कभी देश में महिला सशक्तिकरण की प्रतीक रही ICICI Bank की पूर्व सीईओ पद्मश्री और पद्मभूषण चंदा कोचर (Ex CEO Chanda Kochar) और उनके पति दीपक कोचर को सैकड़ों करोड़ रुपए के घोटाले में गिरफ्तार कर लिया गया है। शुक्रवार (23 दिसंबर 2022) को CBI ने दोनों को पूछताछ के लिए बुलाया था।
अधिकारियों का कहना है कि पूछताछ के दौरान चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर टाल-मटोल कर रहे थे और सवालों का जवाब नहीं दे रहे थे। इसके बाद अधिकारियों ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया। आज शनिवार (24 दिसंबर 2022) को दोनों को CBI की स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा।
CBI ने यह कार्रवाई ICICI बैंक और वीडियोकॉन लोन धोखाधड़ी के मामले में की है। चंदा कोचर के समय ICICI बैंक ने वीडियोकॉन को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था, जो बाद में नॉन परफॉर्मिंग एसेट (NPA) हो गए। NPA को साधारण भाषा में कहें तो ये पैसे डूब गए।
ICICI बैंक ने 2009 से 012 तक वीडियोकॉन ग्रुप को 3250 करोड़ रुपए का लोन दिया था। इसमें से 86 प्रतिशत (करीब 2810 करोड़ रुपए) ऋण वीडियोकॉन ने नहीं चुकाए। इसके बाद साल 2017 में इस लोन को ICICI बैंक ने NPA खाते में डाल दिया। उस समय बैंक की प्रमुख चंदा कोचर थीं।
आरोप है कि चंदा कोचर ने वीडियोकॉन को यह लोन इस शर्त पर दिया था कि वीडियोकॉन चंदा के पति दीपक कोचर की कंपनी में निवेश करेगा। वीडियोकॉन ग्रुप के पूर्व चेयरमैन वेणुगोपाल धूत ने कोचर की कंपनी नूपावर रिन्यूएबल में लोन के पैसे से करोड़ों रुपए का निवेश किया था।
वीडियोकॉन को लोन की मंजूरी देने वाली कमिटी में चंदा कोचर खुद शामिल थीं। बाद में यह मामला सामने आया तो बवाल हो गया। CBI ने 24 जनवरी 2019 को FIR दर्ज की और उसमें चंदा, उनके पति दीपक और वीडियोकॉन के वेणुगोपाल धूत को आरोपित बनाया।
दरअसल, यह मामला तब सामने आया, जब ICICI Bank और वीडियोकॉन के शेयर होल्डर अरविंद गुप्ता ने फ्रॉड का आरोप लगाया था। अरविंद गुप्ता ने साल 2018 में प्रधानमंत्री, भारतीय रिजर्व बैंक और सेबी (SEBI) को पत्र लिखकर वीडियोकॉन के एमडी धूत और ICICI Bank की सीईओ चंदा कोचर पर एक-दूसरे को लाभ पहुँचाने का आरोप लगाया था।
कोचर के बुरे दिन की शुरुआत
इस कार्रवाई के बाद बैंक ने अप्रैल 2009 से मार्च 2018 के बीच चंदा कोचर को दिए गए सभी बोनस को वापस ले लिया। फरवरी 2019 में बैंक ने चंदा कोचर को टर्मिनेशन लेटर देकर उन्हें पद से हटा दिया। फिलहाल मामले की जाँच CBI, ED, SFIO और आयकर विभाग जाँच कर रही है।
जनवरी 2020 में ED ने कोचर परिवार की 78 करोड़ रुपए से ज्यादा की संपत्ति की थी। उस दौरान ED ने पूछताछ के बाद दीपक कोचर को गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद पिछले साल फरवरी में स्पेशल PMLA कोर्ट ने आईसीआईसीआई बैंक-वीडियोकॉन मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 5 लाख रुपए के मुचलके पर जमानत दे दी थी। कोर्ट ने देश से बाहर जाने पर रोक लगा दिया था।
महिला सशक्तिकरण की प्रतीक चंदा कोचर
एक समय था जब चंदा कोचर को भारत में महिला सशक्तिकरण का प्रतीक माना जाता था। उन्हें ICICI बैंक को ऊँचाइयों पर पहुँचाने वाली महिला के रूप में भी याद किया जाता है। विश्व की प्रतिष्ठित पत्रिका फोर्ब्स ने उन्हें दुनिया की 100 सबसे शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल किया था।
चंदा कोचर भारत में किसी बैंक की CEO बनने वाली पहली महिला थीं। बैंकिंग सेक्टर में उनके योगदान को देखते हुए भारत सरकार ने चंदा कोचर को देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े नागरिक सम्मान पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया है।
कभी कमाती थी एक दिन में 2.18 लाख रुपए
जब मामले का खुलासा हुआ था, तब चंदा कोचर का एक दिन का वेतन करीब 2.20 लाख रुपए था। धोखाधड़ी, रिश्वत, मनी लॉन्ड्रिंग और NPA से जुड़े इस मामले ने चंदा कोचर के स्वर्णिम करियर को बर्बाद कर दिया।
चंदा कोचर ने साल 1984 में इंडस्ट्रियल क्रेडिट एवं इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया को मैनेजमेंट ट्रेनी के रूप में ज्वॉइन किया था। उस समय यह बैंक नहीं था। साल 1994 में ICICI बैंक बना। चंदा कोचर कोर टीम का हिस्सा बनीं और वह मैनेजमेंट ट्रेनी से सीधे सहायक जनरल मैनेजर बन गईं।
चंदा कोचर मैनेजमेंट ट्रेनी से डिप्टी जनरल मैनेजर बनीं, फिर डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर बनीं। साल 2009 में वह बैंक की प्रबंध निदेशक (Managing Director) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (CEO) बनीं। अपने पति की कंपनी को फायदा पहुँचाने के लिए चंदा कोचर ने वीडियोकॉन के साथ मिलकर इस बैंक फ्रॉड को अंजाम दे दिया।