कई प्रदेशों में राज्यपाल रहे भाजपा के दिग्गज जाट नेता के घर केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI की टीम पहुँची है। सीबीआई कथित रिश्वत मामले में जानकारी के लिए उनके घर पहुँची है। मामला रिलायंस बीमा योजना से संबंधित है। मलिक ने आरोप लगाया था कि इसे आगे बढ़ाने के लिए उन्हें रिश्वत की पेशकश की गई थी।
पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने दावा किया था कि 23 अगस्त 2018 और 30 अक्टूबर 2019 के बीच जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल रहते हुए उनके सामने दो फाइलें आई थीं। इन दो फाइलों को मंजूरी देने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने दावा किया था इस प्रस्ताव को उन्होंने ठुकरा दिया था।
A CBI team arrives at the Delhi residence of former J&K governor Satyapal Malik, in connection with an alleged insurance scam in J&K involving Reliance General Insurance pic.twitter.com/9AYPhK8z9C
— ANI (@ANI) April 28, 2023
अधिकारियों ने बताया था कि शुक्रवार (28 अप्रैल 2028) को बीमा घोटाले की जाँच के सिलसिले में जम्मू-कश्मीर के पूर्व राज्यपाल सत्यपाल मलिक से पूछताछ करेगी। उन्होंने कहा कि सीबीआई की एक टीम राष्ट्रीय राजधानी के आरकेपुरम इलाके में स्थित सोम विहार के उनके आवास पर जाकर इस मामले में स्पष्टीकरण ली।
पिछले सात महीनों में सत्यपाल मलिक से यह दूसरी बार पूछताछ है। इसके पहले अक्टूबर 2022 को सीबीआई ने उनसे पूछताछ की थी। बिहार, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय में राज्यपाल रह चुके सत्यपाल इस मामले में संदिग्ध नहीं हैं। इस मामले में सीबीआई ने देश में कुछ जगहों पर छापेमारी भी की थी।
सत्यपाल मलिक ने 17 अक्टूबर 2021 को राजस्थान के झुंझनूं में हुए एक कार्यक्रम में कहा था, “मैं श्रीनगर के दो मामलों के लिए प्रधानमंत्री के पास गया था। दोनों गलत थे, कैंसिल कर दिए। मुझे डेढ़-डेढ़ सौ करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई थी। मुझे कुछ नहीं चाहिए। मैं 5 कुर्ते-पायजामे में आया था, उसी में चला जाऊँगा।”
सत्यपाल मलिक ने पहले आरोप लगाया था कि महबूबा मुफ़्ती-भाजपा सरकार में मंत्री रहे एक RSS से जुड़े शख्स की फाइल और अंबानी से जुड़ी एक फ़ाइल क्लियर करने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपए रिश्वत की पेशकश की गई थी। उन्होंने ‘राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ’ के उक्त नेता को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का करीबी करार दिया था।
इसके बाद हाल ही में करण थापर को दिए इंटरव्यू में मलिक ने आरोप लगाया था कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे, तब आरएसएस और बीजेपी नेता राम माधव ने रिलायंस इंश्योरेंस द्वारा प्रस्तावित योजना को पारित कराने की कोशिश करने के लिए उनसे मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने इसे रद्द कर दिया था। सत्यपाल मलिक ने यह भी आरोप लगाया कि जब वह जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल थे तब राम माधव ने ‘अंबानी’ से संबंधित दो फाइलें पास करने के लिए उन्हें 300 करोड़ रुपए की रिश्वत देने की कोशिश की थी।
इंटरव्यू के दौरान कई विवादास्पद टिप्पणियाँ करते हुए सत्यपाल मलिक ने कहा था, “शुरुआत में मैंने इस योजना को पास किया था, लेकिन बहुत से लोगों ने मुझे इसे वापस लेने के लिए कहा। पहली बात तो यह हुई कि सरकारी कर्मचारी इस योजना के आने से वास्तव में नाखुश थे। ऐसा इसलिए क्योंकि इस योजना के लिए सभी सरकारी कर्मचारियों को सालाना 8,500 रुपये का भुगतान करना पड़ता था। सेवानिवृत्त अधिकारियों को 20,000 रुपये से अधिक देने थे।”
हालाँकि, संघ के नेता राम माधव ने इन आरोपों से इनकार किया है और सत्यपाल मलिक को मानहानि का नोटिस भेजा है। मलिक को भेजे गए अपने कानूनी नोटिस में राम माधव ने कहा था, “मलिक ने राजनीतिक दायरे में प्रासंगिक बने रहने के लिए असत्य और मानहानिकारक बयान दिए।”