संसद में आम लोगों द्वारा याचिका दायर कर की व्यवस्था बनाने की माँग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सुनवाई करेगा। इस याचिका में कहा गया है कि संसद में आम लोगों द्वारा सुझाए गए मुद्दों पर भी बहस की व्यवस्था होनी चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सरकार से जवाब माँगा है।
याचिका पर जस्टिस केएम जोसेफ और जस्टिस बीवी नागरत्न की पीठ ने शुक्रवार (17 फरवरी, 2023) को केंद्र सरकार से जवाब माँगा है। केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए समय की माँग की। इस पर पीठ ने मामले को चार हफ्ते बाद लिस्ट करने का आदेश देते हुए सरकार को इस बीच हलफनामा दायर करने के लिए कहा है।
इसके पहले 27 जनवरी 2023 को करण गर्ग की याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने सरकार का पक्ष जानना चाहा था। इस याचिका में संविधान के अनुच्छेद 14, 19(1)(ए) और 21 के हवाले से कहा गया है कि भारतीय नागरिकों को संसद में याचिका दायर करने और सुझाए गए मुद्दों पर चर्चा कराने की माँग करने का अधिकार है।
क्या है लोगों द्वारा संसद में याचिका दायर करने की व्यवस्था ?
संसद में याचिका दायर करने की व्यवस्था कैसी होगी इस पर फिलहाल कुछ नहीं कहा जा सकता। अंदाजा लगाया जा सकता है कि संसद में याचिका दायर करने की व्यवस्था जनहित याचिका से मिलती-जुलती व्यवस्था हो सकती है।
जिस तरह कोर्ट में निजी यानि पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन या जनहित याचिका दायर की जाती है, उसी तरह संसद के समक्ष आवेदन प्रस्तुत करने की व्यवस्था हो सकती है। इसके तहत संसद में याचिका दाखिल कर अपनी पसंद के मुद्दों पर चर्चा की माँग करके कानून बनाने की प्रक्रिया में भागीदार बन सकते हैं।
क्या होगा फायदा?
संसद में याचिका दायर करने का अधिकार मिलने के बाद नागरिक लोकतांत्रिक प्रक्रिया से और ज्यादा जुड़ पाएँगे। वोट देने के बाद प्रायः नागरिक अपने चुने हुए प्रतिनिधियों से दूर हो जाते हैं। नागरिक चुनाव के बाद की लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं से कट जाते हैं। संसद में याचिका दायर कर पाने की व्यवस्था से नागरिकों और जनप्रतिनिधियों के बीच की दूरी कम हो सकती है। आम लोग भी कानून बनाने की प्रक्रिया का हिस्सा बन सकेंगे।
ऐसे मसले जो जनप्रतिनिधियों के पास नहीं पहुँच पाते, उन्हें सीधे संसद तक पहुँचाए जा सकेंगे। नागरिकों की आवाज संसद में बिना किसी बाधा के पहुँच सकेगी। नागरिक खुद को ज्यादा सशक्त महसूस कर सकेंगे और जनप्रतिनिधियों की जनता के प्रति जवाबदेही बढ़ेगी।
कहा जा रहा है कि इस व्यवस्था के बनने से सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट पर बोझ कम होगा। यह बात याचिका में भी कही गई है। बता दें संसद में याचिका दाखिल करने की व्यवस्था ब्रिटेन में सालों से मौजूद है।