महाराष्ट्र सरकार के गृह विभाग द्वारा अंतरधार्मिक और अंतरजातीय जोड़ों के लिए ‘सेफ हाउस’ बनाने का आदेश जारी करने के एक दिन बाद बॉम्बे हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला दिया। बॉम्बे हाई कोर्ट ने सरकार को हिंदू-मुस्लिम जोड़े की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उन्हें सेफ हाउस मुहैया कराने का आदेश दिया। इस दौरान कोर्ट में खाप पंचायत का भी जिक्र हुआ।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और जस्टिस पी.के. चव्हाण की बेंच ने महाराष्ट्र सरकार को निर्देश दिया कि मुंबई के उपनगरों में जोड़े की पसंद के अनुसार उन्हें एक सुरक्षित स्थान उपलब्ध कराया जाए। कोर्ट ने कहा, “अब जब आपने सेफ हाउस बनाए हैं, तो उन्हें एक सेफ हाउस दें।”
करीब 23 साल की उम्र का ये जोड़ा साल 2021 में कॉलेज की पढ़ाई के दौरान मिला था और इसके बाद रिश्ते में आ गए। जब हिंदू युवक ने मुस्लिम युवती से शादी की इच्छा जताई, तो दोनों के परिवारों से उन्हें धमकियाँ मिलने लगीं। इन हालातों के चलते युवती ने अपनी नौकरी छोड़ दी और दोनों ने अपने घर छोड़ दिए। उन्होंने इसी हफ्ते शादी के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया और अपनी सुरक्षा के लिए कोर्ट से मदद माँगी।
कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य पुलिस को निर्देश दिया कि शाम तक जोड़े को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जाए। इसके साथ ही, पुलिस को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि युवक को अपने कार्यस्थल तक सुरक्षित यात्रा के लिए पर्याप्त सुरक्षा मिले। हालाँकि सेफ हाउस में फिलहाल केवल एक कॉन्स्टेबल की सुरक्षा है, कोर्ट ने स्थानीय पुलिस को निर्देश दिया कि वे जोड़े की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त इंतजाम करें।
इससे पहले, एक अन्य अंतरधार्मिक जोड़े के मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट ने राज्य को सुझाव दिया था कि जिलों में राज्य के गेस्ट हाउस के कमरों का उपयोग सेफ हाउस के रूप में किया जा सकता है।
याचिकाकर्ताओं के वकील वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई ने तब यह मुद्दा उठाया था कि राज्य ने सेफ हाउस और विशेष सेल्स की जानकारी नहीं दी थी। कोर्ट के निर्देश पर 18 दिसंबर 2024 को एक सर्कुलर जारी किया गया, जिसमें महाराष्ट्र में स्थापित सेफ हाउस और विशेष सेल्स की जानकारी दी गई। हालाँकि, याचिकाकर्ता ने आज आपत्ति जताते हुए कहा कि चंडीगढ़ और दिल्ली में अपनाए गए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) के उनके सुझावों पर विचार नहीं किया गया।
इस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा, “चंडीगढ़ और दिल्ली के उदाहरण मत दीजिए… वहाँ खाप पंचायतें हैं। हमारे यहाँ खाप पंचायतें नहीं हैं। यह सब हमारे समाज की परिस्थितियों के अनुसार किया जाना चाहिए।” कोर्ट इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को करेगी।
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर देसाई के साथ अधिवक्ता लारा जेसानी और ऋषिका अग्रवाल पेश हुए। राज्य की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक पी.पी. शिंदे उपस्थित रहे।