भीमा कोरेगाँव मामले में हिंदू कॉलेज, दिल्ली यूनिवर्सिटी के अंग्रेजी विभाग के एक प्रोफेसर, पीके विजयन को पूछताछ के सम्बन्ध में राष्ट्रीय जाँच एजेंसी द्वारा नोटिस भेजा गया है। यह समन भारतीय दंड संहिता (IPC) और गैरकानूनी गतिविधियों (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के कई सेक्शन के तहत जारी किए गए हैं।
पीके विजयन को एनआईए का नोटिस भीमा कोरेगाँव मामले के संबंध में पूछताछ के लिए भेजा गया है। नोटिस में कहा गया है कि वह सुबह 11 बजे लोधी रोड स्थित एनआईए मुख्यालय में पेश होंगे। जाँच एजेंसी के नोटिस के अनुसार, विजयन को नई दिल्ली में पुलिस उपाधीक्षक, एनआईए के सामने पेश किया जाएगा।
‘द टाइम्स ऑफ इंडिया’ से बात करते हुए, पीके विजयन ने कहा, “मुझे कल सुबह मुख्यालय में बुलाया गया है। यह सिर्फ एक समन नोटिस है, जो मुझे मिला है।” इससे पहले, जुलाई 28, 2020 को एनआईए ने इसी तरह के एक मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसर हनी बाबू को गिरफ्तार किया था।
हनी बाबू भी दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में पढ़ाते थे और जाति-विरोधी कार्यकर्ता के रूप में जाने जाते हैं। बाबू के कई छात्रों और नागरिक अधिकार समूहों ने उनकी गिरफ्तारी की आलोचना करते हुए इसे भारत में बुद्धिजीवियों को मौन कराने का प्रयास कहा है।
Professor PK Vijayan of English Department of Hindu College has been summoned by NIA under UAPA charges. SFI Hindu College stands in solidarity with Prof Vijayan against such blatant misuse of a law designed to curb dissent and create an atmosphere of fear and apprehension. pic.twitter.com/8xQ0a00xfK
— SFI Hindu College (@hinducollegesfi) August 13, 2020
हनी बाबू और विजयन, 90% विकलांगता वाले एक अंग्रेजी शिक्षक, जीएन साईबाबा की रिहाई के लिए बनाई गई रक्षा समिति के सदस्य हैं, जिन पर वामपंथी संगठनों से सम्बन्ध को लेकर यूएपीए के तहत आरोप लगाया गया है और नागपुर केंद्रीय कारावास में बंद है।
यह पूछे जाने पर कि क्या रक्षा समिति के साथ जुड़ाव के कारण उन्हें बुलाया जा रहा है? विजयन ने कहा, “मुझे इस बारे में पता नहीं है, लेकिन मुझे संदेह है कि यही मामला है।”
भीमा कोरेगाँव मामला
जनवरी 01, 2018 को पुणे के पास भीमा कोरेगाँव में दलितों और मराठों के बीच हिंसा भड़क उठी। दलित समुदाय के लोग करीब 200 साल पहले दलितों और मराठाओं के बीच हुई लड़ाई में दलितों की जीत का जश्न मनाने के लिए वहाँ हर साल इकट्ठा होते हैं। पुलिस का आरोप था कि कार्यक्रम के आयोजकों के नक्सलियों से संबंध थे। 2 जनवरी को दलित संगठनों द्वारा बुलाए गए भारत बंद के दौरान हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हो गई।
जनवरी 01, 1818 को ईस्ट इंडिया कपंनी की सेना ने पेशवा की बड़ी सेना को कोरेगाँव में हरा दिया था। पेशवा सेना का नेतृत्व बाजीराव-2 बाद में इस लड़ाई को दलितों के इतिहास में एक खास जगह मिल गई। बीआर अम्बेडकर के समर्थक दलित इस लड़ाई को राष्ट्रवाद बनाम साम्राज्यवाद की लड़ाई न मानकर इस लड़ाई को दलितों की जीत मानते हैं। उनके मुताबिक इस लड़ाई में दलितों के खिलाफ अत्याचार करने वाले पेशवा की हार हुई थी।
2018 इस युद्ध का 200वाँ साल था। इस अवसर पर भीमा कोरेगाँव में आयोजित जनसभा में मुद्दे हिन्दुत्व की राजनीति के खिलाफ थे। इस मौके पर कई तथाकथित बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भाषण भी दिए थे और इसी दौरान अचानक हिंसा भड़क उठी।