आयकर विभाग ने गुरुवार (अप्रैल 4, 2019) को यह जानकारी दी कि 2017-2018 में 1.07 करोड़ नए करदाताओं को जोड़ा गया है, वहीं ड्रोप्ड फाइलरों यानी पहले ITR करने और बाद में छोड़ देने वालों की संख्या घटकर लगभग 25.22 लाख रह गई है। आयकर विभाग की इस जानकारी से यह स्पष्ट है कि 2017-18 में नोटबंदी के चलते आयकर देने वालों की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है यानी इसे नोटबंदी का सकारात्मक रूप कहा जा सकता है।
ख़बर के अनुसार, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा कि वित्त वर्ष 2017-18 में 6.87 करोड़ लोगों ने आयकर रिटर्न (ITR) फाइल किए वहीं 2016-17 के वित्त वर्ष में यह संख्या 5.48 करोड़ थी यानी 2017-18 के दौरान ITR जमा करने वालों की संख्या में 25 फीसदी वृद्धि हुई।
सीबीडीटी का कहना है कि आयकर जमा करने वालों की संख्या में बढ़त दर्ज की गई है जिसमें 2017-18 के वित्त वर्ष में 1.07 करोड़ और 2016-17 में 86.16 लाख नए करदाता जुड़े थे। इस बात पर भी ज़ोर दिया गया कि नोटबंदी ने कर आधार और प्रत्यक्ष कर संग्रहण के दायरे के विस्तार में असाधारण रुप से सकारात्मक असर डाला है।
इसके अलावा ड्रोप्ड करदाताओं की बात करें तो उस संख्या में भी कमी दर्ज की गई है। 2016-17 में यह संख्या 28.34 लाख थी तो वहीं 2017-18 में यह घटकर 25.22 लाख रही। 2016-17 की तुलना में 2017-18 में विशुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रहण 18 फ़ीसदी बढ़कर 10.03 लाख करोड़ हो गया।
देखा जाए तो करदाताओं की बढ़ी हुई यह संख्या इस बात की ओर इशारा करती है कि अतीत में नोटबंदी का लिया गया फ़ैसला सही दिशा में अग्रसर था जिसका परिणाम आज सामने है।