उत्तर प्रदेश में अवैध धर्मान्तरण कराने वाले गैंग से उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ IAS अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन के कनेक्शन को लेकर वायरल वीडियो की जाँच अब SIT करेगी। सीएम योगी आदित्यनाथ के संज्ञान में यह प्रकरण आने के बाद जाँच के लिए गृह विभाग से गठित इस एसआईटी के अध्यक्ष डीजी सीबीसीआईडी जीएल मीणा होंगे एवं सदस्य एडीजी कानपुर जोन भानु भास्कर होंगे। यह मामले की जाँच करके 7 दिन में शासन को अपनी रिपोर्ट देगी। IAS अधिकारी पर हिंदू धर्म के खिलाफ प्रचार करने का आरोप लगाया गया है। इससे पहले कानपुर के पुलिस कमिश्नर ने भी एडीसीपी को जाँच सौंपी है। इस प्रकरण पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने भी नाराजगी जताई है।
सरकारी सेवक का धर्म केवल संविधान होता है।
— Brij Lal (@BrijLal_IPS) September 28, 2021
ये सर्विस कांडक्ट रुल के ख़िलाफ़ है।बाबा साहब ने हमें जो संविधान दिया है उसकी मूल भावना को भी आहत करने वाला है।
ऐसे लोकसेवक़ों पर कठोर कार्रवाई होनी चाहिए।@JPNadda @myogiadityanath @BJP4India @blsanthosh @BJP4UP @shalabhmani pic.twitter.com/qWkWZ1qcAb
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बताया जा रहा है कि SIT जाँच में इस बात पर फोकस करेगी कि क्या वीडियो में कोई अपराध दिख रहा है? क्या IAS के सरकारी आवास पर कट्टरता और धर्मान्तरण से जुड़े जलसे करने से नियमों का उल्लंघन हुआ है? IAS अफसर की बैठक में कौन-कौन लोग शामिल हुए थे?
सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद अब यह बात भी निकलकर सामने आई है कि कानपुर कमिश्नर रहने के दौरान अपने सरकारी आवास में इस तरह की बैठक IAS मो. इफ्तिखारुद्दीन के लिए आम थी। वह इसमें खुद कट्टरता का पाठ पढ़ाते देखे जा सकते हैं। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि कानपुर ही नहीं कई राज्यों के मुस्लिम इसमें शामिल होने के लिए आते थे। यह भी कहा जा रहा है कि बंगला खाली करने के बाद जब उनके आवास की सफाई हुई तो धार्मिक कट्टरता को बढ़ावा देने वाला साहित्य भारी मात्रा में बरामद हुआ था। मगर IAS अफसर होने के चलते तब मामले को दबा दिया गया था।
कानपुर में वरिष्ठ आइएएस अधिकारी मोहम्मद इफ्तिखारुद्दीन की तैनाती के दौरान मंडलायुक्त के सरकारी आवास परधर्मान्तरण से जुड़ी तकरीरों के कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद सीएम योगी आदित्यनाथ ने बड़ा कदम उठाते हुए इस मामले की जाँच का आदेश दिया था जिसके बाद तीन सदस्यीय एसआइटी टीम का गठन किया गया है। वायरल कई वीडियो में IAS अधिकारी अपने सरकारी आवास पर मुस्लिम धर्म को लेकर तकरीरें पढ़ते नजर आ रहे हैं। वीडियो में उनके साथी मतांतरण की बातें कर रहे हैं।
बता दें कि इफ्तिखारुद्दीन 17 फरवरी 2014 से 22 अप्रैल 2017 तक कानपुर के मंडलायुक्त रहे। वह श्रमायुक्त का पदभार भी सँभाल चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, उनसे जुड़े जो करीब आधा दर्जन वीडियो वायरल हो रहे हैं। वह उस समय कानपुर के मंडलायुक्त थे।
यूपी के कानून मंत्री बृजेश पाठक ने भी मामले पर चिंता व्यक्त करते हुए जाँच की बात कही है। बृजेश पाठक ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “जिस तरह से वीडियो सामने आया है उसकी जाँच की जा रही है। ये गंभीर मुद्दा है। धर्मांतरण को लेकर हमारी सरकार ने कानून बनाया हुआ है जो भी ये करता पाया जाएगा उसको छोड़ा नहीं जाएगा चाहे वो कोई भी हो। इस पूरे मामले की SIT जाँच कराई जा रही है यदि वीडियो सही पाया जाएगा तो कार्यवाही की जाएगी।”
कानून मंत्री बृजेश पाठक ने आगे कहा कि इस तरह के मामले में 2 तरह के प्रावधान बनते हैं। पहला तो उन्होंने सर्विस कोड का उल्लंघन किया है तो उन पर उसके तहत कार्यवाही की जाएगी। दूसरा उन पर धर्मांतरण को लेकर भी कार्यवाही की जाएगी जिसमें 10 साल तक कि सजा और जुर्माने का प्रावधान है। अगर वीडियो सत्य पाया जाता है तो उन पर इन दोनों मामलों के तहत सख्त कार्रवाई की जाएगी। पाठक ने ये भी कहा कि अगर इस तरह आईएएस अधिकारी धर्मांतरण के मामले में संलिप्त पाए जाते हैं तो ये देश के लिए चिंता का विषय है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष मठ मंदिर समन्वय समिति ने सीएम योगी @myogiadityanath से की शिकायत pic.twitter.com/kP7ng5GVKF
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) September 27, 2021
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश स्थित कानपुर के वरिष्ठ IAS इफ्तिखारुद्दीन के 3 वीडियोज वायरल हुए हैं, जिसमें वो कथित रूप से मंडलायुक्त पद पर तैनाती के दौरान सरकारी आवास में मुस्लिम कट्टरपंथियों को बुलाकर धर्म-परिवर्तन को बढ़ावा देने वाले पाठ पढ़ा रहे हैं। उन पर अपने पद का दुरुपयोग करते हुए इस्लामी कट्टरता को बढ़ावा देने के आरोप लगे हैं। ‘मठ मंदिर समन्वय समिति’ ने इस बाबत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से शिकायत की है।