सदियों से मेडिकल छात्रों को हिपोक्रेटिक शपथ (Hippocratic Oath) दिलाने का दौर अब खत्म होने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इसी क्रम में मेडिकल छात्रों को भारतीय संस्कृति से जोड़े रखने के लिए ‘चरक’ शपथ दिलाने का प्रस्ताव सामने आया है। कुछ रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि इसी 14 फरवरी से मेडिकल कॉलेजों में शुरू हो रहे अकादमिक सत्र में ये चरक शपथ दिलाई जाएँगी। वहीं कुछ रिपोर्ट्स का कहना है कि इस मामले पर दो राय होने की वजह से अभी और चर्चा होगी।
महर्षि चरक की परंपरा में चिकित्सा एक व्यवसाय नही अपितु मानवसेवा का माध्यम है।
— स्वामी रामदेव (@yogrishiramdev) February 12, 2022
एम्स के पूर्व निदेशक का अभिनंदन। pic.twitter.com/1do7jp0nMT
जानकारी के मुताबिक, इस संबंध में नेशनल मेडिकल कमीशन (National Medical Commission- एनएमसी) के अंडरग्रेजुएट बोर्ड ने पिछले हफ्ते कॉलेजों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी। इसी मीटिंग में हिपोक्रेटिक शपथ का चलन खत्म करके चरक शपथ लेने के प्रस्ताव को रखा गया जिसपर अलग-अलग मेडिकल कॉलेजों ने अपनी मिलीजुली राय दी। इस दौरान एम्स के पूर्व निदेशक ने इसका समर्थन किया और कहा कि सबको इसका पालन करना चाहिए।
एम्स के पूर्व निदेशक का ये समर्थन देखकर स्वामी रामदेव ने भी महर्षि चरक की परंपरा को लेकर अपना ट्वीट किया। उन्होंने कहा, “चिकित्सा एक व्यवसाय नहीं अपितु मानवसेवा का माध्यम है। एम्स के पूर्व निदेशक का अभिनंदन।” इसी प्रकार इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के अध्यक्ष डॉ सहजानंद प्रसाद सिंह ने कहा कि आईएमए 19-20 फरवरी को इस पर एक बैठक करेगा क्योंकि डॉक्टरों के बीच इसे लेकर विवाद की स्थिति है।
उल्लेखनीय है कि महर्षि चरक का आयुर्वेद विज्ञान में योगदान प्रमुख है। वह चिकित्सा ग्रंथ संहिता के लेखक हैं। नए प्रस्ताव के अनुसार, नए छात्रों को केवल चरक शपथ ही नहीं लेनी होगी बल्की डॉक्टरी पढ़ने आए छात्रों को 10 दिन की योगा ट्रेनिंग भी लेनी होगी। रिपोर्टों के अनुसार, इस पूरे विषय पर एक काउंसिल सदस्य ने बताया, “मॉडर्न मेडिसिन का इतिहास 200 साल से ज्यादा पुराना नहीं है। तो डॉक्टरों को ग्रीक फिजिशयन के नाम पर शपथ क्यों दिलाई जाए जब भारत का मेडिसिन में समृद्ध इतिहास रहा है। यह हमारी कई बैठकों में तय हो चुका है। महर्षि चरक के नाम पर शपथ लेना गर्व का विषय है।”