पश्चिम बंगाल स्थित कलकत्ता हाईकोर्ट की न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने देश में अवैध रूप से रहीं चार रोहिंग्या मुस्लिम महिलाओं को वापस म्यांमार भेजने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने गुरुवार (4 जुलाई 2022) को केंद्र सरकार से कहा कि 10 अगस्त को उनकी याचिका पर सुनवाई होने तक उन्हें वापस नहीं भेजा जाए।
दरअसल, इन महिलाओं ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा है कि म्यांमार में उनके जीवन को खतरा है, इसलिए उन्हें वापस नहीं भेजा जाए और उन्हें शरणार्थी के रूप में भारत में ही रहने की अनुमति दी जाए।
इसी साल 31 जनवरी को दी याचिका में रोहिंग्या महिलाओं ने कोर्ट से यह माँग की है कि बंगाल के विभिन्न बाल सुधार गृहों में बंद उनके नाबालिग बच्चों को उनके साथ रहने की अनुमति दी जाए।
बता देें कि साल 2016 में चारों महिलाएँ अपने 13 बच्चों के साथ अवैध रूप से भारत में घुस आई थीं। इसमें इन महिलाओं और उनके बच्चों को दोषी माना गया था। साल 2019 में उनकी सजा पूरी हो गई। इसके बाद सरकार उन्हें वापस उनके देश भेजने की प्रक्रिया में लग गई। तब उन्हें बंगाल के दमदम स्थित सुधार गृह में रखा गया है।
इन महिलाओं ने गुरुवार को एक अर्जेंट याचिका दाखिल कर कोर्ट को बताया कि उन्हें 5 अगस्त को म्यांमार भेजा जा रहा है। इसलिए इस पर तुरंत रोक लगाई जाए और उन्हें भारत में ही रहने की इजाजत दी जाए।
याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट की न्यायमूर्ति मौसमी भट्टाचार्य की एकल पीठ ने राज्य सुधार सेवा विभाग को चार रोहिंग्या कैदियों को सभी बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करने का भी निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने केंद्र सरकार और राज्य सरकार के वकीलों से पूछा कि क्या इस मामले में कोई विशेष निर्देश है। इस पर केंद्र सरकार के वकील धीरज त्रिवेदी और राज्य सरकार के वकील अनिर्बन रॉय ने किसी भी आदेश की जानकारी से इनकार किया।
इसके बाद न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने निर्देश दिया कि मौजूदा स्थिति में चारों याचिकाकर्ताओं को वापस म्यांमार नहीं भेजा जा सकता। उन्होंने दमदम केंद्रीय सुधार गृह अधिकारियों को उनके रहने की बुनियादी सुविधाओं की व्यवस्था करनी होगी।