सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार (15 अक्टूबर 2019) को अयोध्या विवाद की 39वें दिन की सुनवाई हुई। रामलला के 93 वर्षीय वकील के पराशरण ने दलीलें रखी। उन्होंने कहा कि एक बार यदि मंदिर बन गया तो वो हमेशा मंदिर ही रहता है। उन्होंने सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील राजीव धवन के उस बयान पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, जिसमें उन्होंने कहा था कि एक बार अगर कहीं मस्जिद बन जाए तो वहाँ मस्जिद ही रहता है। पराशरण ने कहा कि वह विशेषज्ञ नहीं हैं, इसलिए इस पर टिप्पणी नहीं कर सकते।
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ रोजाना इस मामले की सुनवाई कर रही है। पीठ में मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई,जस्टिस एसए बोबडे, डीवाई चंद्रचूड़, अशोक भूषण और एसए नज़ीर शामिल हैं। सीजेआई ने कहा कि बुधवार को सुनवाई का आखिरी दिन होगा।
इससे पहले पीठ के समक्ष दलील रखते हुए पराशरण ने कहा कि अयोध्या में 50-60 मस्जिद हैं और नमाज़ कहीं भी अदा की जा सकती है, लेकिन यह राम का जन्मस्थान है, इसे बदला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि किसी को भी भारत के इतिहास को तबाह करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है। कोर्ट को इतिहास की गलती को ठीक करनी चाहिए। एक विदेशी भारत में आकर अपना कानून नहीं थोप सकता है। उन्होंने अपनी दलील की शुरुआत भारत के इतिहास के साथ की। न्यायालय के निर्देश के बाद वकील वीपी शर्मा ने लिखित दलील के साथ कुरान के अंग्रेजी अनुवाद की कॉपी रजिस्ट्री को सौंपी।
“A foreign conquerer can’t come to India, say I am emperor Babur and my fiat is law…there is no instance of #Hindus going outside to conquer although we had most powerful rulers. This is a very important aspect,” says Parasaran.#AyodhyaCase#BabriMasjid#RamMandir
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) October 15, 2019
‘अतिथि देवो भव’ की भारतीय प्रवृत्ति का जिक्र करते हुए पराशरण ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि हिन्दुओं ने आज तक भारत से बाहर कहीं जाकर तबाही नहीं मचाई लेकिन बाहर से आक्रांताओं ने आकर भारत में तबाही मचाई। उन्होंने कहा कि यह उस ऐतिहासिक भूल को सुधारने का समय है। उन्होंने भारत को सभ्य देश बताते हुए याद दिलाया कि कैसे सिकंदर, मुग़ल और तुर्क सहित कई आक्रांताओं ने यहाँ तबाही मचाई।
पीठ ने पराशरण से इस दौरान कई सवाल भी किए। बहस के दौरान पूरा कोर्ट रूम तब ठहाकों से गूॅंज उठा जब चीफ जस्टिस ने धवन से पूछा कि पूछ लिया कि क्या वह संतुष्ट हैं? असल में सोमवार को सुनवाई के दौरान नाराज़ धवन ने जजों से कहा था कि सिर्फ़ मुस्लिम पक्ष से ही सवाल पूछा जाता है और हिन्दू पक्ष से सवाल नहीं पूछे जाते। इस पर कल पीठ ने कुछ नहीं कहा था। हालाँकि पराशरण ने धवन के बयान को गैर-जरूरी बताते हुए आपत्ति जाहिर की थी।
Parasaran: “Muslims can pray in any other mosque as well. There are 55-60 mosques in #Ayodhya alone. But for #Hindus, it is the birth place of Lord Ram…we can’t change the birthplace.”#AyodhyaCase#RamMandir#BabriMasjid
— Utkarsh Anand (@utkarsh_aanand) October 15, 2019
सोमवार (अक्टूबर 14, 2019) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान धवन ने कहा था कि मुग़ल आक्रांता औरंगजेब उदार शासकों में से एक था। उन्होंने कहा कि राम का जन्म बाबरी मस्जिद के मुख्य गुम्बद के नीचे हुआ था, महज ऐसा मान लेने से यह सच्चाई नहीं हो जाती। उन्होंने कहा कि आस्था रखने भर से इस स्थल पर हिन्दुओं का स्वामित्व साबित नहीं हो जाता। हालाँकि, उनके औरंगजेब वाले बयान को लेकर उनकी सोशल मीडिया काफ़ी आलोचना हुई।
उधर, अयोध्या में धारा 144 लागू कर के सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। सीजेआई रंजन गोगोई के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि बुधवार को ही इस मामले की सुनवाई का अंतिम दिन होगा और उसके बाद कोर्ट फ़ैसला लिखने में समय लेगा।