अयोध्या मामले का ऐतिहासिक पटाक्षेप होने के साथ प्रत्याशित “जय श्री राम” और “जय हनुमान” के साथ एक और जय-जयकार ऐसी होने लगी जिसकी कल्पना शायद ही किसी ने की होगी। यह है भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की जय-जयकार।
सीजेआई गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ ने ही रामजन्मभूमि के पक्ष में फैसला सुनाया है। फैसले में पीठ ने विवादित स्थल हिन्दुओं को सिपुर्द करते हुए उसे रामजन्मभूमि के रूप में स्वीकार किया है। इस फैसले के बाद से गोगोई रामभक्तों की आँखों के तारे बन गए हैं। कोई उन्हें प्रणाम करने के लिए उनका घर ढूँढ़ रहा है तो कोई उन पर ईश्वर की कृपा बने रहने की कामना कर रहा है।
Jai Sri Ram
— Chowkidar Narayanಶಾಸ್ತ್ರಿ (@NarayanShastri) November 9, 2019
Jai Sri Hanuman
Jai Sri CJI Gogoi and Bench!#AyodhyaHearing #AyodhyaJudgment
Not for Today.
— परिब्राजक (@voyeger100) November 9, 2019
He owned the hearts of Every Hindus for all the time ahead.
He is the incarnation of Hanuman Ji.
All the blessings from God is with the proud Historical CJI.
We also remember CJI Deepak Mishra also. https://t.co/YwCaxoqpuu
“जय-जय श्री राम”
— परिब्राजक (@voyeger100) November 9, 2019
I will come Guahati !
Please tell the addr of CJI ‘s Home.
To bow my head ! He is Incarnation of Hanuman ji !
“जय-जय श्री राम” https://t.co/i1mibE8NfL
एक यूज़र ने तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की निजी ट्विटर प्रोफाइल पर जाकर वहाँ ही “सीजेआई की जय” के नारे लगाए हैं।
Ram lakshman jaanki….jai bolo hauman ki…
— Ashish (@sarcasmism01) November 9, 2019
Siyapati Ram chandra ki jai
pawansuth Hanuman ki Jai
CJI ki jai
ट्विटर पर कुछ लोग सीजेआई गोगोई को ‘आज के समय का हनुमान’ भी बता रहे हैं।
CJI of India will be remembered in the history of India as modern day Hanuman.
— #JaiShreeRam (@roastedliver) November 9, 2019
He is going to deliver the verdict today on Saturday.
? Jai Shree Ram@ishkarnBHANDARI @TajinderBagga @Swamy39 @ShivAroor@sameersharmaa @KapilMishra_IND
इससे पहले 1 फरवरी 1986 को जब फैजाबाद की अदालत ने इमारत का ताला खोलने का आदेश दिया तो उसके पीछे भी किसी काले बंदर की प्रेरणा सामने आई थी। फैसला देने वाले जज कृष्णमोहन पांडेय ने अपनी आत्मकथा में लिखा है, “जिस रोज मैं ताला खोलने का आदेश लिख रहा था, मेरी अदालत की छत पर एक काला बंदर पूरे दिन फ्लैग पोस्ट को पकड़कर बैठा रहा। जो फैसला सुनने अदालत में आए थे, उस बंदर को फल और मूॅंगफली देते रहे पर बंदर ने कुछ नहीं खाया। चुपचाप बैठा रहा। फैसले के बाद जब मैं घर पहुॅंचा तो उस बंदर को अपने बरामदे में बैठा पाया। मुझे आश्चर्य हुआ। मैंने उसे प्रणाम किया। वह कोई दैवीय ताकत थी।”