छत्तीसगढ़ के दुर्ग में ग्रामीणों ने ईसाई समुदाय के 45 से ज्यादा लोगों को बंधक बना लिया। रिपोर्ट के अनुसार इस समूह में महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। बताया जा रहा है कि यह समूह रविवार (17 अक्टूबर 2021) देर रात लालच देकर धर्मांतरण के इरादे से धमधा ब्लॉक के ओटेबंद गाँव पहुँचा था। इस बीच राज्यपाल अनुसुइया उइके ने धर्मांतरण को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखा है। इसमें जबरन धर्म परिवर्तन की शिकायत मिलने पर कार्रवाई करने को कहा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार ओटेबंद गाँव में ईसाई समूह के पहुँचने के बाद तनाव की स्थिति पैदा हो गई। गुस्साए ग्रामीणों ने इन्हें बंधक बना लिया। घटना की खबर मिलने पर नंदिनी पुलिस मौके पर पहुँची और बंधक बनाए गए लोगों को साथ ले गई। पुलिस ने इनके पास से धार्मिक किताबों सहित अन्य दस्तावेज जब्त किए हैं।
जानकारी के मुताबिक रायपुर समेत कई जगहों से पहुँचे पुरुष, महिलाओं और बच्चों ने गाँव के भाटपारा इलाके में स्पेशल प्रेयर मीट का आयोजन किया था। जैसे ही ग्रामीणों को ये बात पता चली वे तुरंत इकट्ठा हो गए। जब गाँव के लोगों ने उनसे आने की वजह पूछी तो वे इधर-उधर की बातें करने लगे। उन्होंने खास प्रार्थना सभा की बात बताई। उनकी बातों से जब गाँव के लोग संतुष्ट नहीं हुए तो सभी को कम्युनिटी हॉल में बंद कर दिया।
इस बीच बीजेपी, विश्व हिंदू परिषद और शिवसेना के कार्यकर्ता भी बड़ी संख्या में पहुँच गए। पुलिस ने ग्रामीणों को समझाकर धर्मांतरण के लिए पहुँचे लोगों को हिरासत में ले लिया। 2 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। वहीं वहाँ मौजूद बीजेपी, वीएचपी कार्यकर्ताओं ने स्थानीय विधायक का पुतला जलाया। नंदिनी टीआई लक्ष्मण कुमेटी ने बताया कि सभी के बयान दर्ज कर लिए गए हैं। मामले की जाँच की जा रही है। वहीं अहिवारा विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सांवलाराम डहरे का आरोप है कि कॉन्ग्रेस सरकार के संरक्षण में अनुसूचित जातियों वाले इलाकों में धर्मांतरण किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भोले-भाले गरीबों को लालच लेकर धर्मांतरण के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसे बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
दूसरी तरफ राज्यपाल अनुसूईया उइके ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिख कर जबरन धर्मांतरण करवाने वालों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए कहा है। राज्यपाल ने मीडिया से बात करते हुए इस बात की जानकारी दी।
उन्होंने कहा, “धर्मांतरण का तो अपने आप में कानून बना है और धर्मांतरण किया हुआ व्यक्ति किसी को भी जबरन धर्मांतरित नहीं करा सकता। ये कानूनन अपराध है। अगर कोई इस तरह की शिकायत आती है, कोई लालच, प्रलोभन देकर जबरन धर्मांतरण करवा रहा है तो निश्चित रूप से उसके ऊपर कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। समय-समय पर सामाजिक संस्थाओं के प्रतिनिधि मिले और मुझसे कार्रवाई की माँग की। मैंने प्रशासन का ध्यान आकर्षित किया है कि ऐसे मामलों में शिकायत मिलने पर उचित कदम उठाएँ। इस मामले में मैंने मुख्यमंत्री को भी पत्र लिखा है।”
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ महीनों से राज्य में जबरन धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। दिन-प्रतिदिन यह समस्या गंभीर होती जा रही है। ईसाई मिशनरी राज्य के आदिवासी क्षेत्रों समेत शहरों में भी बड़े पैमाने पर लोभ-लालच से धर्मांतरण करा रही हैं। हर रविवार को प्रार्थना सभा और धर्मांतरण के आरोपों को लेकर किसी न किसी जिले में मारपीट अथवा तनाव होता ही है।
पिछले दिनों राजधानी रायपुर में पुलिस ने पादरी हरीश साहू को भटगाँव इलाके में जबरन धर्म परिवर्तन कराने की शिकायत मिलने के बाद हिरासत में लिया था। मामले सामने आने के बाद कुछ दक्षिणपंथी संगठन से जुड़े लोग भी थाने पहुँच गए। इसके बाद थाने में हंगामा हुआ और जो देखते ही देखते मारपीट में तब्दील हो गई। कथित तौर पर नाराज लोगों ने पादरी की जूतों से पिटाई कर दी।
वहीं राज्य के कबीरधाम जिले के एक गाँव में धर्मांतरण कराने को लेकर 100 से अधिक लोगों की भीड़ ने पादरी के घर में घुसकर कथित तौर पर उसे और उसके परिवार को पीटा। इस दौरान भीड़ ने आदिवासी क्षेत्रों में ईसाई मिशनरियों के धर्मांतरण के खिलाफ नारे भी लगाए थे।
हाल ही में भारतीय जनता पार्टी के विधायक प्रदेश में धर्मांतरण के मामले में राज्यपाल अनुसुइया उइके को ज्ञापन सौंपा था। ज्ञापन में कहा गया था, “राजधानी से दूर-दराज के इलाकों में धर्मांतरण गतिविधियों की सूचना दी जा रही थी और बघेल सरकार कार्रवाई करने के बजाय, उनमें शामिल लोगों की रक्षा कर रही थी।”
वहीं छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में पुलिस अधीक्षक (एसपी) ने सभी थाना प्रभारियों को आदिवासी इलाकों में ईसाई मिशनरियों और धर्मांतरित आदिवासियों की गतिविधियों पर नजर रखने के सख्त निर्देश दिए थे।