सुप्रीम कोर्ट में सोमवार (अक्टूबर 5, 2020) को भगोड़े शराब कारोबारी विजय माल्या के मामले पर सुनवाई हुई। भारतीय विदेश मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि माल्या के प्रत्यर्पण का आदेश ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने दिया था, लेकिन उसका कोई असर नहीं हुआ। इस मामले पर केंद्र सरकार का कहना है कि उसे ब्रिटेन में चल रही ‘गुप्त’ कार्यवाही और कारणों की जानकारी नहीं है जो माल्या के प्रत्यर्पण में देरी कर रही है।
Ministry of External Affairs tells Supreme Court that extradition of fugitive businessman Vijay Mallya was ordered by United Kingdom’s highest court but has not been affected. Centre says it’s not aware of secret ongoing proceedings in UK which are delaying Mallya’s extradition pic.twitter.com/ph7L0OGwDJ
— ANI (@ANI) October 5, 2020
न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने माल्या के वकील से पूछा कि उसके प्रत्यर्पण के लिए यह किस तरह की गोपनीय कार्यवाही चल रही है। इस पर माल्या के वकील अंकुर सैगल ने अदालत से कहा कि उन्हें यह जानकारी नहीं है कि किस तरह की कार्यवाही चल रही है।
माल्या के वकील ने कहा, “मुझे इतनी ही जानकारी है कि प्रत्यर्पण कार्यवाही के खिलाफ मेरा अनुरोध अस्वीकार कर दिया गया है।” पीठ ने माल्या के वकील को दो नवंबर तक यह जानकारी देने का निर्देश दिया कि भगोड़ा कारोबारी अदालत में कब पेश हो सकेगा और यह गोपनीय कार्यवाही कब खत्म होने वाली है।
केंद्र सरकार की ओर से अधिवक्ता रजत नायर ने पीठ से कहा कि अदालत के निर्देशानुसार ही प्रत्यर्पण का अनुरोध किया गया है। उन्होंने कहा कि कोई गोपनीय प्रत्यर्पण कार्यवाही चल रही है, जिसके बारे में उन्हें जानकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि ब्रिटेन की सर्वोच्च अदालत ने माल्या के प्रत्यर्पण की कार्यवाही को बरकरार रखा है, लेकिन अभी ऐसा नहीं हो रहा है।
शीर्ष अदालत ने इससे पहले माल्या की 2017 की पुनर्विचार याचिका खारिज करते हुए उसे 5 अक्टूबर को अदालत में पेश होने का निर्देश दिया था। अदालत ने विजय माल्या को कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन करके अपने बच्चों के खातों में चार करोड़ अमेरिकी डॉलर हस्तांतरित करने के मामले में 2017 में अवमानना का दोषी ठहराया था। माल्या पर अब बंद हो चुकी किंग्सफिशर एयरलाइंस से संबंधित 9,000 करोड़ रुपए से अधिक का बैंक कर्ज अदा नहीं करने का आरोप है। माल्या इस समय ब्रिटेन में है।
शीर्ष अदालत ने 2017 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह की याचिका पर वह आदेश दिया था। याचिका में कहा गया था कि माल्या ने कथित रूप से विभिन्न न्यायिक आदेशों का ”खुलेआम उल्लंघन” कर ब्रिटिश कंपनी डियाजियो से प्राप्त 40 मिलियन यूएस डॉलर अपने बच्चों के खातों में ट्रांसफर किए थे।
भारतीय एजेंसियाँ उसके प्रत्यर्पण की कोशिश में जुटी हैं। लंदन हाईकोर्ट ने इस साल 14 मई को उस अर्जी को भी खारिज कर दिया, जिसमें माल्या ने प्रत्यर्पण के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील करने की इजाजत माँगी थी। इसके बाद माल्या के पास कोई कानूनी विकल्प नहीं बचा है।