Friday, November 15, 2024
Homeदेश-समाज'बिना सहमति के महिला के पैर छूना उसका शील भंग करने के समान': बॉम्बे...

‘बिना सहमति के महिला के पैर छूना उसका शील भंग करने के समान’: बॉम्बे हाई कोर्ट

''किसी अजनबी व्यक्ति द्वारा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से को उसकी सहमति के बिना छूना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध है।''

बॉम्बे हाई कोर्ट की औरंगाबाद बेंच ने हाल ही में एक मामले पर सुनवाई करते हुए कहा कि बिना सहमति के महिला के पैर छूना उसका शील भंग करने जैसा है। उन्होंने कहा, ”किसी अजनबी व्यक्ति द्वारा महिला के शरीर के किसी भी हिस्से को उसकी सहमति के बिना छूना भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 354 के तहत दंडनीय अपराध है।”

न्यायमूर्ति मुकुंद जी सेवलीकर की एकल न्यायाधीश पीठ 36 वर्षीय जालना निवासी उस शख्‍स की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे पीड़िता की लज्‍जा या शील भंग करने के लिए सत्र अदालत ने दोषी करार दिया था। न्यायाधीश ने दोषी परमेश्वर धागे के जालना सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर की गई याचिका को खारिज कर अपना फैसला सुनाया। पड़ोसी की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने माना कि देर रात एक महिला के बिस्तर पर बैठना और उसके पैर छूना उसका शील भंग करने के समान है।

अदालत के अपने आदेश में कहा, “दोषी एक रात महिला के पति की गैर-मौजूदगी में उसके घर में घुस गया था। उसके इस व्यवहार में यौन मंशा की बू आती है। अन्यथा, इतनी रात को पीड़िता के घर जाने का कोई कारण नहीं था।”

पीड़िता ने बताया था कि 4 जुलाई को वह अपने सास ससुर के साथ घर पर अकेली थी और उसके पति किसी काम से शहर से बाहर गए हुए थे। उसी रात 8 बजे धागे महिला के घर आया और उससे पूछा कि उसके पति घर कब आएँगे। इस दौरान महिला ने उसे बताया कि आज रात उसके पति घर नहीं आएँगे। इसके बाद शिकायतकर्ता मेन गेट बंद करके सोने चली गई, लेकिन उसने अपने कमरे का दरवाजा बंद नहीं किया।

वहीं, धागे के वकील ने तर्क दिया कि दरवाजा अंदर से लॉक नहीं था, इसलिए इसे पीड़िता की ओर से सहमति के रूप में देखा जाना चाहिए। वकील ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ता ने बिना किसी यौन इरादे के केवल महिला के पैर छुए थे।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

नाथूराम गोडसे का शव परिवार को क्यों नहीं दिया? दाह संस्कार और अस्थियों का विसर्जन पुलिस ने क्यों किया? – ‘नेहरू सरकार का आदेश’...

नाथूराम गोडसे और नारायण आप्टे के साथ ये ठीक उसी तरह से हुआ, जैसा आजादी से पहले सरदार भगत सिंह और उनके साथियों के साथ अंग्रेजों ने किया था।

पटाखे बुरे, गाड़ियाँ गलत, इंडस्ट्री भी जिम्मेदार लेकिन पराली पर नहीं बोलेंगे: दिल्ली के प्रदूषण पर एक्शन के लिए ‘लिबरल’ दिमाग के जाले साफ़...

दिल्ली में प्रदूषण को रोकना है तो सबसे पहले उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया जाना होगा जो इसके जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ बोलना होगा।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -