Tuesday, September 17, 2024
Homeदेश-समाजकेरल में कारगिल विजय दिवस के दूसरे ही दिन पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ का...

केरल में कारगिल विजय दिवस के दूसरे ही दिन पाकिस्तानी तानाशाह परवेज मुशर्रफ का सम्मान, बैंक ऑफ इंडिया के कर्मचारियों का था प्लान

जिस समय देश कारगिल विजय दिवस मनाने की तैयारियों में जुटा था, ठीक उसी समय कारगिल युद्ध की सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान के उस समय आर्मी चीफ और बाद में पाकिस्तान के तानाशाह बने भारत के सबसे बड़े दुश्मन परवेज मुशर्रफ को सम्मानित किए जाने की भी योजना बनाई जा रही थी।

भारत देश को बाहरी दुश्मनों से जितना खतरा है, उससे कहीं ज्यादा देश के अंदर के दुश्मनों से, देश के दुश्मनों को अपना हीरो मानने वाले लोगों से। पूरे देश ने सेना के शौर्य, और पाकिस्तान पर भारत की जीत को याद करते हुए 26 जुलाई 2024 को ही ‘कारगिल विजय दिवस’ मनाया है। जिस समय देश कारगिल विजय दिवस मनाने की तैयारियों में जुटा था, ठीक उसी समय कारगिल युद्ध की सबसे बड़ी वजह पाकिस्तान के उस समय आर्मी चीफ और बाद में पाकिस्तान के तानाशाह बने भारत के सबसे बड़े दुश्मन परवेज मुशर्रफ को सम्मानित किए जाने की भी योजना बनाई जा रही थी। जी हाँ, भारत के सबसे बड़े सार्वजनिक बैंकों में से एक बैंक ऑफ इंडिया के केरल की कर्मचारी यूनियन 27 जुलाई 2024 को परवेज मुशर्रफ को ही सम्मानित करने जा रही थी।

बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (केरल) ने अपने 23वें स्टेट कॉन्फ्रेंस में पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्रफ को सम्मानित करने का फैसला किया था। बैंक यूनियन की राज्य समिति द्वारा जारी पोस्टर में भी 27 जुलाई 2024 को अलप्पुझा में आयोजित राज्य सम्मेलन के दौरान मुशर्रफ को श्रद्धांजलि देने की तैयारी की योजना के बारे में बताया गया है। बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (केरल) अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (एआईबीईए) से जुड़ा है। ये पोस्टर 26 जुलाई 2024 को सामने आए, ठीक उसी दिन, जब कारगिल के सबसे बड़े खलनायक की कारस्तानी पर भारतीय सेना की जीत को याद दिया जा रहा था। ये मुशर्रफ की ही खोपड़ी की उपज थी कि उसने मुजहिद्दीनों के वेश में पाकिस्तानी सेना को भारत से जंग के लिए भेजा था।

बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (केरल) द्वारा मुशर्रफ को सम्मानित करने की योजना का तीखा विरोध हुआ, जिसके बाद यूनियन को अपने कदम पीछे खींचने पड़े। खास बात ये है कि जिस कार्यक्रम में मुशर्रफ को सम्मानित किया जाना था और उसे श्रद्धांजलि दी जानी थी, उसका उद्धाटन कॉन्ग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक और मौजूदा सांसद केसी वेणुगोपाल को करना था।

ये मामला सामने आने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने अलपुझा में बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (केरल) के सम्मेलन स्थल पर विरोध प्रदर्शन किया। श्रद्धांजलि सूची से नाम हटाए जाने के बाद भी उन्होंने विरोध प्रदर्शन जारी रखा।

सोशल मीडिया पर लोगों ने कहा कि सरकारी बैंक के कर्मचारी भारत पर हमला करने वाले पाकिस्तानी तानाशाह को श्रद्धांजलि दे सकते हैं, लेकिन पिछले महीने तक उन्हें आरएसएस में शामिल होने की अनुमति नहीं थी।

नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स और नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स ने इस घटनाक्रम पर बैंक ऑफ इंडिया स्टाफ यूनियन (केरल) के राष्ट्रविरोधी चरित्र की निंदा की है। इस बारे में जारी एक बयान में कहा गया है कि संगठन ने जानबूझकर कारगिल विजय दिवस के ठीक एक दिन बाद मुशर्रफ को श्रद्धांजलि देने का फैसला किया। उन्होंने कहा, “यह बड़ी संख्या में पूर्व सैनिकों का भी अपमान है, जिनमें से कुछ ने कारगिल युद्ध में भी भाग लिया था और जो वर्तमान में बैंकिंग क्षेत्र में कार्यरत हैं। हम बहुत दुख के साथ इस राष्ट्रविरोधी कृत्य की निंदा करना चाहते हैं।”

बैंकर्स वॉयस द्वारा एक्स पर पोस्ट किए गए बयान में कहा गया है, “उनकी मूल संस्था AlBEA का भी राष्ट्रविरोधी तत्वों का समर्थन करने का एक लंबा इतिहास रहा है।” बयान में आगे कहा गया है, “भारत चीन संघर्ष के दौरान हमारे सैनिकों को रक्तदान के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने और हाल ही में टुकड़े टुकड़े गैंग और फिलिस्तीनियों को दान देने के उनके कृत्यों को याद रखें, जो वैश्विक आतंकवादी संगठन हमास का समर्थन करते हैं।”

इस मामले में वित्त मंत्रालय से तुरंत हस्तक्षेप करने और उचित जाँच शुरू करने की माँग की गई है। बयान में कहा गया, “हम बैंक ऑफ इंडिया से आग्रह करते हैं कि इस बैठक में शामिल उन कर्मचारियों को निष्कासित किया जाए, जो बहादुर शहीदों का अपमान कर रहे हैं और बैंक को बिना किसी देरी के इस ट्रेड यूनियन की मान्यता रद्द कर देनी चाहिए। हम बीएमएस से आग्रह करते हैं कि वह भारत सरकार के अधिकारियों को उचित कार्रवाई शुरू करने के लिए सूचित करे।”

गौरतलब है कि शुक्रवार को कारगिल विजय दिवस के ठीक दो दिन बाद बैंक कर्मचारी संघ द्वारा मुशर्रफ को सम्मानित किया जाना था। कारगिल युद्ध के दौरान परवेज़ मुशर्रफ़ ही पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष थे और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ ने दावा किया है कि कारगिल आक्रमण की योजना मुशर्रफ़ ने बनाई थी और उन्हें इसकी जानकारी नहीं थी। हालाँकि, मुशर्रफ़ ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा है कि मुशर्रफ़ को मिशन शुरू होने से पहले ही इसके बारे में जानकारी दे दी गई थी।

बैंक ऑफ इंडिया एक सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है, जिसका मुख्यालय मुंबई में है। बैंक प्रबंधन ने अभी तक इस घटनाक्रम पर कोई बयान जारी नहीं किया है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘हिंदुस्तान में रहना है तो, ख्वाजा-ख्वाजा कहना है’: गणेश पंडाल के आगे इस्लामी कट्टरपंथियों ने लगाए फिलीस्तीन जिंदाबाद के भी नारे, संदिग्ध को पुलिस...

UP के बलरामपुर में गणेश पंडाल के आगे मुस्लिम भीड़ ने फिलिस्तीन समर्थन के साथ लगाए हिंदुस्तान में रहना है तो ख्वाजा ख्वाजा कहना है जैसे नारे

शेख हसीना को हटाने की 2019 से ही चल रही थी साजिश, बांग्लादेश तख्तापलट में लगी थी कई अमेरिकी एजेंसियाँ: रिपोर्ट में दस्तावेजों के...

बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने की योजना 2019 में ही बन गई थी। अमेरिका की अलग-अलग एजेंसियाँ इस काम में लगाई गईं थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -