मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख पर निलंबित पुलिस अधिकारी सचिन वाजे के जरिए मुंबई के प्रतिष्ठानों से प्रति महीने 100 करोड़ रुपए की वसूली का आरोप लगाया था। अब बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस मामले में CBI को प्रारंभिक जाँच करने को कहा है। उन्होंने ट्रांसफर-पोस्टिंग में भी धाँधली के आरोप लगाए थे।
CBI Preliminary Enquiry allowed by the Bombay High Court in the Parambir Singh letter case against Anil Deshmukh@AnilDeshmukhNCP #ParamBirSingh https://t.co/dqq8jvMg3M pic.twitter.com/yTdtYaifkO
— Bar & Bench (@barandbench) April 5, 2021
बॉम्बे उच्च-न्यायालय ने कहा कि 15 दिनों के भीतर CBI अपनी प्रारंभिक जाँच ख़त्म कर सकती है। प्रारंभिक जाँच के बाद ये CBI के निदेशक के ऊपर होगा कि वो इस मामले में आगे क्या कार्रवाई करना चाहते हैं। कोर्ट ने ये भी कहा कि सरकार द्वारा कमिटी बनाने के निर्णय के बाद लगता है कि इसमें न्यायिक हस्तक्षेप की ज़रूरत नहीं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा:
“हम जानते हैं कि अनिल देशमुख राज्य के गृह मंत्री हैं, जो पुलिस के ऊपर होते हैं। एक स्वतंत्र जाँच होनी चाहिए। जाँच कानून के हिसाब से होनी चाहिए।”
बॉम्बे हाईकोर्ट ने हालाँकि कहा कि CBI को इस मामले में तुरंत FIR दर्ज करने की ज़रूरत नहीं। ऐसा इसीलिए कहा गया क्योंकि महाराष्ट्र की सरकार ने पहले ही जाँच के लिए एक उच्च-स्तरीय कमिटी के गठन का निर्णय लिया है।
इससे पहले बॉम्बे HC ने पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर पुलिस ऑफिसर होने के बावजूद किसी अपराध को लेकर FIR दर्ज नहीं कर रहे हैं तो इसका अर्थ है कि वो अपने कर्तव्यों के निर्वहन में असफल रहे हैं। कोर्ट ने परमबीर सिंह से पूछा था कि उन्होंने FIR क्यों नहीं दर्ज किया, जबकि ये उनका कर्तव्य है? कोर्ट ने कहा था कि सिर्फ CM को पत्र भेजने से कुछ नहीं होता, इसके लिए परमबीर सिंह से जवाब माँगा जा सकता है।