बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रतिबंधित आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) के 3 आतंकियों को राहत देने से इनकार कर दिया है। हाई कोर्ट ने रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम और कय्यूम अब्दुल शेख की जमानत अर्जी ख़ारिज कर दिया है। अदालत की टिप्पणी में कहा गया है कि तीनों आरोपितों ने आपरधिक बल लगाकर सरकार को डराने की कोशिश की थी। इन सभी पर भारत को इस्लामिक मुल्क बनाने की साजिश रचने का भी आरोप है। यह फैसला मंगलवार (11 जून 2024) को सुनाया गया है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, मंगलवार को मामले की सुनवाई बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायमूर्ति अजय गडकरी और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ में हुई। बचाव पक्ष ने तीनों के बेगुनाह होने की दलील दी। उन्होंने महाराष्ट्र ATS पर खुद को फँसाने का भी आरोप लगाया और जमानत की अपील की। उधर सरकारी वकील ने तीनों की जमानत अर्जी का विरोध किया। सरकार का पक्ष था कि तीनों के खिलाफ पर्याप्त सबूत पेश किए जा चुके हैं। साथ ही आशंका जताई गई कि तीनों आरोपित जमानत का दुरुपयोग कर सकते हैं।
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अदालत ने अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले में अदालत ने यह माना कि तीनों आरोपित भारत को इस्लामी मुल्क बनाने के मंसूबे पाले हुए थे। इसके लिए इन्होंने साल 2047 तक का टारगेट रखा था। रजी अहमद खान, उनैस उमर खैय्याम और कय्यूम अब्दुल शेख अपनी विचारधारा के लोगों को PFI में भर्ती कर रहे थे। अदालत का मानना है कि ये सब सरकार को डराने की मंशा के साथ आपराधिक बल जुटा रहे थे। हाई कोर्ट ने तीनों के खिलाफ ATS द्वारा पेश किए गए सबूतों को जमानत अर्जी ख़ारिज करने के लिए पर्याप्त पाया।
गौरतलब है कि रजी अहमद खान और कय्यूम को उनके कुछ साथियों के साथ महाराष्ट्र ATS ने सितबंर 2022 में मालेगाँव से गिरफ्तार किया था। इनसे मिली जानकारी के बाद अक्टूबर 2022 में उनैस उमर खय्याम को भी गिरफ्तार कर लिया गया था। ATS के मुताबिक इन सभी ने जून 2022 में पीएफआई की उस गुप्त बैठक में भाग लिया था, जिसमें भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के लिए भड़काया गया था। ATS ने तीनों के क्रियाकलाप भारत की सुरक्षा और अखंडता के लिए खतरा बताया था।