सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में 43 लाख से अधिक लंबित मामलों के निपटारे के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) रंजन गोगोई ने प्रधानमंत्री मोदी को तीन चिट्ठी लिखी हैं। इन चिट्ठियों में CJI गोगोई ने मोदी से सर्वोच्च प्राथमिकता के साथ दो संवैधानिक संशोधनों का अनुरोध करते हुए लिखा है कि एक तो सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की संख्या में इज़ाफ़ा हो जिससे मामलों का निपटारा जल्द से जल्द किया जा सके और दूसरा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों की आयु 62 से बढ़ाकर 65 वर्ष की जाए।
ख़बर के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश गोगोई ने पीएम मोदी को लिखी तीसरी चिट्ठी में संवैधानिक व्यवस्था के तहत सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों के कार्यकाल की पुरानी परम्परा को पुनर्जीवित करने की माँग की है जिसमें जजों की सेवानिवृत्ति की आयु सीमा 65 वर्ष होती थी। ऐसा करने से वर्षों से लंबित मामलों का निपटारा किया जा सकेगा।
CJI ने बताया कि 1988 में, सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीशों की संख्या 18 से बढ़ाकर 26 कर दी गई थी और फिर 2009 में इसे 26 से बढ़ाकर 31 कर दिया गया था। जिस तरह 2009 में न्यायाधीशों की संख्या बढ़ाई गई थी उसी तरह अब यह संख्या 31 से बढ़ाकर 37 करने की माँग भी CJI ने अपनी चिट्ठी में की है। वर्तमान समय में, हाईकोर्ट में जितने पद स्वीकृत हैं उनमें से केवल 37% पद यानि 399 पद ही भरे हैं बाक़ी रिक्त हैं। मौजूदा समय में इन रिक्तियों को तुरंत भरने की आवश्यकता है।
सुप्रीम कोर्ट में 31 न्यायाधीश हैं जबकि कोर्ट में कुल 58,669 मामले लंबित हैं। इसके अलावा नए मामलों के आने इस संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। उन्होंने बताया कि 26 केस 25 वर्षों से, 100 केस 20 वर्षों से, 593 केस 15 वर्षों से और 4977 केस पिछले 10 वर्षों से सुप्रीम कोर्ट में लंबित हैं।