एक नाबालिग लड़की। उम्र – 15 साल। एक महिला ने न सिर्फ इस नाबालिग को अपने घर में बंधक बनाकर रखा बल्कि सामूहिक बलात्कार भी करवाया। यह नाबालिग किसी तरह बचते-बचाते गुरुवार (12 जुलाई 2019) को वहाँ से भागने में सफल हुई और अपने घर वापस आई। यह घटना चेन्नई के पुरसावलम की है।
ख़बर के अनुसार, नाबालिग लड़की को तीन महिलाओं द्वारा जबरन सेक्स रैकेट में शामिल किया गया। पुलिस ने पीड़िता की माँ की शिक़ायत पर कार्रवाई करते हुए तीनों महिलाओं को गिरफ़्तार कर लिया है। तीनों आरोपितों की पहचान मुबीना बेगम (37 साल), निशा (36 साल) और सबीना (31 साल) के रूप में की गई है।
मीडिया में आई ख़बर के मुताबिक़, सबीना और मुबीना बेगम ने नौकरी का झाँसा देकर नाबालिग लड़की को बहला-फुसलाया और अपने साथ ले गई। फिर निशा ने उसे अपने घर में नज़रबंद कर दिया और उसे ज़बरदस्ती वेश्यावृति में धकेल दिया।
पीड़िता अपनी माँ और दादी के साथ पुलियानथोप में रहती है। नाबालिग की माँ एक दिहाड़ी मजदूर हैं। 3 जुलाई को नाबालिग लड़की और उसकी दादी के बीच में किसी बात को लेकर बहस हो गई थी, इसके बाद लड़की ने गुस्से में अपना घर छोड़ दिया। बच्ची के घर वापस न आने पर 6 जुलाई को उसकी माँ ने पुलियानथोप पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई।
पुलियानथोप पुलिस ने अपनी जाँच में पाया कि लड़की कुछ समय से एक आरोपित सबीना को जानती थी और अपना घर छोड़ने के बाद वो उससे मिलने (3 जुलाई) उसके घर गई थी। बाद में दोनों की मुलाकात सबीना की पड़ोसी मुबीना से हुई थी, जिसने लड़की को नौकरी दिलाने का झाँसा दिया। इसके बाद सबीना और मुबीना दोनों उस लड़की को निशा के घर ले गए, जहाँ उसे एक कमरे में बंद कर दिया।
अगले कुछ दिनों में, पाँच लोग कथित तौर पर उस कमरे में आए और उसके साथ बलात्कार किया। इस बात की पुष्टि एक पुलिस अधिकारी ने की। उन्होंने बताया, “वह कमरे से भागने में कामयाब रही और सोमवार को अपने घर पहुँच गई।”
पुलिस ने द टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि तीनों महिला आरोपितों के ख़िलाफ़ पहले से ही वेश्यावृत्ति के मामले लंबित हैं।
पुलियानथोप पुलिस स्टेशन की सभी महिला टीम ने उन पाँच पुरुषों के मोबाइल नंबर जुटा लिए हैं, जिन्होंने कथित रूप से पीड़िता के साथ बलात्कार किया था। इसके अलावा गिरफ़्तार की गई महिलाओं से भी उन पुरुषों के बारे में पूछताछ की जा रही है।
इस बीच, लड़की को राजीव गाँधी सरकारी अस्पताल में मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा जा चुका है। बुधवार (11 जुलाई 2019) को, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (POCSO) में संशोधन को मंज़ूरी दी थी। नए संशोधनों में नाबालिग लड़की या लड़के के ख़िलाफ़ यौन उत्पीड़न के मामलों में मृत्युदंड समेत कठोर दंड का प्रावधान शामिल है।