राजस्थान में माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 10वीं की किताब में महाराणा प्रताप के इतिहास से छेड़छाड़ के बाद विभिन्न सामाजिक संगठनों, राजनेताओं, इतिहासकारों और आमजनों में एक बार फिर आक्रोश फैल गया है।
इसी मामले के मद्देनजर राज्य मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से बुधवार को राजपूत संगठनों ने मुलाकात की। इस दौरान सीएम ने आश्वासन दिया कि अगर किताब में कोई गलत तथ्य है तो उसे ठीक किया जाएगा।
दरअसल, साल 2017 में किताबों में कुछ तथ्यों को शामिल किया गया था। लेकिन पिछले वर्ष उन तथ्यों को बिना किसी जानकारी के बदल दिया गया और लेख को उसी लेखक के नाम से प्रकाशित कर दिया गया।
ई बुक में तो महाराणा प्रताप को युद्ध के दौरान प्रतिकूल परिस्थितियों में धैर्य, संयम और योजना के प्रति कमजोर तक बताया दिया गया था। साथ ही एक जगह ये कहा गया था कि हल्दीघाटी की लड़ाई बेनतीजा थी और महाराणा प्रताप उस लड़ाई को हार गए थे।
अब इसी मामले पर उस अध्याय के लेखक चंद्रशेखर बेहद आक्रोशित हैं। दूसरी ओर बुधवार को मेवाड़ के प्रतिनिधिमंडल ने सीएम अशोक गहलोत से मिलकर इसपर आपत्ति जताई।
अशोक गहलोत से जौहर स्मृति संस्थान और क्षत्रिय महासभा के प्रतिनिधियों ने प्रताप को लेकर सिलेबस में जो छेड़छाड़ की गई थी उस पर अपना विरोध दर्ज करवाया।
इसके बाद मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि महाराणा प्रताप को लेकर अगर कोई पाठ्यक्रम में छेड़छाड़ हुई है तो उसे तुरंत दुरुस्त किया जाएगा। गहलोत ने पूरे मामले की देखरेख की जिम्मेदारी शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा और परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास को दी है।
उन्होंने कहा, “महाराणा प्रताप किसी जाति धर्म के नहीं बल्कि हमारे शौर्य के प्रतीक हैं। इनकी वीरगाथा मेवाड़ में नहीं बल्कि पूरे देश में गाई जाती है। प्रताप सभी लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।”
गौरतलब है कि मेवाड़ राजघराने ने और राजपूत संगठनों ने आरोप लगाया है कि पाठ्यक्रम में महाराणा प्रताप की शौर्य गाथाओं को कम कर दिया गया है। हालाँकि राजस्थान के शिक्षा मंत्री का कहना है कि संघ से जुड़े लोगों ने अफवाह उड़ाई है। हमने पहले की तुलना में राणा प्रताप पर सामग्री ज्यादा बढ़ाई है।
वहीं, लेखक चंद्रशेखर का गुस्सा इसलिए है क्योंकि 10वीं की सामाजिक विज्ञान की किताब में उन्होंने महाराणा प्रताप के इतिहास को उल्लेखित किया था। लेकिन अध्याय एक और दो में संशोधन समिति ने परिवर्तन कर महाराणा प्रताप के इतिहास को कम कर दिया। इसके अलावा हल्दीघाटी युद्ध के परिणाम की समीक्षा को भी हटा दिया गया। साथ ही चेतक घोड़े से जुड़े इतिहास को भी कम कर दिया गया।