कलकत्ता हाई कोर्ट ने शुक्रवार (10 मई 2024) को राजनीतिक दलों और व्यक्तियों को मुर्शिदाबाद की धार्मिक जनसंख्या के बारे में बात करके सांप्रदायिक रूप से भड़काऊ बयान देने पर रोक लगा दिया। दरअसल, मुर्शिदाबाद के सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील क्षेत्रों में कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों द्वारा दिए जा रहे बयानों के संदर्भ में यह आदेश दिया है।
मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने कहा, “राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) घटना की प्रारंभिक जाँच कर रही है और यह अदालत इसकी निगरानी कर रही है। इसलिए किसी भी व्यक्ति या संगठन या राजनीतिक दल को विषयगत मुद्दे के संबंध में या जनसंख्या और जिस धर्म से वे संबंधित हैं, उसके जनसांख्यिकी या आँकड़ों के संबंध में टिप्पणी करने पर रोक होगा।”
बताते चलें कि पश्चिम बंगाल का मुर्शिदाबाद में लगभग 70 प्रतिशत आबादी मुस्लिमों की है और यह जिला धार्मिक रूप से बेहद संवेदनशील है। यहाँ पिछले महीने रामनवमी के अवसर पर निकाले गए शोभायात्रा के दौरान बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसको लेकर पूरे देश भर की नजर इस जिले पर गई थी।
दरअसल, कलकत्ता उच्च न्यायालय दो याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी, एक विश्व हिंदू परिषद की और दूसरी मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की। दोनों याचिकाओं में मुर्शिदाबाद के विभिन्न हिस्सों में दो समुदायों के बीच अचानक भड़की हिंसा की उचित जाँच की माँग की गई थी। एक पक्ष की ओर से पेश वकील ने पीठ को बताया कि एक निर्वाचित प्रतिनिधि ने हाल ही में कुछ ‘घृणास्पद भाषण’ दिये हैं।
उस वकील ने कहा, “निर्वाचित प्रतिनिधि ने कहा कि क्षेत्र में हिंदुओं की आबादी केवल 30 प्रतिशत है, जबकि बाकी 70 प्रतिशत मुस्लिम हैं। निर्वाचित प्रतिनिधि ने आगे कहा कि जब किसी मस्जिद पर हमला हुआ है तो बहुसंख्यकों (मुसलमानों) की ताकत है यहाँ प्रबल होना चाहिए।” कोर्ट को यह भी बताया गया कि पिछले महीने हिंसा के दौरान उपद्रवियों ने बम फेंके थे।
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) अशोक कुमार चक्रवर्ती ने पीठ को बताया कि यदि बम फेंके जाने का तर्क सही है तो यह राष्ट्रीय जाँच एजेंसी अधिनियम (NIA अधिनियम) के तहत अनुसूचित अपराधों के अंतर्गत आएगा। इसके बाद अदालत ने NIA को इस मामले में जाँच करके विस्तृत रिपोर्ट देने का निर्देश दिया है।
इस पर मुख्य न्यायाधीश शिवगणनम ने कहा, “अगर ऐसा है तो वर्तमान मामले में दर्ज की गई प्रथम सूचना रिपोर्ट (FIR) को किसी केंद्रीय एजेंसी को स्थानांतरित किया जाना चाहिए। लेकिन, उन्हें (एनआईए को) उन रिपोर्टों की जाँच करने के लिए कुछ उचित समय दें, जिनमें दावा किया गया है कि बमों का इस्तेमाल किया गया था।” इस मामले की अगली सुनवाई 13 जून को होगी।
बता दें कि मुर्शिदाबाद जिले के बहरामपुर विधानसभा सीट से तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) विधायक हुमायूँ कबीर ने कुछ दिन पहले एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था, “तुम लोग (हिंदू) 70 फीसदी हो और हम लोग भी 30 फीसदी हैं। यहाँ पर तुम काजीपाड़ा का मस्जिद तोड़ोगे और बाकी मुसलमान हाथ पर हाथ रखकर बैठे रहेंगे, यह कभी नहीं होगा। भाजपा को मैं यह बता देना चाहता हूँ कि यह कभी भी नहीं होगा। अगर 2 घंटे के अंदर भागीरथी नदी में बहा न दिया तो मैं राजनीति छोड़ दूँगा।”