पर हमला किया गया। गनीमत ये रही कि किसी पुलिसकर्मी को गोली नहीं लगी, लेकिन पत्थरबाजी में होमगार्ड का एक जवान बुरी तरह घायल हो गया।
मामला हबीबपुर के मोमिन टोला स्थित कब्रिस्तान का है। पुलिस दल पर पथराव की खबर पाकर सिटी एसपी सुशांत कुमार सरोज साथी पुलिसकर्मियों ट्रैफिक डीएसपी आरके झा, लॉ एंड ऑर्डर डीएसपी नेसार अहदम, पुलिस मुख्यालय के डीएसपी और कई थानों के थानाध्यक्ष जवानों के साथ वहाँ पहुँचे और मामले को शांत करने की कोशिश की।
इसके बाद पुलिस ने फ्लैग मार्च किया और लोगों से घर के अंदर रहने की अपील की। मस्जिद के लाऊडस्पीकर से भी मौलवियों ने लोगों से घर पर ही रहने की अपील की तब कहीं जाकर लोग अपने-अपने घर लौटे। पुलिस ने पूरे इलाके में डेरा डाल दिया है।
बता दें कि गुरुवार की शाम हबीबपुर पुलिस गश्ती में मोमिन टोला स्थित कब्रिस्तान के पास पहुँची तो देखा कि काफी संख्या में दूसरे मजहब के युवक कब्रिस्तान की तरफ जा रहे थे। पुलिस ने उन्हें एक साथ इतनी संख्या में उधर जाने से रोका तो वे पुलिस से उलझ गए। पुलिस ने खदेड़ कर कुछ युवकों को पकड़ने की कोशिश की पर वे भागने लगे। तभी वहाँ पर खड़े युवकों ने पहले गाली-गलौज की और फिर पुलिस से हाथापाई करने लगे। कुछ ही देर में उन्होंने पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया।
पुलिस ने उन लोगों को चेतावनी दी कि अगर लॉकडाउन का उल्लंघन किया जाएगा तो सख्त कार्रवाई होगी। हबीबपुर थानाध्यक्ष को उपद्रवियों को चिह्नित कर उन पर कार्रवाई के लिए कहा गया है। एसएसपी आशीष भारती ने इस बाबत कहा है, “लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का जो भी पालन नहीं करेंगे उन पर कार्रवाई होगी। हबीबपुर की घटना में शामिल लोगों को चिह्नित करने के लिए कहा गया है। उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।”
उल्लेखनीय है कि शब-ए-बारात दूसरे समुदाय के लोगों के लिए इबादत और फजीलत की रात होती है। माना जाता है कि इस रात को अल्लाह की रहमतें बरसती हैं। शब-ए-बारात की पाक रात को समुदाय के लोग इबादत करते हैं और अपने गुनाहों से तौबा करते हैं। इस्लामिक मान्यताओं के मुताबिक, इस रात को अगर सच्चे दिल से इबादत की जाए और गुनाहों से तौबा की जाए तो अल्लाह हर गुनाह से पाक कर देता है।
शब-ए-बारात की पूरी रात समुदाय के पुरुष मस्जिदों में इबादत करते हैं और कब्रिस्तान जाकर मृतक परिजनों की तरफ से अल्लाह से माफी माँगते हैं। लेकिन इस साल लॉकडाउन की वजह से लोगों को घर पर ही रहकर इबादत करने की अपील की गई थी।