आज गुरुवार (4 नवंबर 2021) को दीवाली का त्योहार है। इस दिन सभी हिंदू दीपोत्सव और पटाखे फोड़कर त्योहार मनाते हैं। इसी क्रम में भारतीय शतरंज खिलाड़ी ग्रैंडमास्टर रामचंद्रन रमेश ने पटाखे जलाकर हिंदू त्योहार ‘दिवाली’ के उत्सव का समर्थन किया।
उन्होंने एक ट्वीट में लिखा, “दीवाली मनाने का सही तरीका! सभी को दीपावली की शुभकामनाएँ!” शतरंज के जादूगर ने अपने आवास के बाहर पटाखों की लड़ी पकड़े हुए अपनी एक तस्वीर भी साझा की थी। ऐसा करके रामचंद्रन रमेश लिबरल लाइन न मानने वाली हाई प्रोफाइल हस्तियों में से एक बन गए और हिंदू त्योहार मनाने को लेकर अडिग रहे।
Proper way to celebrate Diwali! Happy Diwali wishes to all! pic.twitter.com/1e3uRfpawS
— Ramesh RB (@Rameshchess) November 4, 2021
हालाँकि, उनके द्वारा दीवाली का समर्थन करना लिबरल्स को अच्छा नहीं लगा। जैसा कि अपेक्षित था, वह स्यूडो ऐक्टिविस्ट, लेफ्ट लिबरल लॉबी और हिंदू त्योहारों के दौरान पर्यावरण की चिंता करने वाले पर्यावरणविदों के हमले का शिकार हो गए। ये वो लोग हैं, जिनकी सतत विकास की भावना केवल हिंदू त्योहारों से पहले ही सक्रिय होती है। इसी क्रम में एक लिबरल्स शुभ्रा गुप्ता ने दावा किया, “पहले से ही नाजुक दिल्ली के माहौल पर पटाखे और पराली जलाने से बहुत दबाव पड़ता है। पटाखों पर प्रतिबंध लगाना अधिक नियंत्रण योग्य है, हालाँकि यह स्थायी समाधान नहीं है।”
रामचंद्रन रमेश ने आईआईटी कानपुर की रिपोर्ट का हवाला दिया और बताया कि राष्ट्रीय राजधानी में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) को प्रभावित करने वाले प्रदूषकों की शीर्ष 15 सूची में पटाखे शामिल नहीं हैं। उन्होंने कहा, “विज्ञान पर आधारित IIT के अध्ययन के अनुसार पटाखे प्रदूषण के शीर्ष 15 कारकों में भी नहीं हैं। लेकिन, तथ्यों को नरेटिव गढ़ने के आड़े नहीं आने दें। वास्तविक प्रदूषण पैदा करने वाले कारकों पर ध्यान केंद्रित करने वाला प्रति वर्ष एक ट्वीट वास्तविक मंशा को दिखाता है।”
जब एक अन्य उदारवादी ने शतरंज के ग्रैंडमास्टर को मूर्ख और अज्ञानी बताकर उनका मज़ाक उड़ाने की कोशिश की तो उन्होंने जवाब दिया, “5 साल की उम्र से यह मूर्खता कर रहा हूँ। धन्यवाद।”
एक अन्य उदारवादी ने रामचंद्रन रमेश को शतरंज पर ध्यान देने की सलाह दी। शतरंज के जादूगर ने जवाब देते हुए ट्रोल को कहा, “आप ऐसा कह रहे हैं मिस्टर सेक्युलर। पूरी दुनिया आपकी सेवा में है।”
दिवाली हिंदू समुदाय के लिए साल में एक बार मनाया जाने वाला उत्सव है, जहाँ लोग भगवान राम की अयोध्या वापसी का जश्न मनाने के लिए शाम को पटाखे जलाते हैं। वहीं, कई सरकारें, संगठन और अदालतें हिंदू त्योहार के खिलाफ लगातार टार्गेटेड अटैक कर रही हैं। इसे वायु प्रदूषण के पीछे का कारण बता रही हैं। हालाँकि, कम से कम ये दावे रिसर्च पर आधारित नहीं हैं और ना ही सही हैं।
उल्लेखनीय है कि 2016 में आईआईटी कानपुर के एक शोध में पाया गया था कि दिल्ली की खराब वायु गुणवत्ता में पटाखों का अधिक योगदान नहीं है। उक्त स्टडी के मुताबिक, कंस्ट्रक्शन साइटों की धूल प्रदूषण के लिए सर्वाधिक जिम्मेदार थी। इसके बाद गाड़ियों का प्रदूषण, खराब बुनियादी ढाँचा और सबसे बड़ा कारण पराली जलाना था। हालाँकि, इस जुलाई में पटाखों के खिलाफ प्रतिबंध के एनजीटी के आदेश के खिलाफ एक याचिका में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए अध्ययन को खारिज कर दिया था कि उन्हें यह तय करने के लिए आईआईटी कानपुर की आवश्यकता नहीं है कि पटाखों से प्रदूषण होता है।
आईआईटी कानपुर द्वारा दिल्ली के प्रदूषण के आँकड़ों के किए गए विश्लेषण में सुझाव दिया गया था कि दिवाली के कारण होने वाला प्रदूषण बेहद अल्पकालिक (24 घंटे से कम) है और दिल्ली की हवा में सालों भर मौजूद रहने वाले प्रदूषकों से कम खराब है।