बिहार की राजधानी पटना जलमग्न है। दुकानों से लेकर लोगों के घरों तक, पूरा शहर जैसे एक जलाशय में तब्दील हो गया है। राजेंद्र नगर इलाक़ा सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहाँ तो सभी मकानों के ग्राउंड फ्लोर जलमग्न हो गए हैं। बिना बिजली के लोग घरों में कैद हैं। एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की आपदा प्रबंधन टीमें 16 नावों के साथ लोगों को पीने का पानी और भोजन उपलब्ध कराने में लगी हुई है। लेकिन, स्थिति इतनी विकराल है कि यह ऊँट के मुँह में जीरा ही साबित हो रहा है। जब राजधानी की यह स्थिति है तो बाकी इलाक़ों के बारे में आप कल्पना कर लीजिए।
कंकड़बाग, गर्दनीबाग, डाकबंगला और एसके पुरी जैसे इलाक़े बाढ़ से काफ़ी प्रभावित हुए हैं। इसे लेकर सोशल मीडिया में लोगों का गुस्सा बरपा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का एक फोटो भी वायरल हुआ, जिसमें वह छत पर खड़े होकर हाथ में छाता लिए बारिश का मुआयना कर रहे हैं। लोगों ने इस फोटो को लेकर उन पर सवाल दागे। कई लोगों ने कहा कि आखिरकार बिहार सरकार ‘नल-जल योजना’ को घर-घर तक पहुँचाने में कामयाब रही, क्योंकि अब घर से निकलते ही लोगों को जल ही जल दिख रहा है।
जलपुत्र दिनेश मिश्रा ने कहा है – बाढ़ प्राकृतिक प्रकोप नही है,लोगों का बनाया हुआ प्रकोप है. लूट चल रही है और जनता पर जुल्म ढाया जा रहा है
— संजीवनी (@sanjeevparmar02) September 29, 2019
यह भयावह तस्वीर पटना की है..दुआ कीजिए कि गंगा मैया और इंद्रदेव का गुस्सा कम हो.ऐसी बेबसी वाली मौत से बेहतर है एक बार मे खत्म करो हमे नेताजी pic.twitter.com/WndhXp9RVt
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अभी तक बाढ़ से पिछले 24 घंटे में 25 लोगों के मरने की ख़बर है। भागलपुर और गया सहित कई जिलों में लोगों की जान बाढ़ के कारण गई है। पटरियाँ जलमग्न होने के कारण रेल सेवाएँ प्रभावित हुई हैं और कई ट्रेनों को रद्द कर दिया गया है। सवाल यह भी है कि लोगों का इलाज हो भी तो कहाँ, क्योंकि अस्पतालों में भी पानी भर चुका है। शहर के सबसे बड़े नालंदा मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में मरीजों की स्थिति ख़राब हो चली है, क्योंकि पानी अस्पताल के भीतर तक घुस गया है।
पाटलिपुत्र के उत्तुंग शिखर पर,
— ऋषिकेश नारायण सिंह (@rishi_research) September 28, 2019
बैठ विला की शीतल छांह!
एक पुरुष उत्सुक नयनों से,
देख रहा था प्रलय प्रवाह!! pic.twitter.com/Yrz6XFMJlX
मौसम विभाग का कहना है कि सोमवार (सितम्बर 30, 2019) तक राज्य में भारी बारिश जारी रहेगी। पटना जिले के सभी स्कूलों को बंद कर दिया गया है। वहीं प्रशासन से नाराज़ लोगों ने सीएम नीतीश कुमार पर निशाना साधने के लिए जयशंकर प्रसाद की कविता ‘कामायनी’ की पंक्तियों को कुछ इस तरह से नया रूप दिया:
पाटलिपुत्र के उत्तुंग शिखर पर,
बैठ शिला की शीतल छाँह
एक पुरुष, उत्सुक नयनों से
देख रहा था प्रलय प्रवाह
(नोट- असली कविता में ‘पाटलिपुत्र’ की जगह ‘हिमगिरि’ है और ‘उत्सुक’ की जगह ‘भीगे’ है)
ये था सोशल मीडिया का रिएक्शन। अगर राज्य सरकार की बात करें तो वरिष्ठ अधिकारियों का यही कहना है कि सभी जिलों के प्रशासन को ‘किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने’ का निर्देश दे दिया गया है। बिहार के उप-मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी और पूर्व केंद्रीय मंत्री राजीव प्रताप रूडी के घर में भी पानी घुस चुका है। नीचे आप एक रिक्शे वाले का वीडियो देख सकते हैं, जो बाढ़ के कारण अपने जीवन-यापन का एकमात्र साधन यानी अपने रिक्शे को खींचने में असमर्थ होने के कारण रोने लगता है:
यह दिल दहलाने वाले वीडियो में से एक है।
— Abhishek Sankrit (@AbhishekSankri1) September 29, 2019
एक आदमी रोता है क्योंकि वह अपने रिक्शे को किसी भी तरह से पटना की बाढ़ में खींचने में असमर्थ है। वह इसे छोड़ना नहीं चाहता है, क्योंकि यह शायद उसकी आय का एकमात्र स्रोत है। ऐसी है गरीबी और लाचारी।
हां, भारत में सब कुछ ठीक है।#patnafloods pic.twitter.com/LhNLt8SL6u
मुख्यमंत्री नीतीश ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद कहा कि गंगा का जल-स्तर बढ़ रहा है और इसे रोकना किसी के भी हाथ में नहीं है, यह प्राकृतिक है। उन्होंने कहा कि लोगों को पीने का साफ़ पानी मुहैया कराने के लिए व्यवस्थाएँ की जा रही हैं।