हरियाणा के गुरुग्राम में सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ पढ़ने को लेकर जारी विवाद के बीच राज्य के मुख्यमंत्री मनोहरलाल खट्टर ने सख्त हिदायत देते हुए कहा कि खुले में नमाज पढ़ने की प्रथा को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने शुक्रवार (10 दिसंबर) को कहा कि खुले में नमाज किसी भी हाल में नहीं होना चाहिए। साथ ही उन्होंने इस पूरे मामले को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की अपील की। मुख्यमंत्री खट्टर ने इसके लिए पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों को निर्देश भी दिए।
एक कार्यक्रम के दौरान मीडियाकर्मी द्वारा पूछे गए सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा, “हमने यहाँ पुलिस को भी कहा है और डिप्टी कमिश्नर को भी कहा है। इस विषय का समाधान निकालना है। कोई अपनी जगह पर नमाज़ पढ़े या पूजा पाठ करे, इससे हमें कोई दिक्क्त नहीं है। धार्मिक स्थल इसीलिए बने होते हैं। खुले में ऐसा कोई कार्यक्रम नहीं होना चाहिए। ये नमाज़ पढ़ने की जो प्रथा यहाँ खुले में शुरू की गई है, वो कतई सहन नहीं की जाएगी। सबके साथ बैठकर इसका समाधान निकाला जाएगा।”
मुख्यमंत्री ने आगे बताया कि मुस्लिम समुदाय के पास बहुत सारी जमीनें हैं। वे वक्फ की जमीनों पर नमाज़ पढ़ें या फिर अपने घर में नमाज़ पढ़ें। खुले में नमाज़ और आपसी टकराव नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यह तय होगा कि सबको सुविधा मिले और किसी के भी अधिकारों में हस्तक्षेप न हो, लेकिन किसी को जबरदस्ती नहीं करने दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, “हमने जिन 37 स्थानों को खुले में नमाज पढ़ने के लिए चिन्हित किया था, उन तमाम स्थानों की परमिशन को रद्द कर दिया गया है। बीच में कुछ फैसला लिया गया था, लेकिन उन फैसलों में जो स्थान दिए गए थे उन्हें हमने वापस ले लिया है। अब सारी बातचीत नए सिरे से होगी।”
गौरतलब है कि गुरुग्राम इमाम एसोशिएशन के चिन्हित स्थानों पर नमाज़ करने के फैसले के खिलाफ ही मुस्लिमों के ही 2 धड़े खड़े हो गए थे। अल्ताफ समूह और शहज़ाद समूह ने सभी 37 स्थानों पर नमाज़ पढ़ने की अनुमति माँगते हुए इमाम एसोशिएशन को RSS का एजेंट तक कह डाला था। इसी के साथ आज शुक्रवार को हिन्दू संगठनों के भारी विरोध और प्रशासन के कड़े आदेश के बाद भी गुरुग्राम के अलग-अलग स्थानों पर नमाज़ के लिए तमाम नमाज़ी जमा हुए थे। इसमें उन्होंने कुछ स्थानों पर नमाज़ भी पढ़ी थी।