सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मामले की नियमित सुनवाई का दौर बुधवार (अगस्त 6, 2019) से शुरू हो गया। सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने निर्मोही अखाड़ा ने अपनी दलीलें रखीं। अखाड़ा ने अदालत को बताया कि ये ज़मीन बाबरी मस्जिद की नहीं है। अखाड़ा के वकील सुशील कुमार ने कहा कि उस स्थल को मस्जिद कहा ही नहीं जा सकता, क्योंकि वहाँ नमाज नहीं पढ़ी जाती है। अखाड़ा ने कहा कि राम जन्मस्थान का प्रबंधन और स्वामित्व हमेशा से निर्मोही अखाड़ा के पास ही रहा है।
इस दौरान बाबरी मस्जिद की तरफ से पैरवी कर रहे वकील राजीव धवन को सीजेआई गोगोई ने फटकार लगाई। निर्मोही अखाड़ा द्वारा दलील पेश किए जाने के दौरान धवन बीच में टोक रहे थे, जिसके बाद सीजेआई गोगोई ने उन्हें अदालत की मर्यादा बनाए रखने को कहा। इस पर धवन ने कहा कि वो सिर्फ़ अदालत द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे। सीजेआई गोगोई ने कहा- “सवाल का जवाब देने का एक लहजा होता है। अदालत के तौर-तरीकों से आप परिचित हैं।”
#RamMandir – #BabriMasjid: Heated exchange between CJI Ranjan Gogoi and Rajeev Dhavan
— Bar & Bench (@barandbench) August 6, 2019
“Mr. Dhavan please maintain dignity of the court”, CJI Gogoi
“Your Lordships asked a question, I answered”, Dhavan
“There is a way to answer it, you are an officer of the Court”, CJI Gogoi.
वहीं, निर्मोही अखाड़ा ने कहा कि वे सैकड़ों वर्षों से राम जन्मस्थान के आंतरिक परिसर से लेकर बाहरी परिसर में मौजूद ‘सीता रसोई’, ‘चबूतरा’ और ‘भंडार गृह’ का भी स्वामित्व रखते आ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह सब उनके अधिकारों के दायरे में रहा है। अखाड़ा ने खुद को एक पंजीकृत संस्था बताते हुए कहा कि विवादित भूमि पर उसका दावा 1934 से है, जबकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इस पर अपना दावा उसके कई वर्षों बाद 1961 में किया था। वकील सुशील कुमार जैन ने कहा कि कई दशक पहले मुस्लिमों ने वहाँ नमाज पढ़ना बंद कर दिया था।
बता दें कि राम मंदिर मुद्दे की नियमित सुनवाई चालू हो गई है, जिसके अंतर्गत सप्ताह में 3 दिन सुनवाई की जाएगी। विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि कुछ ही महीनों में सुप्रीम कोर्ट का अंतिम निर्णय आ जाएगा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमीन को तीनों पक्षों- निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच तीन हिस्सों में बाँटने का आदेश दिया था।