Friday, November 22, 2024
Homeदेश-समाजबजट 2019: Zero Budget Farming से बदलेगी देश के किसानों की तस्वीर, दोगुनी होगी...

बजट 2019: Zero Budget Farming से बदलेगी देश के किसानों की तस्वीर, दोगुनी होगी आय

इस खेती में सिंचाई,जुताई और मड़ाई का सारा काम बैलों की मदद से किया जाता है, जिससे किसी भी प्रकार के डीजल या ईंधन से चलने वाले तकनीक का प्रयोग नहीं होता और न ही किसान की जेब पर जोर पड़ता है।

मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में बजट पेश करने के दौरान वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज (जून 5, 2019) कई बड़ी घोषणाएँ की। इन घोषणाओं में रेलवे में निजी भागीदारी बढ़ाने से लेकर देश में जल्द आदर्श किराया क़ानून लागू करना तक शामिल हैं। अपनी घोषणाओं के बीच में वित्त मंत्री ने जीरो बजट फार्मिंग का भी जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि बजट 2019 में जीरो बजट खेती को बढ़ावा मिलेगा ताकि किसानों की आय दोगुनी हो सके। अब ये कैसे होगा और जीरो बजट फार्मिंग आखिर है क्या? आइए जानते हैं।

दरअसल, जीरो बजट खेती में कीटनाशक, रासायनिक खाद और हाइब्रिड बीज या फिर किसी भी आधुनिक तकनीक/ उपाय का इस्तेमाल नहीं होता है। जीरो फार्मिंग खेती पूर्ण रूप से प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर होती है।
इस खेती में किसान सिर्फ़ प्राकृतिक खेती के लिए उनके द्वारा बनाई गई खाघ और अन्य चीजों का प्रयोग करते हैं, जिससे उन्हें रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों को इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ती। देश के कई क्षेत्रों में किसानों ने इस प्रणाली के तहत खेती करना शुरू किया है, जिससे काफ़ी कम समय के अंदर यह बहुत लोकप्रिय भी हुई है।

बताया जाता है कि ऐसी खेती से उगाई गई फसल सेहत के लिए स्वास्थ्यवर्धक होती है और किसानों को खेती करने के दौरान शून्य रुपए का खर्चा आता है, जिसके कारण इसे जीरो बजट फार्मिंग का नाम दिया गया है। जिन किसानों ने इस प्रणाली को अपनाया है, आज वह इससे लाभ कमा रहे हैं। इसलिए देश भर के किसानों के बीच इसे बढ़ावा देने के लिए आज संसद में बजट पेश करने के दौरान इसका जिक्र हुआ।

बता दें इस तरह की खेती में किसान रासायनिक खाद की जगह जो खुद के द्वारा निर्मित देशी खाद का इस्तेमाल करते हैं, उसे ‘घन जीवा अमृत’ कहा जाता है। यह गोबर, गौमूत्र, चने के बेसन, गुड़, मिट्टी तथा पानी से बनाई जाती है। इसके अलावा कीटनाशकों की जगह नीम, गोबर और गौमूत्र से बना नीमास्त्र का इस्तेमाल करते हैं, जिससे फसलों में कीड़े लगने का संभावनाएँ न्यूनतम हो जाती हैं। इस खेती में संकर प्रजाति के बीजों की जगह देशी बीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

इसके अलावा इस खेती में सिंचाई,जुताई और मड़ाई का सारा काम बैलों की मदद से किया जाता है, जिससे किसी भी प्रकार के डीजल या ईंधन से चलने वाले तकनीक का प्रयोग नहीं होता और न ही किसान की जेब पर जोर पड़ता है।

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मुस्लिम लड़की और हिन्दू लड़के ने की मंदिर में शादी, अब्बू ने ‘दामाद’ पर ही करवा दी रेप की FIR: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने...

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक हिन्दू युवक को मुस्लिम लड़की से शादी करने के आधार पर जमानत दे दी। लड़के पर इसी लड़की के अपहरण और रेप का मामला दर्ज है।

कॉन्ग्रेस प्रवक्ता ने दिखानी चाही PM और गौतम अडानी की तस्वीर, दिखा दी अडानी और रॉबर्ट वाड्रा की फोटो: पैनलिस्ट ने कहा, ये ‘जीजा...

शो में शामिल OnlyFact India के संस्थापक विजय पटेल ने मजाक में कहा, "यह फोटो मोदी जी के साथ नहीं, जीजा जी (राहुल गाँधी के बहनोई) के साथ है।"
- विज्ञापन -